उत्तराखंड में विकास योजनाओं को मिली 40 हजार हेक्टेयर वन भूमि, 69 नई साइट्स की गई हैं चिन्हित
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17/02/20253:11 pm
दस्तक पहाड न्यूज / देहरादून। सत्तर प्रतिशत वन क्षेत्र से आच्छादित उत्तराखंड में व्यापक विकास परियोजनाओं में वन विभाग की भी अहम भूमिका रही है। अब तक वन विभाग विकास परियोजनाओं के लिए 40 हजार हेक्टेयर वन भूमि हस्तांतरित कर चुका है। इसके साथ ही वरिष्ठ आइएफएस अधिकारियों का अनुभव व सहयोग भी प्रदेश हित में काम आ रहा है।
देहरादून स्थित वन मुख्यालय में दो दिवसीय वन सेवा संघ उत्तराखंड के वार्षिक सम्मेलन में विभाग की अलग-अलग योजनाओं, चुनौतियों और उपलब्धियों पर विस्तार से चर्चा में फील्डकर्मियों के सामूहिक प्रयासों की सराहना भी की गई।वन सेवा संघ के अध्यक्ष आईएफएस कपिल लाल ने बताया कि उत्तराखंड में इको-पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर कार्य किए जा रहे हैं. इस दिशा में 69 नई साइट्स को चिह्नित किया गया है, जिनमें से 32 साइट्स पर कार्य प्रगति पर है. इसके अलावा चारधाम परियोजना, दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे, ऑल वेदर रोड जैसी महत्वपूर्ण ढांचागत परियोजनाओं की फास्ट-ट्रैकिंग में भारतीय वन सेवा के अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
उत्तराखंड में हर साल जंगल की आग एक बड़ी चुनौती होती है। इसे रोकने और बेहतर प्रबंधन के लिए वन विभाग ने नवाचार अपनाए हैं। इस क्रम में चीड़-पिरूल ब्रिकेट इकाइयां स्थापित की गईं। वर्ष 2024 में 40 हजार क्विंटल चीड़ पिरूल का संग्रहण किया गया, और वर्ष 2025 में एक लाख क्विंटल का लक्ष्य रखा गया है।
इसके अलावा शीतलाखेत, अल्मोड़ा में 1200 से अधिक ग्रामीणों और वन पंचायत सरपंचों को एक्सपोजर विजिट कराया गया, जिससे वे जंगलों के बेहतर प्रबंधन की तकनीकों को समझ सकें. वन विभाग ने जंगलों में आग लगने की जानकारी और निगरानी के लिए एक मोबाइल एप “फॉरेस्ट फायर उत्तराखंड” विकसित किया है। इसके अलावा वन मुख्यालय में अत्याधुनिक एकीकृत नियंत्रण एवं कमांड सेंटर भी स्थापित किया गया है, जिससे जंगल की आग और अन्य आपात स्थितियों की त्वरित निगरानी संभव हो सके।सम्मेलन में उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने वन सेवा अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे नागरिकों से संवाद बढ़ाएं और वन विभाग की छवि को मित्रवत बनाएं। उन्होंने कहा कि वन विभाग और अधिकारियों की उपलब्धियों को आम जनता तक पहुंचाना आवश्यक है, ताकि लोगों को इसके प्रयासों की जानकारी हो।
वन्यजीव संरक्षण में उत्तराखंड अग्रणी
वन सेवा अधिकारियों ने बताया कि वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में उत्तराखंड देशभर में अग्रणी भूमिका निभा रहा है. इसके तहत राज्य में 560 बाघों की संख्या के साथ उत्तराखंड का देश में तीसरा स्थान है, 2060 हाथियों की आबादी के साथ उत्तराखंड पांचवें स्थान पर है. 124 हिम तेंदुओं के साथ उत्तराखंड देश में दूसरे स्थान पर है. राजाजी टाइगर रिजर्व में सफल बाघ ट्रांसलोकेशन परियोजना ने वन विभाग की प्रतिष्ठा को और बढ़ाया है। वन विभाग की मदद से उत्तराखंड में विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखने के प्रयास किए जा रहे हैं. जहां एक ओर राज्य की विकास परियोजनाओं के लिए 40 हजार हेक्टेयर भूमि हस्तांतरित की गई है, वहीं दूसरी ओर वन्यजीव संरक्षण, जंगल की आग प्रबंधन और इको-पर्यटन को भी प्राथमिकता दी जा रही है।
