केदारनाथ आपदा : बीकेटीसी ने भूला दी पुरानादेवल राजराजेश्वरी मंदिर की महत्ता, अब मंदिर समिति की जमीन पर बना दी पार्किंग, 11 साल बीते, आख़िर अगस्त्यमुनि के लोग क्यों भूल गए अपना इतिहास – दस्तक पहाड़ की
केदारनाथ आपदा : बीकेटीसी ने भूला दी पुरानादेवल राजराजेश्वरी मंदिर की महत्ता, अब मंदिर समिति की जमीन पर बना दी पार्किंग, 11 साल बीते, आख़िर अगस्त्यमुनि के लोग क्यों भूल गए अपना इतिहास
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15/06/20245:01 pm
हरीश गुसाई / दीपक बेंजवाल /अगस्त्यमुनि।
दस्तक पहाड न्यूज। केदारनाथ आपदा को 11 वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अधीन अगस्त्यमुनि में श्री राजराजेश्वरी मंदिर अपने पुनर्निर्माण का राह देख रहा है। इन बीते 11 वर्षों में इस हेतु ईंट, पत्थर तो दूर एक प्रस्ताव भी पारित नहीं हुआ। आपदा से पहले इस स्थान पर माँ राजराजेश्वरी का मंदिर, शिवालय और केदारनाथ धाम जाने वाले संतों के लिए आश्रय स्थली और यात्रियों के लिए धर्मशाला बनी थी। लेकिन उत्तराखण्ड में धर्म, यात्रा का संरक्षण करने वाली मंदिर समिति ने आपदा के बाद से अपने इस प्रतिष्ठान की सुध नही ली। स्थानीय लोगों ने मंदिर समिति, केदारनाथ विधायक और जिला प्रशासन को कई बार पत्र लिखकर आग्रह किया लेकिन सब कोरा ही साबित हुआ और परिणाम ये हुआ कि मंदिर की बची खुची जगह पर आज नगर पंचायत की पार्किंग बन रही है। उदासीनता देखिए मंदिर निर्माण के लिए प्रशासन के पास सुरक्षित स्थान का बहाना है लेकिन वही प्रशासन इस जगह पर लकड़ी का टाॅल, सुविधा शौचालय बना चुका है, जिसे आम आदमी ने प्रयोग करना है, तब यहा कोई खतरा नजर नही आता।
मंदिर समिति की अपने अधिष्ठानों के प्रति जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं कर रही, 11 साल तक मन्दिर समिति इस पर मौन साधे हुए है। कष्ट तो तब होता है जब श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के वर्तमान अध्यक्ष अजेंद्र अजय का अगस्त्यमुनि नगर के पुराना देवल राजराजेश्वरी मंदिर से गहरा नाता रहा है, डबल इंजन की उनकी सरकार में, उनकी ही मंदिर समिति का यह अधिष्ठान अपने गौरव को पुनःप्रतिष्ठित करने की आस लगाए हुए है।
बता दें कि यह स्थान आपदा से पूर्व पुराना देवल कहलाता था। यहां पर महष्रि अगस्त्य की आराध्य देवी श्री राजराजेश्वरी के मंदिर के साथ बीकेटीसी की पुरानी और नई दो धर्मशालाएंे थी। 2013 में केदारघाटी की भीषण आपदा में यह स्थान पूर्ण रूप से बह गया था। उसके बाद किसी ने भी इसकी सुध नही ली। जबकि आपदा के बाद केदारनाथ धाम समेत कई स्थानों पर पुनर्निर्माण के कई कार्य हुए, बहे मकानों का मुआवजा मिला लेकिन महामुनि अगस्त्य की इस पुरानी तपस्थली और उनकी आराध्य श्री राजराजेश्वरी को भुला दिया गया।
आपदा से पूर्व पुरानादेवल राजराजेश्वरी मंदिर
इस स्थान पर मंदिर निर्माण को लेकर सितम्बर 2022 में कुछ युवाओं ने पहल की और स्थानीय स्तर पर एक कमेटी भी बनाई है, जिसने मंदिर समिति, केदारनाथ विधायक और जिला प्रशासन को कई बार पत्र लिखकर मन्दिर निर्माण के लिए आग्रह किया साथ ही मन्दिर के लिए स्थान चिन्हित कर बोर्ड भी लगाए गए। परन्तु दुर्भाग्य रहा कि इस स्थान पर मन्दिर बनाने के लिए न तो जनप्रतिनिधि ही तैयार हुए और न ही जिला प्रशासन और तो और जिनकी यह सम्पति थी उसके अध्यक्ष ने भी केवल चिठ्ठी भेजकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर दी। स्थानीय कमेटी ने भी बोर्ड लगाने के बाद कुछ नहीं किया। इसी बीच केदारनाथ यात्रा में यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए जिला प्रशासन ने स्थानीय निकायों में खाली जमीन पर पार्किंग बनाने की योजना बनाई। जिसके बाद मन्दिर के लिए चिन्हित स्थान पर नपं द्वारा पार्किंग बनाई जा रही है। कमेटी से जुड़े युवा विक्की आनंद सजवाण, बलदीप कण्डारी, नवीन बिष्ट, त्रिभुवन नेगी आदि का कहना है कि मंदिर समिति को इस पर पहल करनी चाहिए थी, यह उनका प्रतिष्ठान था, स्थानीय लोग भी सहयोग के लिए तैयार है। मंदिर को पुराने स्वरूप और आकार में बनाया जाए तो पुरानादेवल की महत्ता फिर से लौट सकती है।
