अगस्त्यमुनि। हिमवंत कवि चंद्र कुवर बर्त्वाल की स्मृति में उनके जन्म दिन के उपलक्ष पर आयोजित समारोह में इस वर्ष का ‘हिमवंत साहित्य सम्मान’ प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. उमेश चमोला को प्रदान किया जाएगा। यह सम्मान उन्हें 22 अगस्त 2025 को अटल उत्कृष्ट राजकीय इंटर कॉलेज अगस्त्यमुनि में आयोजित कवि चन्द्र कुंवर बर्त्वाल साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मेले में केदारनाथ विधायक आशा नौटियाल द्वारा दिया जाएगा। यह जानकारी देते हुए चंद्र कुंवर बर्त्वाल शोध संस्थान के अध्यक्ष हरीश गुसाईं ने कहा कि डॉ. उमेश चमोला का रचना संसार केवल साहित्य तक सीमित नहीं है, वह लोक जीवन, शिक्षा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समृद्ध है। उनका सम्मान वास्तव में उत्तराखंडी अस्मिता और ज्ञान परंपरा का सम्मान है।

Featured Image

डॉ. उमेश चमोला का साहित्य, शिक्षा और लोकसंस्कृति के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान रहा है। ग्राम कौशलपुर, जनपद रुद्रप्रयाग में जन्मे डॉ. चमोला ने एम.एससी., एम.एड., पत्रकारिता में स्नातक (रजत पदक) की उपाधि प्राप्त की है। वे साहित्य की विविध विधाओं - कविता, उपन्यास, नाटक, लोककथा, व्यंग्य, विज्ञान कथा और शोध लेखन में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं। उनकी प्रमुख कृतियों में राष्ट्रदीप्ति, फूल, पथ्यला, नंतीनो की सजोली जैसी काव्य रचनाएं शामिल हैं, वहीं निर्बजु, कचकि, अबवलो जैसे गढ़वाली उपन्यास भी साहित्य जगत में चर्चित रहे हैं। निर्बजु को श्री गुरुराम राय विश्वविद्यालय, देहरादून द्वारा एमए पाठ्यक्रम में भी सम्मिलित किया गया है। वे उत्तराखंड की 300 से अधिक लोक कथाओं के संकलन, प्रस्तुतीकरण और प्रसारण से भी जुड़े रहे हैं साथ ही उन्होंने गढ़वाली भाषा में लियो टॉल्सटॉय और शेक्सपीयर के रचनात्मक अनुवाद किए हैं। डॉ. चमोला ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा निर्माण में बतौर चेयरपर्सन योगदान दिया। वे कक्षा 3 से 10 तक की शैक्षिक पुस्तकों के निर्माण, वित्त साक्षरता, पर्यावरण शिक्षा, स्वच्छता, आपदा प्रबंधन आदि विषयों पर लेखन और संपादन कार्य में सक्रिय रहे हैं। उनके द्वारा तैयार की गई पठन सामग्री, रेडियो वार्ताएं, पोडकास्ट और बाल साहित्य ने शिक्षा के क्षेत्र में ठोस प्रभाव डाला है। उनके द्वारा गढ़वाली और कुमाउनी बाल साहित्य को जोड़कर तैयार किया गया नंतीनो की सजोली उत्तराखंड का पहला संयुक्त बाल काव्य संकलन है। यह उनके नवाचारी और समावेशी दृष्टिकोण को दर्शाता है। उनकी रचनाएं आज केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि विविध मंचों, ऑनलाइन पत्रिकाओं, यूट्यूब चैनलों और सरकारी शैक्षणिक योजनाओं के माध्यम से आमजन तक पहुँच रही हैं। डॉ. उमेश चमोला को मिलने जा रहा ‘हिमवंत साहित्य सम्मान’ न केवल एक व्यक्ति को बल्कि संपूर्ण उत्तराखंडी लोक भाषा, लोक साहित्य और लोक चेतना को ससम्मान प्रतिष्ठित करता है।