जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम जी महाराज की जन्मस्थली बेंजी बना रुद्रप्रयाग का आदर्श संस्कृत ग्राम, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया भव्य शुभारंभ
1 min read10/08/2025 8:05 pm
दस्तक पहाड न्यूज, बेंजी।। उत्तराखंड राज्य की द्वितीय राजभाषा संस्कृत के प्रचार-प्रसार एवं सार्वभौमिकरण के उद्देश्य से प्रदेश के 12 जनपदों में एक-एक गांव को संस्कृत ग्राम घोषित किया गया है। रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इन संस्कृत ग्रामों का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया। रुद्रप्रयाग जनपद के अंतर्गत जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम जी महाराज की जन्मस्थली ग्राम बेंजी को भी संस्कृत ग्राम घोषित किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रुद्रप्रयाग विधायक भरत सिंह चौधरी ने ग्रामीणों की मांग पर शंकराचार्य द्वार निर्माण की घोषणा की। विधायक प्रतिनिधि अनूप सेमवाल ने कहा “आज बेंजी गांव का संस्कृत ग्राम के रूप में उद्घाटन केवल एक सम्मान नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है।” विशिष्ट अतिथि गढ़वाल श्री महंत शिवानंद गिरी ने कहा “संस्कृत केवल भाषा नहीं, यह जीवन जीने की कला है। इसकी सीख से समाज में आध्यात्मिकता, नैतिकता और एकता का विकास होता है।” संघ प्रचारक पंकज जी ने कहा “संस्कृत में हमारी संपूर्ण सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर समाई हुई है। इसका संरक्षण राष्ट्रधर्म है।” पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष अरूणा देवी बेंजवाल ने कहा “बेंजी गांव ने हमेशा से समाज को संस्कृति और शिक्षा में दिशा दी है, संस्कृत ग्राम की उपाधि इस गौरव को और बढ़ाएगी।” सहायक निदेशक संस्कृत शिक्षा मनसाराम मैंदुली ने कहा“यह वही पवित्र भूमि है, जहां से जगद्गुरु शंकराचार्य माधवाश्रम महाराज ने विश्व में भारतीय संस्कृत ज्ञान परंपरा का प्रचार-प्रसार किया। अब यह गांव संस्कृत के प्रसार का जीवंत केंद्र बनेगा।” शंकराचार्य समिति बेंजी के अध्यक्ष अयोध्या प्रसाद बेंजवाल ने संपूर्ण ग्राम की ओर से सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कि “संपूर्ण ग्रामवासी इस सम्मान के लिए कृतज्ञ हैं। हम संकल्प लेते हैं कि संस्कृत को जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाएंगे।” शिक्षाविद चंद्रशेखर बेंजवाल ने कहा “संस्कृत में हमारे ज्ञान का भंडार सुरक्षित है, इसे पढ़ना और सिखाना हमारी जिम्मेदारी है।” आचार्य उमेश भट्ट, मयकोटी ने कहा “संस्कृत ग्राम बनने से बच्चों और युवाओं को भाषा सीखने का अनुकूल माहौल मिलेगा।” आचार्य मनोज नौटियाल, बसुकेदार ने कहा “संस्कृत हमारी राष्ट्रीय एकता की भाषा है, इसकी शिक्षा से समाज में समरसता आती है।” आचार्य वासुदेव सेमवाल ने कहा “संस्कृत से हमें अपनी जड़ों की पहचान होती है। यह भाषा हमें आत्मगौरव देती है।” आचार्य त्रिलोकेश्वर बेंजवाल ने बताया कि “बेंजी गांव का योगदान सदैव ऐतिहासिक रहा है, संस्कृत ग्राम बनने के बाद यह योगदान और व्यापक होगा।”





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