“मेरा गांव, मेरा तीर्थ” थीम पर त्यूंग गांव में नई पहल, दिखा एकता, परंपरा और सम्मान का अनूठा संगम
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13/06/20253:21 pm
दस्तक पहाड़ न्यूज अगस्त्यमुनि।।
“मेरा गांव, मेरा तीर्थ” की भावना को साकार करती हुई त्यूंग गांव के ग्रामीणों ने एक प्रेरणादायक पहल “आओ चलें गांव की ओर” के अंतर्गत त्रिदिवसीय भव्य आयोजन की शुरुआत की है। इस आयोजन की अध्यक्षता विशंभर दत्त सेमवाल ने की, जिन्होंने गांववासियों को अपने सांस्कृतिक मूल से जुड़ने और बुजुर्गों के अनुभव को सम्मान देने का संदेश दिया।कार्यक्रम की शुरुआत गांव के आराध्य देव भगवान भूतनाथ की विधिवत पूजा अर्चना से हुई, जिसमें पश्वा श्री विजयपाल सिंह पर भूतनाथ जी का अवतरण हुआ। इसके उपरांत तुंगेश्वर महादेव और वन देवता का पूजन कर गांववासियों ने अपने परंपरागत धर्म और संस्कृति के प्रति आस्था प्रकट की।
गांव की इस पवित्र भूमि पर एकत्र हुए समस्त ग्रामवासियों ने वर्षों बाद एकता और उल्लास का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत किया। इस आयोजन में गांव के तीन सबसे बुजुर्ग पुरुषों जिनमें विशंभर दत्त सेमवाल (सेवानिवृत्त धर्म शिक्षक), रमेश चंद्र सेमवाल (सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य), अनुसूया प्रसाद सकलानी (सेवानिवृत्त फार्मासिस्ट) तथा तीन आदरणीय वृद्ध महिलाओं श्रीमती नर्मदा देवी, श्रीमती कल्पेश्वरी देवी, श्रीमती सत्येश्वरी देवी को समस्त ग्रामवासियों द्वारा ससम्मान सम्मानित किया गया। इस अवसर पर विशेष रूप से तुंगेश्वर महादेव के महंत श्री भवानंद नंद जी तथा भूतनाथ जी के पश्वा विजयपाल सिंह को भी सम्मानित कर गांववासियों ने अपनी आस्था और परंपरा के प्रति कृतज्ञता प्रकट की।
त्यूंग के ग्रामीण आचार्य गंगाराम सकलानी ने बताया कि यह त्रिदिवसीय आयोजन केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम भर नहीं है बल्कि गांव के आत्म-चिंतन, आपसी जुड़ाव और सामाजिक पुनर्जागरण का प्रतीक बनकर उभरा है। यह आयोजन पुरानी और नयी पीढ़ी के बीच मिलन और उम्मीदों को भी ताजगी प्रदान कर रहा है।
एक असली गांव की आत्मा की झलक
इस आयोजन को खास बनाने के लिए सांझ के समय सभी ग्रामवासी सामूहिक भोज में सहभागी होंगे, जिसमें भोजन पकाने से लेकर परोसने तक सभी लोग मिलजुलकर सहयोग कर रहे हैं।इसके अतिरिक्त कार्यक्रम के अंतर्गत एक विधिवत बैठक का आयोजन भी किया गया, जिसमें गांव की विभिन्न समस्याओं जैसे सड़क, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर विचार-विमर्श किया गया।
“मेरा गांव, मेरा तीर्थ” — इस संकल्प को जीते हुए त्यूंग गांव आज एक आदर्श उदाहरण बन गया है कि कैसे परंपरा, एकता और सम्मान के साथ गांव का विकास संभव है।
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"मेरा गांव, मेरा तीर्थ" की भावना को साकार करती हुई त्यूंग गांव के ग्रामीणों ने एक प्रेरणादायक पहल "आओ चलें गांव की ओर" के अंतर्गत त्रिदिवसीय भव्य आयोजन की
शुरुआत की है। इस आयोजन की अध्यक्षता विशंभर दत्त सेमवाल ने की, जिन्होंने गांववासियों को अपने सांस्कृतिक मूल से जुड़ने और बुजुर्गों के अनुभव को सम्मान
देने का संदेश दिया।कार्यक्रम की शुरुआत गांव के आराध्य देव भगवान भूतनाथ की विधिवत पूजा अर्चना से हुई, जिसमें पश्वा श्री विजयपाल सिंह पर भूतनाथ जी का
अवतरण हुआ। इसके उपरांत तुंगेश्वर महादेव और वन देवता का पूजन कर गांववासियों ने अपने परंपरागत धर्म और संस्कृति के प्रति आस्था प्रकट की।
गांव की इस पवित्र भूमि पर एकत्र हुए समस्त ग्रामवासियों ने वर्षों बाद एकता और उल्लास का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत किया। इस आयोजन में गांव के तीन सबसे बुजुर्ग
पुरुषों जिनमें विशंभर दत्त सेमवाल (सेवानिवृत्त धर्म शिक्षक), रमेश चंद्र सेमवाल (सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य), अनुसूया प्रसाद सकलानी (सेवानिवृत्त
फार्मासिस्ट) तथा तीन आदरणीय वृद्ध महिलाओं श्रीमती नर्मदा देवी, श्रीमती कल्पेश्वरी देवी, श्रीमती सत्येश्वरी देवी को समस्त ग्रामवासियों द्वारा ससम्मान
सम्मानित किया गया। इस अवसर पर विशेष रूप से तुंगेश्वर महादेव के महंत श्री भवानंद नंद जी तथा भूतनाथ जी के पश्वा विजयपाल सिंह को भी सम्मानित कर गांववासियों
ने अपनी आस्था और परंपरा के प्रति कृतज्ञता प्रकट की।
त्यूंग के ग्रामीण आचार्य गंगाराम सकलानी ने बताया कि यह त्रिदिवसीय आयोजन केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम भर नहीं है बल्कि गांव के आत्म-चिंतन, आपसी जुड़ाव
और सामाजिक पुनर्जागरण का प्रतीक बनकर उभरा है। यह आयोजन पुरानी और नयी पीढ़ी के बीच मिलन और उम्मीदों को भी ताजगी प्रदान कर रहा है।
एक असली गांव की आत्मा की झलक
इस आयोजन को खास बनाने के लिए सांझ के समय सभी ग्रामवासी सामूहिक भोज में सहभागी होंगे, जिसमें भोजन पकाने से लेकर परोसने तक सभी लोग मिलजुलकर सहयोग कर रहे
हैं।इसके अतिरिक्त कार्यक्रम के अंतर्गत एक विधिवत बैठक का आयोजन भी किया गया, जिसमें गांव की विभिन्न समस्याओं जैसे सड़क, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं
पर विचार-विमर्श किया गया।
"मेरा गांव, मेरा तीर्थ" — इस संकल्प को जीते हुए त्यूंग गांव आज एक आदर्श उदाहरण बन गया है कि कैसे परंपरा, एकता और सम्मान के साथ गांव का विकास संभव है।