नाराज हुए बाबा तुंगनाथ, पांच घण्टे तक भक्तों के कंधो पर नाचती रही देव डोली, भनकुन प्रवास से पहले हुआ विवाद
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05/11/202411:02 pm
दीपक बेंजवाल / दस्तक पहाड न्यूज / चोपता।।
तुंगनाथ घाटी के आराध्य बाबा तुंगनाथ के कपाट सोमवार दोपहर को शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। देवता को लिवाने घाटी की महिलाऐ और पुरूष बड़ी संख्या में तुंगनाथ धाम पहुंची। अपने भक्तों के साथ श्री तुंगनाथ जी की उत्सव डोली ने कल चोपता प्रवास किया और आज उत्सव डोली चोपता से भनकुन रवाना हुई लेकिन देवता के सदियों पुराने पारंपरिक रास्ते बंद दिखे। इस रास्ते के बीचों-बीच वन विभाग ने अपने आलीशान टैंट लगाए थे जिससे बाबा की डोली रूष्ट हो गई और आगे बढ़ने से मना कर दिया। उत्सव डोली के साथ चल रहे मंदिर समिति के कर्मचारियों, पुजारियों ने काफी मिन्नते की लेकिन बाबा की डोली आगे नहीं बढ़ी। अपने आराध्य की अवमानना पर यात्रा में साथ चल रही ग्रामीण महिलाओं ने भी हाथ जोड़कर देवता को शान्त होने की विनती करती रही। दिशा धियाणियों की प्रार्थना सुनकर देवडोली उनकी ओर झुककर सांत्वना देती रही लेकिन अपनी इच्छा पर अडिग होकर पांच घण्टे तक भक्तों के कंधों पर नाचती रही और आगे बढ़ने से मना करती रही। इस बीच वहाँ उपस्थित जनसमुदाय में भी कई देवी देवता प्रकट होकर रोष दिखाते रहे। बाबा तुंगनाथ को भूमि विवाद का निवारण करने वाला देवता माना गया है लेकिन आज बाबा के सदियों पुराने रास्ते पर ही वन विभाग ने अतिक्रमण कर लिया है। ग्रामीणों को आश है कि बाबा इस विवाद को भी सुलझाऐगे। बीते साल इसी भूमि विवाद पर पीढ़ी दर पीढ़ी दुकान ढाबे चला रहे स्थानीय निवासियों के वन विभाग और प्रशासन द्वारा अतिक्रमण के नाम पर उजाड़ दिया गया। यह वन भूमि होने के साथ संरक्षित भूमि है। इसकी देखभाल का जिम्मा रखने वाला वन विभाग खुद ही अब अतिक्रमण कर रहा है।
इस अप्रत्याशित घटना से श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति और स्थानीय प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए। बताया जा रहा है कि जिले के एक बड़े अधिकारी ने इस मामले में दखलंदाजी से साफ मना कर दिया। फिर इस घटना की सूचना लोकल फोरेस्ट रेंजर और डीएफओ को दी गई। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए वन विभाग हरकत में आ गया है और टैंट कॉलोनी को हटाने की क़वायद शुरू कर रहा है।
बता दें सोमवार 4 नवंबर को कपाट बंद होने के बाद बाबा की डोली कल 6 नवंबर को भी भनकुन प्रवास करेगी। 7 नवंबर को पंचमुखी उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल श्री मर्केटेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचेगी इसी के साथ श्री मर्केटेश्वर मंदिर मक्कूमठ में शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जायेंगी।चल विग्रह डोली के साथ मठापति रामप्रसाद मैठाणी,डोली प्रभारी प्रकाश पुरोहित, प्रबंधक बलबीर नेगी, चंद्र मोहन बजवाल, पुजारी विनोद मैठाणी, प्रकाश मैठाणी रवीन्द्र मैठाणी बड़ी संख्या में भक्तजन चल रहे है।
