पंचायत चुनाव से ठीक पहले हाईकोर्ट का बड़ा फैसला,निर्वाचन आयोग के आदेश पर रोक
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11/07/20254:44 pm
दस्तक पहाड़ न्यूज नैनीताल।।
उत्तराखण्ड में पंचायती चुनावों से ठीक पहले उच्च न्यायालय ने चुनाव याचिका को सुनते हुए एक व्यक्ति एक वोटर के नियम का सख्ती से पालन करने को कह दिया है। मुख्य न्यायाधीश जे नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने राज्य निर्वाचन आयोग के बीती 6 जुलाई के स्पष्टीकरण आदेश पर रोक लगा दी है।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि रुद्रप्रयाग निवासी सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार शक्ति सिंह बर्थवाल ने उच्च न्यायालय में चुनाव संबंधी याचिका डाली। उन्होंने, कहा कि विगत 6 जुलाई को राज्य निर्वाचन आयोग ने स्पष्टीकरण नोटिस निकालकर सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को ये छूट दे दी कि वो पंचायती अधिनियमों की अन्य धाराओं के अंतर्गत आवेदनों की जांच करें।अभिजय ने कहा कि नियमानुसार एक व्यक्ति एक जगह का वोटर ही हो सकता है। न्यायालय ने याचिकाकर्ता की प्रार्थना को सही मानते हुए 6 जुलाई के आदेश पर रोक लगा दी है। न्यायालय ने कहा कि, चुनाव एक्ट के अनुसार ही कराए जाएंगे अर्थात एक इंसान एक जगह का वोटर ही हो सकता है और एक जगह ही चुनाव लड़ सकता है। ये भी कहा कि अब इस आदेश के बाद चुनाव आयोग पर है कि वो स्क्रूटिनी दोबारा करते हैं या अवमानना की स्थिति हो जाती है। बताया कि नियमानुसार एक व्यक्ति को एक जगह ही वोटर होना चाहिए, अगर वो दो जगह वोटर है तो उसका एक जगह से नाम हटना चाहिए।
उत्तराखंड हाईकोर्ट की डबल बेंच ने अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि जिन व्यक्तियों के नाम नगर निकाय और ग्राम पंचायत दोनों मतदाता सूचियों में दर्ज हैं, वे न तो दो बार मतदान कर सकते हैं और न ही पंचायत चुनाव लड़ सकते हैं। इस निर्णय से प्रदेशभर में चल रहे पंचायती चुनावों में कई प्रत्याशियों के चेहरे मुरझा गए हैं, जो जनवरी माह में हुए नगर निकाय चुनावों में हिस्सा लेने के बाद अब पंचायत चुनावों में भी अपना भाग्य आजमा रहे थे।कोर्ट के अनुसार, एक व्यक्ति दो अलग-अलग स्थानों या क्षेत्रों की मतदाता सूची में शामिल नहीं हो सकता। ऐसा करना न केवल नियम विरुद्ध है, बल्कि यह लोकतांत्रिक व्यवस्था की मूल भावना के खिलाफ भी है।इस आदेश के बाद जिला निर्वाचन कार्यालयों में हलचल तेज हो गई है। विभिन्न जनपदों में ऐसे प्रत्याशियों की जांच शुरू हो चुकी है, जिनके नाम दोनों मतदाता सूचियों में दर्ज हैं। संभावित अयोग्यता के चलते कई नामांकन निरस्त होने की संभावना है।
पंचायत चुनाव से ठीक पहले हाईकोर्ट का बड़ा फैसला,निर्वाचन आयोग के आदेश पर रोक
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उत्तराखण्ड में पंचायती चुनावों से ठीक पहले उच्च न्यायालय ने चुनाव याचिका को सुनते हुए एक व्यक्ति एक वोटर के नियम का सख्ती से पालन करने को कह दिया है।
मुख्य न्यायाधीश जे नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने राज्य निर्वाचन आयोग के बीती 6 जुलाई के स्पष्टीकरण आदेश पर रोक लगा दी है।याचिकाकर्ता
के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि रुद्रप्रयाग निवासी सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार शक्ति सिंह बर्थवाल ने उच्च न्यायालय में चुनाव संबंधी याचिका
डाली। उन्होंने, कहा कि विगत 6 जुलाई को राज्य निर्वाचन आयोग ने स्पष्टीकरण नोटिस निकालकर सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को ये छूट दे दी कि वो पंचायती
अधिनियमों की अन्य धाराओं के अंतर्गत आवेदनों की जांच करें।अभिजय ने कहा कि नियमानुसार एक व्यक्ति एक जगह का वोटर ही हो सकता है। न्यायालय ने याचिकाकर्ता की
प्रार्थना को सही मानते हुए 6 जुलाई के आदेश पर रोक लगा दी है। न्यायालय ने कहा कि, चुनाव एक्ट के अनुसार ही कराए जाएंगे अर्थात एक इंसान एक जगह का वोटर ही हो
सकता है और एक जगह ही चुनाव लड़ सकता है। ये भी कहा कि अब इस आदेश के बाद चुनाव आयोग पर है कि वो स्क्रूटिनी दोबारा करते हैं या अवमानना की स्थिति हो जाती है।
बताया कि नियमानुसार एक व्यक्ति को एक जगह ही वोटर होना चाहिए, अगर वो दो जगह वोटर है तो उसका एक जगह से नाम हटना चाहिए।
उत्तराखंड हाईकोर्ट की डबल बेंच ने अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि जिन व्यक्तियों के नाम नगर निकाय और ग्राम पंचायत दोनों मतदाता सूचियों में दर्ज हैं, वे न
तो दो बार मतदान कर सकते हैं और न ही पंचायत चुनाव लड़ सकते हैं। इस निर्णय से प्रदेशभर में चल रहे पंचायती चुनावों में कई प्रत्याशियों के चेहरे मुरझा गए हैं,
जो जनवरी माह में हुए नगर निकाय चुनावों में हिस्सा लेने के बाद अब पंचायत चुनावों में भी अपना भाग्य आजमा रहे थे।कोर्ट के अनुसार, एक व्यक्ति दो अलग-अलग
स्थानों या क्षेत्रों की मतदाता सूची में शामिल नहीं हो सकता। ऐसा करना न केवल नियम विरुद्ध है, बल्कि यह लोकतांत्रिक व्यवस्था की मूल भावना के खिलाफ भी
है।इस आदेश के बाद जिला निर्वाचन कार्यालयों में हलचल तेज हो गई है। विभिन्न जनपदों में ऐसे प्रत्याशियों की जांच शुरू हो चुकी है, जिनके नाम दोनों मतदाता
सूचियों में दर्ज हैं। संभावित अयोग्यता के चलते कई नामांकन निरस्त होने की संभावना है।