दस्तक पहाड न्यूज रुद्रप्रयाग।। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में हाल ही में हुई प्राकृतिक आपदा ने भारी तबाही मचाई है। बादल फटने और भूस्खलन से दर्जनों घर, दुकानें और वाहन क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इस बीच, जिला सहायक परिवहन अधिकारी ने एक महत्वपूर्ण बयान जारी करते हुए प्रभावित लोगों से अपील की है कि वे अपनी क्षतिग्रस्त गाड़ियों को सरेंडर कर दें, ताकि उन्हें रोड टैक्स और अन्य करों में राहत मिल सके। यह कदम न केवल वित्तीय बोझ कम करेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देगा।रुद्रप्रयाग जिला, जो चारधाम यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा है, अक्सर मानसून के दौरान भारी बारिश, बादल फटने और भूस्खलन की चपेट में आता है। इस वर्ष 29 अगस्त 2025 को बसुकेदार, छेनागाड़ क्षेत्र में बादल फटने से भारी तबाही हुई। जिला प्रशासन के अनुसार, इस आपदा में कई घर मलबे में दब गए, दर्जनभर से

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अधिक वाहन बह गए या क्षतिग्रस्त हो गए, और कम से कम 10 लोग लापता हो गए। एक महिला की मौत भी हो चुकी है, जबकि कई परिवारों को राहत शिविरों में स्थानांतरित किया गया है।जिलाधिकारी प्रतीक जैन ने आपदा नियंत्रण कक्ष से स्थिति की निगरानी की और राहत कार्यों को युद्ध स्तर पर चलाने के निर्देश दिए। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग (एसडीएमए) और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीमें बचाव अभियान में जुटी हुई हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी प्रभावितों के लिए मुआवजा घोषित किया है, जिसमें मृतकों के परिजनों को 4 लाख रुपये और घायलों को 1 लाख रुपये तक की सहायता शामिल है।इस आपदा ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी झटका दिया है। केदारनाथ यात्रा मार्ग पर भूस्खलन से यात्रा अस्थायी रूप से बंद हो गई, जिससे पर्यटन से जुड़े लोगों को नुकसान हुआ। विशेष रूप से, ट्रांसपोर्टर और वाहन मालिकों को भारी क्षति पहुंची है, क्योंकि कई ट्रक, कार और बसें नदियों में बह गईं या मलबे में दब गईं।इस संदर्भ में, जिला परिवहन अधिकारी (डीटीओ) रुद्रप्रयाग ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है। बयान में कहा गया है, "जिन लोगों की गाड़ियां आपदा से क्षतिग्रस्त हुई हैं, उनको सरेंडर कर दें ताकि टैक्स से राहत मिल सके।" डीटीओ ने स्पष्ट किया कि क्षतिग्रस्त वाहनों को स्क्रैप करने या सरेंडर करने पर मोटर वाहन अधिनियम के तहत रोड टैक्स, फिटनेस शुल्क और अन्य करों में छूट दी जा सकती है। यह प्रक्रिया उत्तराखंड मोटर वाहन नियमावली 2011 के अनुरूप है, जिसमें आपदा प्रभावित वाहनों के लिए विशेष प्रावधान हैं।जिला सहायक परिवहन अधिकारी ने आगे कहा कि आपदा के बाद कई वाहन मालिक अपनी गाड़ियों की मरम्मत या निपटान को लेकर चिंतित हैं। सरेंडर करने से न केवल करों में राहत मिलेगी, बल्कि पर्यावरण को भी फायदा होगा, क्योंकि पुराने और क्षतिग्रस्त वाहनों से प्रदूषण बढ़ता है। हम प्रभावितों की मदद के लिए विशेष कैंप लगा रहे हैं, जहां दस्तावेज जमा कर प्रक्रिया पूरी की जा सकती है। वाहन सरेंडर करने की प्रक्रिया सरल है। प्रभावित व्यक्ति को निम्नलिखित कदम उठाने होंगे: 1. दस्तावेज तैयार करें: वाहन का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (आरसी), इंश्योरेंस पॉलिसी, प्रदूषण प्रमाण पत्र (पीयूसी), और आपदा से क्षति का प्रमाण पत्र (जिला प्रशासन से प्राप्त)। 2. आवेदन जमा करें: निकटतम आरटीओ कार्यालय में जाकर फॉर्म भरें। ऑनलाइन पोर्टल parivahan.gov.in पर भी आवेदन किया जा सकता है। 3. वाहन जांच: आरटीओ अधिकारी वाहन की स्थिति की जांच करेंगे और सरेंडर सर्टिफिकेट जारी करेंगे। 4. लाभ: सरेंडर के बाद बकाया रोड टैक्स माफ हो जाता है। यदि वाहन स्क्रैप किया जाता है, तो केंद्र सरकार की स्क्रैपिंग पॉलिसी के तहत नए वाहन खरीदने पर छूट मिल सकती है, जो 5% तक हो सकती है। इसके अलावा, राज्य स्तर पर आपदा राहत कोष से अतिरिक्त सहायता भी उपलब्ध है। जिलाधिकारी प्रतीक जैन ने कहा, "हमारी प्राथमिकता प्रभावितों की सुरक्षा और पुनर्वास है। परिवहन विभाग के साथ मिलकर हम सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी वाहन मालिक अनावश्यक कर बोझ न झेले।"यह आपदा रुद्रप्रयाग के निवासियों के लिए एक बड़ा झटका है, लेकिन सरकार और प्रशासन की तत्परता से राहत कार्य तेजी से चल रहे हैं। डीटीओ का बयान एक सकारात्मक कदम है, जो प्रभावितों को वित्तीय राहत प्रदान करेगा। विशेषज्ञों की सलाह है कि लोग जल्द से जल्द प्रक्रिया पूरी करें, ताकि आगे की मुश्किलों से बचा जा सके। यदि आप प्रभावित हैं, तो निकटतम आरटीओ कार्यालय से संपर्क करें।