उत्तराखंड में स्कूली मान्यताओं का झोल, कक्षा 10 वीं टॉपर प्रियांशी रावत की है डमी स्कूल, टाॅप 20 के कई टाॅपरों की स्कूलें ‘झूठी’
1 min read05/05/2024 7:54 pm
उत्तराखंड बोर्ड की 10वीं की परीक्षा में टॉपर रही प्रियांशी रावत को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। प्रियांशी रावत को डमी स्कूल से परीक्षा देनी पड़ी है. बोर्ड परीक्षा में शत प्रतिशत अंक प्राप्त कर उत्तराखंड ही नहीं यूपी का भी रिकार्ड तोड़ने वाली पहाड़ की यह बेटी जिस स्कूल में पढ़ती थी। उस विद्यालय को 10वीं की मान्यता तक नहीं है। इतना ही बोर्ड रिजल्ट में टाॅप 20 के कई विद्यार्थियो की स्कूलों झूठी है और जहाँ वो पढ़ रहे है उन्हें मान्यता ही नहीं है। रूद्रप्रयाग जनपद से आए कई टाॅपर भी ऐसी ही बिना मान्यता वाले स्कूलों से है। विभाग के अधिकारियों के मुताबिक राज्य में कई डमी स्कूल चल रहे हैं, अब इसको लेकर अधिकारियों का कहना है कि इस मामले की जांच की जाएगी। जेबीएसजीआईसी गंगोलीहाट पिथौरागढ़ की छात्रा प्रियांशी रावत ने संयुक्त श्रेष्ठता सूची में सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर पिछले सभी रिकार्ड ध्वस्त कर उत्तराखंड की 10वीं की बोर्ड परीक्षा में सबसे अधिक अंक लाने वाली छात्राओं में अपना नाम दर्ज कराया। विभाग के अधिकारी शुरुआत में उसे सरकारी इंटरमीडिएट कॉलेज बता रहे थे, लेकिन अब बताया है कि यह अशासकीय विद्यालय है। इसको डमी स्कूल बताया गया है।पिथौरागढ़ के मुख्य शिक्षा अधिकारी अशोक कुमार के मुताबिक साधना पब्लिक स्कूल की आठवीं कक्षा तक की ही मान्यता है। संभावना जताई जा रही है कि विद्यालय को इस साल से 9वीं कक्षा की मान्यता मिल जाए।
जेबीएसजीआईसी गंगोलीहाट पिथौरागढ़ से था पंजीकरण
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स्कूल में प्रियांशी के पढ़ने की व्यवस्था थी, लेकिन उसका पंजीकरण जेबीएसजीआईसी गंगोलीहाट पिथौरागढ़ से था। अक्सर यह देखा गया है कि मान्यता न होने की वजह से निजी स्कूल बच्चों को अपने यहां पढ़ाते हैं, लेकिन पंजीकरण दूसरे स्कूल में कराते हैं।
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प्रदेश में कई डमी स्कूल चल रहे हैं, हरिद्वार जिले में भी इस तरह के मामले हैं। इसकी जांच कराई जाएगी। – महावीर सिंह बिष्ट, माध्यमिक शिक्षा निदेशक
ये होते हैं डमी स्कूल
जहां छात्र को नियमित स्कूल के छात्र के रूप में प्रवेश दिया जाता है, लेकिन वह नियमित कक्षाओं के रूप में भाग नहीं लेते। डमी स्कूल कोचिंग संस्थाओं और बिना मान्यता चल रहे स्कूलों के साथ मिलकर काम करते हैं।
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