यहां भी इंसान ही रहते हैं, जिनकी अपनी दैनिक जरूरतें हैं, सामान नहीं उतारेंगे तो लोकल को सामान कैसे मिलेगा…पुलिस की कार्यशैली से नाराज़ हुआ अगस्त्यमुनि व्यापार संघ
1 min read08/05/2025 3:05 pm
दीपक बेंजवाल/ दस्तक पहाड़ अगस्त्यमुनि।।
यहां भी इंसान ही रहते हैं, जिनकी अपनी दैनिक जरूरतें हैं, सामान नहीं उतारेंगे तो लोकल को सामान कैसे मिलेगा, सामान नहीं रहेगा तो दुकानें कैसे चलेंगी। रात चलने के बाद भी राशन, सामान के ट्रकों को यहां आते-आते समय लग जाता है, अब थोड़ी सहूलियत लोकल को भी मिलनी चाहिए। स्थानीय जनता को भी सामान लेना, चढ़ाना है। लेकिन गाड़ी के ब्रैक लगते ही पुलिस वाले आगे बढ़ने को कहते है… ये कहना है अगस्त्यमुनि नगर क्षेत्र के तमाम व्यापारियों का जो पुलिस की कार्यशैली से अज़ीज़ आ चुके है।
दरअसल केदारनाथ यात्रा यातायात व्यवस्था के नाम पर पुलिस के साथ बनाई सहमति के बाद भी अगस्तयमुनि में व्यापारी बड़ी परेशानी झेलने को मजबूर हो गए हैं। जिसके चलते आज व्यापार संघ अध्यक्ष त्रिभुवन नेगी की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल जिसमें व्यापार संघ प्रदेश महामंत्री मोहन सिंह रौतेला,पूर्व व्यापार संघ अध्यक्ष नवीन बिष्ट, मंडल अध्यक्ष मनोज राणा, प्रकाश गुनसोला, कैलाश भट्ट, मोहित विपिन रावत सहित व्यापारी थानाध्यक्ष महेश रावत के समक्ष अपनी परेशानी रखने पहुंचे।
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व्यापार संघ के अध्यक्ष त्रिभुवन नेगी बताते है कि यात्रा यातायात व्यवस्था और बाजार क्षेत्र में पार्किंग को लेकर पुलिस के साथ व्यापार संघ द्वारा एक सहमति बनाई गई लेकिन बाजार क्षेत्र में ना तो माल उतारने की अनुमति दी जा रही है और ना ही यात्री वाहनों को मंदिर दर्शन करने के लिए सुविधा दी जा रही है। इससे व्यापारियों में खास रोष है। व्यापारियों का कहना है कि यहां भी इंसान रहते हैं जिनकी अपनी दैनिक जरूरतें हैं, दूर दराज के गांवों से हर दिन बड़ी संख्या में लोग बाजार आते हैं और अपनी जरुरी खरीददारी करते हैं ऐसे में उनको भी कुछ सहूलियत मिलनी चाहिए। वहीं पुलिस के साथ बनी सहमति के अनुसार अगस्त्यमुनि मंदिर दर्शन और यात्रियों द्वारा सामान, दवाई के लिए रियायत थी, गर्ल्स स्कूल के सामने पार्किंग को आरक्षित किया गया था, लेकिन अब यहां रुकने नहीं दिया जा रहा है। पुलिस के जवान बाजार में गाड़ियों के ब्रैक लगते ही आगे जाने को कहते हैं। कई बार लोकल सवारी चढ़ उतर नहीं पा रही है। वहीं यात्री भी ना तो बाजार में कुछ खरीद पाते हैं और ना ही मंदिर दर्शनों के लिए जा पा रहे हैं। उनका कहना है कि स्थानीय व्यापारियों को भी सामान उतारने नहीं दिया जा रहा है।
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