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केदारनाथ आपदा : बीकेटीसी ने भूला दी पुरानादेवल राजराजेश्वरी मंदिर की महत्ता, अब मंदिर समिति की जमीन पर बना दी पार्किंग, 11 साल बीते, आख़िर अगस्त्यमुनि के लोग क्यों भूल गए अपना इतिहास
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हरीश गुसाई / दीपक बेंजवाल /अगस्त्यमुनि।
दस्तक पहाड न्यूज। केदारनाथ आपदा को 11 वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अधीन अगस्त्यमुनि में श्री राजराजेश्वरी मंदिर अपने
पुनर्निर्माण का राह देख रहा है। इन बीते 11 वर्षों में इस हेतु ईंट, पत्थर तो दूर एक प्रस्ताव भी पारित नहीं हुआ। आपदा से पहले इस स्थान पर माँ राजराजेश्वरी का
मंदिर, शिवालय और केदारनाथ धाम जाने वाले संतों के लिए आश्रय स्थली और यात्रियों के लिए धर्मशाला बनी थी। लेकिन उत्तराखण्ड में धर्म, यात्रा का संरक्षण करने
वाली मंदिर समिति ने आपदा के बाद से अपने इस प्रतिष्ठान की सुध नही ली। स्थानीय लोगों ने मंदिर समिति, केदारनाथ विधायक और जिला प्रशासन को कई बार पत्र लिखकर
आग्रह किया लेकिन सब कोरा ही साबित हुआ और परिणाम ये हुआ कि मंदिर की बची खुची जगह पर आज नगर पंचायत की पार्किंग बन रही है। उदासीनता देखिए मंदिर निर्माण के
लिए प्रशासन के पास सुरक्षित स्थान का बहाना है लेकिन वही प्रशासन इस जगह पर लकड़ी का टाॅल, सुविधा शौचालय बना चुका है, जिसे आम आदमी ने प्रयोग करना है, तब यहा
कोई खतरा नजर नही आता।
[caption id="attachment_37763" align="alignnone" width="696"] सुविधा शौचालय[/caption]
[caption id="attachment_37762" align="alignnone" width="696"] निर्माणाधीन पार्किंग[/caption]
मंदिर समिति की अपने अधिष्ठानों के प्रति जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं कर रही, 11 साल तक मन्दिर समिति इस पर मौन साधे हुए है। कष्ट तो तब होता है जब श्री बदरीनाथ
केदारनाथ मंदिर समिति के वर्तमान अध्यक्ष अजेंद्र अजय का अगस्त्यमुनि नगर के पुराना देवल राजराजेश्वरी मंदिर से गहरा नाता रहा है, डबल इंजन की उनकी सरकार
में, उनकी ही मंदिर समिति का यह अधिष्ठान अपने गौरव को पुनःप्रतिष्ठित करने की आस लगाए हुए है।
बता दें कि यह स्थान आपदा से पूर्व पुराना देवल कहलाता था। यहां पर महष्रि अगस्त्य की आराध्य देवी श्री राजराजेश्वरी के मंदिर के साथ बीकेटीसी की पुरानी और
नई दो धर्मशालाएंे थी। 2013 में केदारघाटी की भीषण आपदा में यह स्थान पूर्ण रूप से बह गया था। उसके बाद किसी ने भी इसकी सुध नही ली। जबकि आपदा के बाद केदारनाथ धाम
समेत कई स्थानों पर पुनर्निर्माण के कई कार्य हुए, बहे मकानों का मुआवजा मिला लेकिन महामुनि अगस्त्य की इस पुरानी तपस्थली और उनकी आराध्य श्री राजराजेश्वरी
को भुला दिया गया।
[caption id="attachment_37765" align="alignnone" width="401"] आपदा से पूर्व पुरानादेवल राजराजेश्वरी मंदिर[/caption]
इस स्थान पर मंदिर निर्माण को लेकर सितम्बर 2022 में कुछ युवाओं ने पहल की और स्थानीय स्तर पर एक कमेटी भी बनाई है, जिसने मंदिर समिति, केदारनाथ विधायक और जिला
प्रशासन को कई बार पत्र लिखकर मन्दिर निर्माण के लिए आग्रह किया साथ ही मन्दिर के लिए स्थान चिन्हित कर बोर्ड भी लगाए गए। परन्तु दुर्भाग्य रहा कि इस स्थान पर
मन्दिर बनाने के लिए न तो जनप्रतिनिधि ही तैयार हुए और न ही जिला प्रशासन और तो और जिनकी यह सम्पति थी उसके अध्यक्ष ने भी केवल चिठ्ठी भेजकर अपने कर्तव्य की
इतिश्री कर दी। स्थानीय कमेटी ने भी बोर्ड लगाने के बाद कुछ नहीं किया। इसी बीच केदारनाथ यात्रा में यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए जिला प्रशासन ने
स्थानीय निकायों में खाली जमीन पर पार्किंग बनाने की योजना बनाई। जिसके बाद मन्दिर के लिए चिन्हित स्थान पर नपं द्वारा पार्किंग बनाई जा रही है। कमेटी से
जुड़े युवा विक्की आनंद सजवाण, बलदीप कण्डारी, नवीन बिष्ट, त्रिभुवन नेगी आदि का कहना है कि मंदिर समिति को इस पर पहल करनी चाहिए थी, यह उनका प्रतिष्ठान था,
स्थानीय लोग भी सहयोग के लिए तैयार है। मंदिर को पुराने स्वरूप और आकार में बनाया जाए तो पुरानादेवल की महत्ता फिर से लौट सकती है।