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उत्तराखंड में विकास योजनाओं को मिली 40 हजार हेक्टेयर वन भूमि, 69 नई साइट्स की गई हैं चिन्हित
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दस्तक पहाड न्यूज / देहरादून। सत्तर प्रतिशत वन क्षेत्र से आच्छादित उत्तराखंड में व्यापक विकास परियोजनाओं में वन विभाग की भी अहम भूमिका रही है। अब तक वन
विभाग विकास परियोजनाओं के लिए 40 हजार हेक्टेयर वन भूमि हस्तांतरित कर चुका है। इसके साथ ही वरिष्ठ आइएफएस अधिकारियों का अनुभव व सहयोग भी प्रदेश हित में काम
आ रहा है।
देहरादून स्थित वन मुख्यालय में दो दिवसीय वन सेवा संघ उत्तराखंड के वार्षिक सम्मेलन में विभाग की अलग-अलग योजनाओं, चुनौतियों और उपलब्धियों पर विस्तार से
चर्चा में फील्डकर्मियों के सामूहिक प्रयासों की सराहना भी की गई।वन सेवा संघ के अध्यक्ष आईएफएस कपिल लाल ने बताया कि उत्तराखंड में इको-पर्यटन को बढ़ावा
देने के लिए बड़े पैमाने पर कार्य किए जा रहे हैं. इस दिशा में 69 नई साइट्स को चिह्नित किया गया है, जिनमें से 32 साइट्स पर कार्य प्रगति पर है. इसके अलावा चारधाम
परियोजना, दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे, ऑल वेदर रोड जैसी महत्वपूर्ण ढांचागत परियोजनाओं की फास्ट-ट्रैकिंग में भारतीय वन सेवा के अधिकारियों की
महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
उत्तराखंड में हर साल जंगल की आग एक बड़ी चुनौती होती है। इसे रोकने और बेहतर प्रबंधन के लिए वन विभाग ने नवाचार अपनाए हैं। इस क्रम में चीड़-पिरूल ब्रिकेट
इकाइयां स्थापित की गईं। वर्ष 2024 में 40 हजार क्विंटल चीड़ पिरूल का संग्रहण किया गया, और वर्ष 2025 में एक लाख क्विंटल का लक्ष्य रखा गया है।
आगजनी रोकने के लिए खास उपाय
इसके अलावा शीतलाखेत, अल्मोड़ा में 1200 से अधिक ग्रामीणों और वन पंचायत सरपंचों को एक्सपोजर विजिट कराया गया, जिससे वे जंगलों के बेहतर प्रबंधन की तकनीकों को
समझ सकें. वन विभाग ने जंगलों में आग लगने की जानकारी और निगरानी के लिए एक मोबाइल एप "फॉरेस्ट फायर उत्तराखंड" विकसित किया है। इसके अलावा वन मुख्यालय में
अत्याधुनिक एकीकृत नियंत्रण एवं कमांड सेंटर भी स्थापित किया गया है, जिससे जंगल की आग और अन्य आपात स्थितियों की त्वरित निगरानी संभव हो सके।सम्मेलन में
उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने वन सेवा अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे नागरिकों से संवाद बढ़ाएं और वन विभाग की छवि को मित्रवत बनाएं। उन्होंने
कहा कि वन विभाग और अधिकारियों की उपलब्धियों को आम जनता तक पहुंचाना आवश्यक है, ताकि लोगों को इसके प्रयासों की जानकारी हो।
वन्यजीव संरक्षण में उत्तराखंड अग्रणी
वन सेवा अधिकारियों ने बताया कि वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में उत्तराखंड देशभर में अग्रणी भूमिका निभा रहा है. इसके तहत राज्य में 560 बाघों की संख्या के साथ
उत्तराखंड का देश में तीसरा स्थान है, 2060 हाथियों की आबादी के साथ उत्तराखंड पांचवें स्थान पर है. 124 हिम तेंदुओं के साथ उत्तराखंड देश में दूसरे स्थान पर है.
राजाजी टाइगर रिजर्व में सफल बाघ ट्रांसलोकेशन परियोजना ने वन विभाग की प्रतिष्ठा को और बढ़ाया है। वन विभाग की मदद से उत्तराखंड में विकास और पर्यावरण
संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखने के प्रयास किए जा रहे हैं. जहां एक ओर राज्य की विकास परियोजनाओं के लिए 40 हजार हेक्टेयर भूमि हस्तांतरित की गई है, वहीं दूसरी
ओर वन्यजीव संरक्षण, जंगल की आग प्रबंधन और इको-पर्यटन को भी प्राथमिकता दी जा रही है।