कल रविवार, 21 सितंबर को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगेगा। यह ग्रहण खंडग्रास होगा। भारतीय समय के अनुसार ग्रहण की शुरुआत करीब रात 11 बजे से होगी जो देर रात लगभग 3 बजकर 33 मिनट तक चलेगा। कल सर्वपितृ अमावास्या भी है जिसमें पितरों को विदाई दी जाएगी।

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दस्तक पहाड न्यूज अगस्त्यमुनि।। 21 सितंबर को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. यह ग्रहण आंशिक होगा, जो कि भारत में दृश्यमान नहीं होगा. क्योंकि, यह भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए यहां इसके सूतक नियम लागू नहीं होंगे. लेकिन ग्रहण चाहे कहीं भी दिखे, इसका असर प्रकृति और वातावरण पर ज़रूर पड़ता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहण के समय नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय हो जाती है. यह सूर्य ग्रहण कन्या राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में लगने जा रहा है जिससे इसका महत्व ओर ज्यादा बढ़ा जाएगा. तो चलिए जानते हैं कि साल का आखिरी सूर्य ग्रहण कहां कहां दिखेगा और किन राशियों के लिए ये अशुभ भी रहेगा।भारतीय समयानुसार, साल का आखिरी और दूसरा सूर्य ग्रहण 21 सितंबर, रविवार के दिन लगेगा. इस ग्रहण की शुरुआत भारतीय समयानुसार, रात 11 बजे होगा और इसका समापन 22 सितंबर की अर्धरात्रि में 3 बजकर 23 मिनट पर होगा. इसकी कुछ अवधि 4 घंटे से अधिक की होगी. इस ग्रहण की पीक टाइमिंग रात 1 बजकर 11 मिनट रहेगी। कहां कहां दिखेगा ये सूर्य ग्रहण - यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. यह मुख्य रूप से दक्षिणी प्रशांत महासागर, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों से दिखाई देगा. चूंकि, यह भारत में नजर नहीं आएगा, इसलिए यहां सूतक काल लागू नहीं होगा। क्या होता है सूर्य ग्रहण - जब चंद्रमा अपनी परिक्रमा करते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है और सूर्य की रोशनी का कुछ हिस्सा या पूरा भाग धरती पर नहीं पहुंच पाता, तो उसे सूर्य ग्रहण कहते हैं. हालांकि, 21 सितंबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण आंशिक होगा। सूर्य ग्रहण 2025 पर ग्रहों की स्थिति ज्योतिष सन्दीप सेमवाल  के मुताबिक, इस साल सूर्य ग्रहण पर ऐसी स्थिति बन रही है कि कन्या राशि में यह ग्रहण लग रहा है. वहीं, सिंह राशि में शुक्र-केतु की द्विग्रही युति का निर्माण होने जा रहा है. शुक्र और केतु युति हमेशा बहुत खराब मानी जाती है. ऐसे में शुक्र सुख के कारक है, वह केतु के साथ सुख को भंग कर रहे हैं. इसके अलावा, कन्या में सूर्य, चंद्र, बुद्ध एक साथ होंगे, निश्चित तौर पर ऐसे में चंद्र की स्थिति खराब मानी जा रही है. तुला राशि में मंगल बैठे हैं. यानी, जहां ग्रहण हैं उसके एक आगे वाली राशि और ठीक एक पीछे राशि परेशान स्थिति में आ सकती है. वहीं, 30 साल बाद कन्या में सूर्य-शनि आमने सामने आकर समसप्तक योग का निर्माण करेंगे. साथ ही, शनि-मंगल की अशुभ स्थिति से षडाष्टक योग का निर्माण भी होने जा रहा है. 122 साल बाद पर बनेगा ये संयोग - ज्योतिष संदीप सेमवाल के मुताबिक, 122 साल बाद ऐसे संयोग निर्माण बन रहा है कि ग्रहण से ही पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है और ग्रहण से ही पितृपक्ष का समापन भी हो रहा है. साल 2025 से पहले ऐसा संयोग साल 1903 में बना था।