रुद्रप्रयाग संगम पर घूम रही थी एक बालिका, तो वन स्टाॅप सेंटर व चाइल्ड हेल्पलाइन ने दिखाई तत्परता
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06/05/20253:54 pm
दस्तक पहाड़ न्यूज, रुद्रप्रयाग।।
चाइल्ड हेल्प लाइन रुद्रप्रयाग को स्थानीय निवासी अरविंद पंवार द्वारा सूचना दी गई कि रुद्रप्रयाग संगम पर एक नाबालिग लड़की दो या तीन घंटे से घूम रही है जो नेपाली मूल की प्रतीत होती है।
सूचना मिलते ही तत्काल चाइल्ड हेल्प लाइन से परियोजना समन्वयक और बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष द्वारा मौके पर जाकर बालिका से विस्तारपूर्वक बात की गई तथा उसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर बालिका के पिता दीपक धामी से बात की गई जो कि रानीखेत में रहते हैं। उनके द्वारा बताया गया कि कविता अपनी मां की मृत्यु के पश्चात अपनी बड़ी बहन सरिता देवी के साथ रह रही थी और 4 मई 2025 को शाम को रानीखेत से श्रीनगर अपनी बहन सरिता के साथ आई जहां सरिता उसे बिना कुछ बताए वहीं छोड़कर अपने घर चली गई। कविता किसी ट्रक वाले की सहायता से रुद्रप्रयाग बाईपास तक आ गई और घूमते-घूमते रुद्रप्रयाग संगम पहुंच गई।
चाइल्ड हेल्पलाइन की सहायता से कविता के दीदी और जीजा से बात की गई, जो वर्तमान में सिमली, कर्णप्रयाग में निवास कर रहे हैं। उनके आने तक कविता को वन स्टॉप सेंटर में रखा गया तथा दिनांक 6 मई 2025 को कविता को वन स्टॉप सेंटर, बाल कल्याण समिति और चाइल्ड हेल्पलाइन के संरक्षण में सकुशल उसके जीजा नीम बहादुर को बुलाकर उन्हें सौंप दिया गया है।
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रुद्रप्रयाग संगम पर घूम रही थी एक बालिका, तो वन स्टाॅप सेंटर व चाइल्ड हेल्पलाइन ने दिखाई तत्परता
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चाइल्ड हेल्प लाइन रुद्रप्रयाग को स्थानीय निवासी अरविंद पंवार द्वारा सूचना दी गई कि रुद्रप्रयाग संगम पर एक नाबालिग लड़की दो या तीन घंटे से घूम रही है जो
नेपाली मूल की प्रतीत होती है।
सूचना मिलते ही तत्काल चाइल्ड हेल्प लाइन से परियोजना समन्वयक और बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष द्वारा मौके पर जाकर बालिका से विस्तारपूर्वक बात की गई तथा
उसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर बालिका के पिता दीपक धामी से बात की गई जो कि रानीखेत में रहते हैं। उनके द्वारा बताया गया कि कविता अपनी मां की मृत्यु
के पश्चात अपनी बड़ी बहन सरिता देवी के साथ रह रही थी और 4 मई 2025 को शाम को रानीखेत से श्रीनगर अपनी बहन सरिता के साथ आई जहां सरिता उसे बिना कुछ बताए वहीं छोड़कर
अपने घर चली गई। कविता किसी ट्रक वाले की सहायता से रुद्रप्रयाग बाईपास तक आ गई और घूमते-घूमते रुद्रप्रयाग संगम पहुंच गई।
चाइल्ड हेल्पलाइन की सहायता से कविता के दीदी और जीजा से बात की गई, जो वर्तमान में सिमली, कर्णप्रयाग में निवास कर रहे हैं। उनके आने तक कविता को वन स्टॉप
सेंटर में रखा गया तथा दिनांक 6 मई 2025 को कविता को वन स्टॉप सेंटर, बाल कल्याण समिति और चाइल्ड हेल्पलाइन के संरक्षण में सकुशल उसके जीजा नीम बहादुर को बुलाकर
उन्हें सौंप दिया गया है।