अगस्त्यमुनि, रुद्रप्रयाग | 22 मई 2025: उत्तराखंड में राज्य सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों एवं पेंशनर्स को दी जा रही गोल्डन कार्ड योजना गंभीर संकट में है। इस योजना के अंतर्गत कर्मचारियों और पेंशनर्स को चिकित्सा सुविधा हेतु कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान की जाती थी, जिसके लिए वेतन से प्रतिमाह अंशदान की कटौती की जा रही है। परंतु विगत दो महीनों से निजी अस्पतालों ने इस योजना के तहत इलाज देना बंद कर दिया है।

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सूत्रों के अनुसार, निजी अस्पतालों का कहना है कि राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा उनका करोड़ों रुपये का भुगतान लंबित है। ऐसे में अब यदि कोई कर्मचारी या पेंशनर किसी निजी अस्पताल में भर्ती होता है तो गोल्डन कार्ड दिखाने के बावजूद उसे कैशलेस इलाज नहीं मिल पा रहा है। इससे पेंशनर्स और कर्मचारियों में भारी असंतोष और असुरक्षा का माहौल बन गया है। भुगतान में देरी, प्रतिपूर्ति भी अटकी जो कर्मचारी अपनी जेब से खर्च कर चिकित्सा प्रतिपूर्ति का दावा प्रस्तुत कर रहे हैं, उन्हें भी महीनों से भुगतान नहीं मिल रहा है। ऐसी स्थिति में जब नियमित वेतन कटौती हो रही है और बदले में कोई सुविधा नहीं मिल रही, तो कर्मचारी स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। स्वास्थ्य बीमा योजनाएं छोड़ी, अब भारी नुकसान कई पेंशनर्स और कर्मचारी इस योजना पर विश्वास कर अन्य निजी स्वास्थ्य बीमा योजनाएं छोड़ चुके थे। अब जब गोल्डन कार्ड योजना ठप हो गई है, तो उन्हें इलाज में भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। पेंशनर्स संगठन का सरकार से आग्रह सेवानिवृत्त राजकीय पेंशनर्स संगठन, अगस्त्यमुनि रुद्रप्रयाग के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद पुरोहित ने राज्य सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द इस योजना को फिर से सक्रिय किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस दिशा में शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो पेंशनर्स को आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा। "एकता में ही शक्ति है",संगठन ने सभी सेवानिवृत्त कर्मचारियों से संगठित रहने की अपील की है ताकि अपनी जायज़ मांगों के लिए एकजुट होकर आवाज़ उठाई जा सके।