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नाराज हुए बाबा तुंगनाथ, पांच घण्टे तक भक्तों के कंधो पर नाचती रही देव डोली, भनकुन प्रवास से पहले हुआ विवाद
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दीपक बेंजवाल / दस्तक पहाड न्यूज / चोपता।।
तुंगनाथ घाटी के आराध्य बाबा तुंगनाथ के कपाट सोमवार दोपहर को शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। देवता को लिवाने घाटी की महिलाऐ और पुरूष बड़ी संख्या में तुंगनाथ
धाम पहुंची। अपने भक्तों के साथ श्री तुंगनाथ जी की उत्सव डोली ने कल चोपता प्रवास किया और आज उत्सव डोली चोपता से भनकुन रवाना हुई लेकिन देवता के सदियों
पुराने पारंपरिक रास्ते बंद दिखे। इस रास्ते के बीचों-बीच वन विभाग ने अपने आलीशान टैंट लगाए थे जिससे बाबा की डोली रूष्ट हो गई और आगे बढ़ने से मना कर दिया।
उत्सव डोली के साथ चल रहे मंदिर समिति के कर्मचारियों, पुजारियों ने काफी मिन्नते की लेकिन बाबा की डोली आगे नहीं बढ़ी। अपने आराध्य की अवमानना पर यात्रा में
साथ चल रही ग्रामीण महिलाओं ने भी हाथ जोड़कर देवता को शान्त होने की विनती करती रही। दिशा धियाणियों की प्रार्थना सुनकर देवडोली उनकी ओर झुककर सांत्वना
देती रही लेकिन अपनी इच्छा पर अडिग होकर पांच घण्टे तक भक्तों के कंधों पर नाचती रही और आगे बढ़ने से मना करती रही। इस बीच वहाँ उपस्थित जनसमुदाय में भी कई
देवी देवता प्रकट होकर रोष दिखाते रहे। बाबा तुंगनाथ को भूमि विवाद का निवारण करने वाला देवता माना गया है लेकिन आज बाबा के सदियों पुराने रास्ते पर ही वन
विभाग ने अतिक्रमण कर लिया है। ग्रामीणों को आश है कि बाबा इस विवाद को भी सुलझाऐगे। बीते साल इसी भूमि विवाद पर पीढ़ी दर पीढ़ी दुकान ढाबे चला रहे स्थानीय
निवासियों के वन विभाग और प्रशासन द्वारा अतिक्रमण के नाम पर उजाड़ दिया गया। यह वन भूमि होने के साथ संरक्षित भूमि है। इसकी देखभाल का जिम्मा रखने वाला वन
विभाग खुद ही अब अतिक्रमण कर रहा है।
इस अप्रत्याशित घटना से श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति और स्थानीय प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए। बताया जा रहा है कि जिले के एक बड़े अधिकारी ने इस मामले
में दखलंदाजी से साफ मना कर दिया। फिर इस घटना की सूचना लोकल फोरेस्ट रेंजर और डीएफओ को दी गई। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए वन विभाग हरकत में आ गया है और
टैंट कॉलोनी को हटाने की क़वायद शुरू कर रहा है।
बता दें सोमवार 4 नवंबर को कपाट बंद होने के बाद बाबा की डोली कल 6 नवंबर को भी भनकुन प्रवास करेगी। 7 नवंबर को पंचमुखी उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल श्री
मर्केटेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचेगी इसी के साथ श्री मर्केटेश्वर मंदिर मक्कूमठ में शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जायेंगी।चल विग्रह डोली के साथ मठापति
रामप्रसाद मैठाणी,डोली प्रभारी प्रकाश पुरोहित, प्रबंधक बलबीर नेगी, चंद्र मोहन बजवाल, पुजारी विनोद मैठाणी, प्रकाश मैठाणी रवीन्द्र मैठाणी बड़ी संख्या में
भक्तजन चल रहे है।