दीपक बेंजवाल  / अगस्त्यमुनि। दस्तक पहाड न्यूज- पहाड़ के लोगों की मुश्किलें कम नहीं हो रही है। शहरों से पकड़कर बंदरों को पहाड़ों में छोड़ा जा रहा है, जो अब लोगों की जी का जंजाल बन गए है। रविवार रात देत बासवाड़ा बसुकेदार मोटर मार्ग पर अज्ञात लोगों ने हजारों की संख्या में बंदरों को छोड़ दिया है। सड़क के किनारे इन बंदरों की लंबी कतारों को देखा जा सकता है। कई दिनों से भूखे प्यासे इन बंदर ने सुबह होते ही पेड़ों को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया। ये बंदर तेजी से बष्टी गाँव के खेतों की ओर बढ़ रहे

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है। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र भण्डारी ने बताया कि आज सुबह घर से जब वो अगस्त्यमुनि की ओर आ रहे थे तो बष्टी गांव के नीचे मैंगजीन के पास बंदरों का बढ़ा जमावाड़ा लगा था, कुछ बंदर यहाँ उगे उस्ता के पेड़ो पर कूद फांद कर बुरी तरह तोड़ रहे थे तो कुछ बष्टी गाँव के खेतों की ओर बढ़ रहे थे। यह हालत चिन्ताजनक है, एक साथ इतनी बड़ी संख्या में छोड़ा जाना अपराधिक कृत्य है, शहरों के ये उत्पाती केवल पहाड़ की खेती को ही नुकसान नहीं पहुँचा रहे बल्कि मानवों पर भी हमला कर रहे है। ऐसे में पहाड़ पर बंदर छोड़ने का विरोध होना चाहिए। स्थानीय निवासियों को इस समस्या के लिए एकजुट होना होगा। पलायन की समस्या से गाँव पहले से ही वीरान होने की समस्या से जूझ रहे है वही बंदरों के इन उत्पातों ने लोगो का जीना मुश्किल कर दिया है। शहर के लोग अपनी समस्या को पहाड़ो के सिर डाल रहे है, जिसने यहाँ के इकोसिस्टम को बदल कर रखा दिया है। सरकार से बार बार गुहार के बाद भी बंदरों के आंतक से निजात दिलाने की ठोस कार्यवाही नहीं हो रही है, वही रात में बंदरों की ये खेप पहाड़ों में लोगों को मारने के लिए छोड़ दी जा रही है, यह बड़ा अपराधिक कृत्य है। वही स्थानीय निवासियों का कहना है कि गाँव की ओर बंदर छोड़ने वाले अगर पकड़ में आए तो प्रशासन की बजाए अब जनता उनका खुद इलाज करेगी, जिसकी सारी जिम्मेदारी बंदर छोड़ने वालों की होगी।