भगवती शैव / दस्तक पहाड / ऊखीमठ। आजादी के 76 वर्षों बाद भी द्वितीय केदार मध्यमहेश्वर धाम सड़क, स्वास्थ्य विद्युत व संचार की सुविधा से नहीं जुड़ पाया है। जिससे यहां आने वाले श्रद्धालुओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। द्वितीय केदार के नाम से विश्वप्रसिद्ध मध्यमहेश्वर धाम के कपाट खुलने के बाद हजारों श्रद्धालु पहुँचते हैं। लेकिन आज तक शासन एव प्रशासन मूलभूत सुविधाऐं तक नहीं जुटा पाया है। आलम यह है कि रांसी के निकट अकतोली धार से पैदल 14 किमी दूर मध्यमहेश्वर धाम तक एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं है। धाम में पहुँचने वाले श्रद्धालुओं को अंधेरे में रात गुजारनी पड़ती है और आपातकालीन स्थिति में फोन से बात करने के लिए 3 किमी तक की दूरी तय करनी पड़ती है। स्वास्थ्य सुविधाओं के लिहाज से अकतोली धार,गौंडार से लेकर धाम तक प्राथमिक उपचार तक की कोई व्यवस्था नहीं

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है। सड़क सुविधाओं में अकतोली धार से गौंडार तक निर्माण कार्य लम्बे समय तक बंद रहने के बाद बमुश्किल से फिर से शुरू हो पाया है। संचार सुविधा के लिए बीबीएनल की धाम में वी सेट लगाने की योजना भी धरातल पर नहीं उतर पाई है। वहीं गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत द्वारा बीबीएनल को धाम में वी सेट स्थापित करने के लिए पत्र भेजा गया था जिसके बाद वी सेट के पूरे सिस्टम को ले जाने में अधिक पैसे खर्च होने के चलते वो कार्य भी अधर में लटका हुआ है। इसके साथ ही विगत 14 अगस्त को वनतोली में मध्यमहेश्वर धाम को जोड़ने वाले एकमात्र पुल के बहने से अभी तक स्थायी पुल का निर्माण कार्य तक प्रारंभ नहीं हो पाया है। ग्राम प्रधान वीर सिंह पंवार ने बताया कि मध्यमहेश्वर धाम आज भी मूलभूत सुविधाओं से बहुत पिछड़ा हुआ है। कई बार जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासन तक व्यवस्थाएं जुटाने की मांग कर चुके हैं लेकिन उसके बावजूद भी स्थिति जस की तस है।