ब्राह्मण होगा केदारनाथ में भाजपा का प्रत्याशी ? 24 घंटों में कर सकती है पार्टी प्रत्याशी का ऐलान।
1 min read20/10/2024 8:05 pm
हरीश गुसाईं।अगस्त्यमुनि
केदारनाथ उपचुनाव की तिथि घोषित हुए छः दिन हो चुके हैं परन्तु अभी तक किसी भी दल ने अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया। 22 अक्टूबर से नामांकन प्रक्रिया प्रारम्भ होनी है। भाजपा एवं कांग्रेस दोनों ही दल एक दूसरे के नाम घोषित होने का इन्तजार करते नजर आ रहे हैं। हांलांकि कांग्रेस हमेशा प्रत्याशी का नाम चयन करने में देरी करती है परन्तु भाजपा तो प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया बहुत पहले ही प्रारम्भ कर शीघ्र ही नाम घोषित कर देती थी। परन्तु बद्रीनाथ उपचुनाव की हार का डर ऐसा हो गया है कि भाजपा हर कदम फूंक फूंक कर रख रही है।
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शैलारानी रावत के आकस्मिक निधन से केदारनाथ विधान सभा क्षेत्र में उपचुनाव होने हैं। जिसका कार्यक्रम घोषित हो चुका है और 20 नवम्बर को मतदान होना है। परन्तु अभी तक प्रत्याशी का चयन नहीं हो पाया है। अभी तक देखा गया है कि उत्तराखण्ड में किसी विधायक की मृत्यु के उपरान्त हुए उपचुनाव में पार्टियों ने विधायक के नजदीकी रिश्तेदार को ही प्रत्याशी बनाया और चुनाव जीते। परन्तु पिछले दो उपचुनावों में भाजपा की हार से लगता है इस बार परिदृश्य कुछ बदलने वाला है। क्योंकि भाजपा किसी भी सूरत में इस सीट को जीतना चाहती है। पिछले दिनों मन्त्रियों के ताबड़तोड़ दौरे एवं मुख्यमंत्री की घोषणाओं के अम्बार ने जताया कि केदारनाथ जीतना भाजपा के लिए कितना महत्वपूर्ण हैं। चर्चा है कि केदारनाथ सीट हारी और मुख्यमंत्री की कुर्सी भी गई। हालांकि भाजपा संगठन ने केदारनाथ से छः उम्मीदवारों का पैनल केन्द्रीय चुनाव कमेटी को भेजा है। जिसमें पूर्व विधायक आशा नौटियाल, शैलपुत्री ऐश्वर्य रावत, चण्डी प्रसाद भट्ट, डॉ कुलदीप नेगी आजाद, कुलदीप रावत, कर्नल अजय कोठियाल का नाम लिया जा रहा है। परन्तु सब कुछ केन्द्रीय चुनाव समिति के निर्णय पर निर्भर करता है। कई बार पैनल के बाहर भी उम्मीदवार बनाये गये हैं। शैलारानी रावत की मृत्यु के कुछ दिन बाद से ही सम्भावित उम्मीदवार क्षेत्र भ्रमण पर निकल चुके थे। परन्तु जैसे जैसे समय गुजरा वैसे वैसे संख्या कम होने लगी। पल पल बदलते समीकरणों से उम्मीदवारों ने अपनी रणनीति भी बदली है। पहले जहां शैलपुत्री ऐश्वर्य रावत का टिकट पक्का समझा जा रहा था और वे इसे अपना हक बता रही थी। वहां अब असमंजस की स्थिति हो गई है। ऐसा लगता है ऐश्वर्य रावत एवं कुलदीप रावत को अंदेशा हो रहा है कि उनकी दावेदारी कमजोर हो रही है। इसलिए दोनों ही लगातार आपस में मिलकर अग्रिम रणनीति के लिए बैठक कर रहे हैं। इन बैठकों से लगता है या तो ये टिकट न मिलने के बाद की रणनीति है या फिर दबाब की राजनीति है। वहीं राजनैतिक सूत्र बताते हैं कि भाजपा केदारनाथ में किसी ब्राह्मण को उम्मीदवार बना सकती है। क्योंकि केदारनाथ एवं बद्रीनाथ क्षेत्र में भाजपा के पास केवल एक ही ब्राह्मण विधायक है। ऐसे में जातीय सन्तुलन साधने के लिए केदारनाथ से ब्राह्मण उम्मीदवार बनाया जा सकता है। इसमें कर्नल कोठियाल पहली पसन्द लग रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से उनकी सक्रियता भी केदारनाथ क्षेत्र में काफी बढ़ गई है। उन्होंने 2013 की आपदा के बाद केदारनाथ को पुनर्स्थापित करने में अहम भूमिका बांधी थी। साथ ही यूथ फाउण्डेशन के माध्यम से युवाओं को सेना में भर्ती कराने के लिए कैम्प चलाये थे। केदारनाथ क्षेत्र सैन्य बाहुल्य क्षेत्र है ऐसे में यहां सैन्य मतदाताओं पर पकड़ बनाने के लिए कर्नल से बेहतर और कौन हो सकता है। हां अगर बाहरी होने का आरोप लगा तो फिर आशा नौटियाल बाजी मार सकती है। वे इससे पूर्व भी दो बार विधायक रहा चुकी हैं तथा उनका भी क्षेत्र में मजबूत पकड़ हैं। हालांकि चण्डी प्रसाद भट्ट भी ब्राह्मण हैं। परन्तु अभी वे टिकट से दूर दिख रहे हैं। परन्तु भाजपा का रिकार्ड रहा है कि वे अनपेक्षित निर्णय लेते हैं। अगर कहीं उम्मीदवारों की आपसी खींचतान अधिक बढ़ी तो हो सकता है चण्डी प्रसाद भट्ट की लॉटरी लग सकती है। कुछ दिन पूर्व पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व सांसद तीरथ सिंह रावत भी केदारनाथ क्षेत्र भ्रमण पर रहे। कयास लगाये गये कि अगर कांग्रेस डॉ हरक सिंह को उम्मीदवार बनाती है तो उनके खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री को लड़ाया जा सकता है। परन्तु यहां पर यक्ष प्रश्न है कि जिसे मुख्यमंत्री पद से हटाया गया हो औा सांसद का भी दोबारा टिकट न दिया गया हो तो क्या उसे ऐसी सीट पर उम्मीदवार बनाया जाना, जहां प्रतिष्ठा दांव पर लगी हो, अपने पैरों में कुल्हाड़ी मारना होगा। भाजपा के लिए उम्मीदवार चुनना इतना मुश्किल कभी नहीं दिखा। हालांकि भाजपा सभी समीकरणों को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवार का नाम घोषित करेगी। यहां यह भी देखना रोचक होगा कि नाम घोषित होते ही होने वाली बगावत से पार्टी किस तरह निपटेगी। क्योंकि इस बार रण भी बड़ा है और चुनौतियां भी बहुत बड़ी हैं।
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