दस्तक पहाड न्यूज, बेंजी।। उत्तराखंड राज्य की द्वितीय राजभाषा संस्कृत के प्रचार-प्रसार एवं सार्वभौमिकरण के उद्देश्य से प्रदेश के 12 जनपदों में एक-एक गांव को संस्कृत ग्राम घोषित किया गया है। रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इन संस्कृत ग्रामों का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया। रुद्रप्रयाग जनपद के अंतर्गत जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम जी महाराज की जन्मस्थली ग्राम बेंजी को भी संस्कृत ग्राम घोषित किया गया। [caption id="attachment_46736" align="alignleft" width="640"] बेंजी में आयोजित भव्य समारोह का शुभारंभ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया। ग्रामीणों ने मंगलाचरण कर देवताओं का

Featured Image

आह्वान स्तवन प्रस्तुत किया। तक्षशिला पब्लिक स्कूल, चाका सिल्ली की छात्राओं ने सरस्वती वंदना व स्वागत गीत प्रस्तुत किया, जबकि राजकीय प्राथमिक विद्यालय, गंगतल के नन्हे-मुन्ने बच्चों ने संस्कृत वार्ता से उपस्थित जनमानस को मंत्रमुग्ध कर दिया।[/caption] कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रुद्रप्रयाग विधायक भरत सिंह चौधरी ने ग्रामीणों की मांग पर शंकराचार्य द्वार निर्माण की घोषणा की। विधायक प्रतिनिधि अनूप सेमवाल ने कहा “आज बेंजी गांव का संस्कृत ग्राम के रूप में उद्घाटन केवल एक सम्मान नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है।” विशिष्ट अतिथि गढ़वाल श्री महंत शिवानंद गिरी ने कहा “संस्कृत केवल भाषा नहीं, यह जीवन जीने की कला है। इसकी सीख से समाज में आध्यात्मिकता, नैतिकता और एकता का विकास होता है।” संघ प्रचारक पंकज जी ने कहा  “संस्कृत में हमारी संपूर्ण सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर समाई हुई है। इसका संरक्षण राष्ट्रधर्म है।” पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष अरूणा देवी बेंजवाल ने कहा “बेंजी गांव ने हमेशा से समाज को संस्कृति और शिक्षा में दिशा दी है, संस्कृत ग्राम की उपाधि इस गौरव को और बढ़ाएगी।” सहायक निदेशक संस्कृत शिक्षा मनसाराम मैंदुली ने कहा“यह वही पवित्र भूमि है, जहां से जगद्गुरु शंकराचार्य माधवाश्रम महाराज ने विश्व में भारतीय संस्कृत ज्ञान परंपरा का प्रचार-प्रसार किया। अब यह गांव संस्कृत के प्रसार का जीवंत केंद्र बनेगा।” शंकराचार्य समिति बेंजी के अध्यक्ष अयोध्या प्रसाद बेंजवाल ने संपूर्ण ग्राम की ओर से सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कि “संपूर्ण ग्रामवासी इस सम्मान के लिए कृतज्ञ हैं। हम संकल्प लेते हैं कि संस्कृत को जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाएंगे।” शिक्षाविद चंद्रशेखर बेंजवाल ने कहा “संस्कृत में हमारे ज्ञान का भंडार सुरक्षित है, इसे पढ़ना और सिखाना हमारी जिम्मेदारी है।” आचार्य उमेश भट्ट, मयकोटी ने कहा “संस्कृत ग्राम बनने से बच्चों और युवाओं को भाषा सीखने का अनुकूल माहौल मिलेगा।” आचार्य मनोज नौटियाल, बसुकेदार ने कहा “संस्कृत हमारी राष्ट्रीय एकता की भाषा है, इसकी शिक्षा से समाज में समरसता आती है।” आचार्य वासुदेव सेमवाल ने कहा “संस्कृत से हमें अपनी जड़ों की पहचान होती है। यह भाषा हमें आत्मगौरव देती है।” आचार्य त्रिलोकेश्वर बेंजवाल ने बताया कि “बेंजी गांव का योगदान सदैव ऐतिहासिक रहा है, संस्कृत ग्राम बनने के बाद यह योगदान और व्यापक होगा।” [caption id="attachment_46731" align="alignnone" width="640"] सहायक निदेशक संस्कृत शिक्षा एम.आर. मैंदुली ने बताया कि बेंजी गांव को संस्कृत ग्राम घोषित करने के साथ ही स्थानीय स्तर पर एक संयोजक मंडल का गठन किया गया है, जो संस्कृत भाषा को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य करेगा। उन्होंने कहा, “यह वही पवित्र भूमि है, जहां से जगद्गुरु शंकराचार्य माधवाश्रम महाराज ने संपूर्ण विश्व में भारतीय संस्कृत ज्ञान परंपरा का प्रचार-प्रसार किया और संस्कृत में अनेक ग्रंथों की रचना कर जनमानस को आलोकित किया।”कार्यक्रम का संचालन संयोजक आचार्य जगदंबा बेंजवाल ने किया। संस्कृत शिक्षक आचार्य प्रवीण प्रकाश बेंजवाल ने स्थानीय स्तर पर संस्कृत प्रसार के प्रयासों की जानकारी दी। इस अवसर पर ग्राम प्रधान डांगी गुनाऊ आलोक रौतेला, पूर्व प्रधान भट्ट गांव संतोष भट्ट, तक्षशिला पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य ओमप्रकाश बेंजवाल, सुनीता पुरोहित, राजकीय प्राथमिक विद्यालय गंगतल की प्रधानाध्यापिका सत्येश्वरी राणा, कनिष्ठ प्रमुख रमेश बेंजवाल, वेणीराम प्रसाद गोस्वामी, जगदंबा गोस्वामी, रमेश चंद्र गोस्वामी, आलोक गोस्वामी, दीपराम गोस्वामी, सर्वेश्वर बेंजवाल, वीरेंद्र दत्त बेंजवाल, सत्यप्रकाश बेंजवाल, शिवप्रसाद, जयदत्त बेंजवाल, नीलकंठ बेंजवाल, सुभाष चंद्र, अनिल बेंजवाल, सावित्री देवी, राजेश्वरी देवी, सुमेधा देवी, प्रमिला देवी, कैलाश बेंजवाल, तनमय, विश्वनाथ बेंजवाल, अरविंद बेंजवाल, संदीप बेंजवाल, प्रियधर बेंजवाल, चंद्रप्रकाश बेंजवाल, अरविंद बेंजवाल सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे।[/caption]