विनोद नौटियाल / ऊखीमठ न्याय पंचायत भीरी के सुरसाल गांव में 21 वर्षो बाद आयोजित पांडव नृत्य के तहत पाण्डवों ने मन्दाकिनी नदी के किनारे गंगा स्नान कर भीरी गांव स्थित भीम शिला के दर्शन कर भोग लगाया।23 दिसंबर को दुर्योधन वध(हाथी कौथिग) के साथ पांडव नृत्य का विधिवत समापन किया जायेगा।

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तहसील ऊखीमठ के सुरसाल गांव में विगत 15 नवंबर से पांडव नृत्य का आयोजन किया जा रहा है। पांडव नृत्य समिति के संरक्षक सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक उमेद सिंह कपरुवाण ने बताया कि 21 वर्षो बाद हो रहे इस आयोजन के लिए सभी प्रवासी ग्रामीण सहित धियाणिंयां गांव पहुंची हुई हैं। पांडव नृत्य समिति के अध्यक्ष गजपाल सिंह कपरुवाण ने बताया कि 21 दिसंबर को पांडव नृत्य के तहत चक्रव्यूह का मंचन किया जायेगा।22 दिसंबर को पैंया डाली(मोरू दार), और 23 दिसंबर को दुर्योधन वध के साथ पांडव नृत्य का समापन किया जायेगा साथ ही 16 दिसंबर से बीरबल सिंह कपरुवाण के निर्देशन में सात दिवसीय पांडव लीला का आयोजन भी किया जा रहा है। जिसमें कृष्ण-सुदामा मिलन सहित महाभारतकालीन नाटकों का मंचन किया जायेगा। पांडव नृत्य के ढोलवादक(बाजगिरी) पूर्व प्रधान माणिक लाल ने बताया कि पांडवी गायन के साथ 24 तालों की ढोल की थाप पर पांडव पश्वा नृत्य कर रहे हैं। पांडव नृत्य में उनका साथ मुरली लाल और मूसा लाल दे रहे हैं। पांडव नृत्य में कृष्ण की भूमिका में सुखबीर सिंह, युधिष्ठिर देवेन्द्र सिंह,भीम पवन सिंह, अर्जुन उमेद सिंह, नकुल मानसिंह, सहदेव मनमोहन सिंह, हनुमान महावीर सिंह, द्रोपदी बीर सिंह, सहित भूतनाथ पश्वा आनन्द सिंह और कालिंका देवी पश्वा कुंवर सिंह हैं। इस अवसर पर पाण्डव नृत्य में कमेटी के उपाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह कपरुवाण, सचिव जगदीश सिंह बिष्ट, कोषाध्यक्ष खुशहाल सिंह बिष्ट, सरपंच सुरजीत सिंह बिष्ट,धनपाल सिंह कपरुवाण, कुंवर सिंह कपरुवाण, विनोद कपरुवाण सहित गांववासी मौजूद थे।