दीपक बेंजवाल  / दस्तक पहाड़ न्यूज।। अगस्त्यमुनि (रुद्रप्रयाग)। प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी हर घर नल जल योजना का हकीकत में क्या हाल है, यह अगस्त्यमुनि ब्लॉक के झटगढ़ गांव में साफ नजर आता है। यहां हर घर में नल तो लग गए हैं, लेकिन उनमें पानी की एक बूंद तक नहीं आती। विभाग की लापरवाही और वादाखिलाफी ने ग्रामीणों का जीवन संकट में डाल दिया है। दस्तक पहाड़ से अपनी समस्या साझा करती हुई गांव की आरती देवी, उर्मिला देवी, विनीता देवी, बीरा देवी, शिवदेई देवी, जयन्ती देवी और रोशनी देवी बताती हैं कि पानी

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के बिना जीना मुश्किल हो गया है। गांव का प्राकृतिक जलस्रोत करीब एक किलोमीटर दूर है, जहां से महिलाएं समूह बनाकर पानी लाने को मजबूर हैं। लेकिन इस रास्ते पर बाघ-गुलदार का आतंक बना रहता है, जिससे हर रोज जान का खतरा झेलना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि वे अपनी समस्या को लेकर केदारनाथ विधायक तक पहुंच चुके हैं। ज्ञापन सौंपने के बाद विधायक ने समाधान का आश्वासन तो दिया, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।ग्रामीणों का कहना है कि विभाग और सरकार को अब जवाब देना होगा कि आखिर इन खाली पाइपों और सूखे नलों का क्या करें? लोग सवाल उठा रहे हैं कि यदि योजनाएं सिर्फ कागजों में ही पूरी होनी हैं तो करोड़ों रुपये क्यों खर्च किए गए? अब गांववाले चेतावनी दे रहे हैं कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे। झटगढ़ गांव की यह तस्वीर सिर्फ एक गांव की नहीं, बल्कि सिस्टम की नाकामी की असली झलक है। करोड़ों रुपये खर्च कर नल तो लगा दिए गए, लेकिन पानी देना भूल गए। आखिर इन सूखी पाइपों और खाली नलों का क्या मतलब। महिलाएं रोज़ाना बाघ-गुलदार के डर के बीच एक किलोमीटर दूर से पानी ढोने को मजबूर हैं। यह सिर्फ असुविधा नहीं, बल्कि सरकारी वादाखिलाफी और लापरवाही का सबसे बड़ा उदाहरण है। विधायक से लेकर विभाग तक सब आश्वासन तो देते हैं, लेकिन जमीन पर नतीजा शून्य है। अब वक्त आ गया है कि जिम्मेदार अधिकारी गांव में जाकर खुद देखें कि बिना पानी के नलों की योजना किस काम की। वरना ग्रामीणों का गुस्सा आंदोलन के रूप में फूटना तय है।