वर्सिल गाँव में स्व. डॉ. टीकाराम भट्ट के शोध ग्रंथ ‘श्रीमद्भागवत : एक अनुशीलन’ का विमोचन,
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09/10/20257:19 am
दस्तक पहाड न्यूज अगस्त्यमुनि।।
रुद्रप्रयाग जनपद के ग्राम वर्सिल (मयकोटी) में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा समारोह में स्वर्गीय डॉ. टीकाराम भट्ट (डी.फिल., हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय) के शोध ग्रंथ पुस्तक ‘श्रीमद्भागवत एक अनुशीलन (संक्षिप्त)’ का विधिवत विमोचन मुख्य अतिथि प्रोफेसर जे.के. गोडियाल, संस्कृत विभागाध्यक्ष, हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय पौड़ी की गरिमामयी उपस्थिति में किया गया। इस अवसर पर व्यास आचार्य ब्रजमोहन मैठाणी, कुलपुरोहित शिवप्रसाद बेंजवाल, यज्ञाचार्य कैलाश बेंजवाल, कलश संस्था के संस्थापक ओमप्रकाश सेमवाल, सुप्रसिद्ध कवि जगदम्बा प्रसाद चमोला, जनार्दन सेमवाल, अजय भट्ट, नीरज उनियाल, मंगलेश डोभाल सहित अनेक विद्वान और समाजसेवी उपस्थित रहे। कमलेश भट्ट एवं परशुराम भट्ट ने भी सहभागिता की।
समारोह के मुख्य अतिथि प्रोफेसर जे.के. गोडियाल ने स्व. डॉ. टीकाराम भट्ट के साहित्यिक योगदान को उत्तराखंड की गौरवशाली परंपरा में एक मूल्यवान अध्याय बताया और कहा कि उनका यह शोधग्रंथ आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत रहेगा। कार्यक्रम के आयोजक स्व. डॉ. टीकाराम भट्ट के पुत्र डॉ. अंकित भट्ट, धर्मपत्नी श्रीमती विनोदा देवी तथा बहिन श्रीमती कुशला मैठाणी ने बताया कि डॉ. टीकाराम भट्ट ने अपने इस शोध कार्य में श्रीमद्भागवत के विभिन्न दार्शनिक, साहित्यिक और आध्यात्मिक पहलुओं का गहन अनुशीलन किया था। उन्होंने अपनी भूमिका में लिखा था कि “पुराणसंहिता एक ही थी, जिसका परिमाण एक सौ करोड़ श्लोकों का था, जिसे बाद में लोक उपयोग के लिए बारह महापुराणों में विभक्त किया गया। उन सबमें श्रीमद्भागवत का स्थान विशिष्ट है, जो आशीर्वादात्मक ग्रंथ है और इसके पारायण से लौकिक व पारलौकिक सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।”
डॉ. भट्ट ने अपने गुरुवर प्रो. जे.के. गोडियाल के मार्गदर्शन, सहयोग और स्नेह को अपने शोध कार्य की सफलता का प्रमुख आधार बताया था। उन्होंने अपनी माता श्रीमती यशोदा देवी, पत्नी श्रीमती विनोदा देवी और बहिन श्रीमती कुशला मैठाणी का भी विशेष आभार व्यक्त किया था जिन्होंने उनके कठोर शोधकाल के दौरान पारिवारिक दायित्वों का निष्ठापूर्वक निर्वहन किया।
कार्यक्रम का संचालन श्री भगवती प्रसाद भट्ट ने किया। समारोह में देवेन्द्र भट्ट, रघुवर दत्त भट्ट, कालिका प्रसाद भट्ट, ओमप्रकाश भट्ट, कमलेश भट्ट एवं परशुराम भट्ट ने भी सहभागिता की।
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विश्वविद्यालय) के शोध ग्रंथ पुस्तक ‘श्रीमद्भागवत एक अनुशीलन (संक्षिप्त)’ का विधिवत विमोचन मुख्य अतिथि प्रोफेसर जे.के. गोडियाल, संस्कृत विभागाध्यक्ष,
हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय पौड़ी की गरिमामयी उपस्थिति में किया गया। इस अवसर पर व्यास आचार्य ब्रजमोहन मैठाणी, कुलपुरोहित
शिवप्रसाद बेंजवाल, यज्ञाचार्य कैलाश बेंजवाल, कलश संस्था के संस्थापक ओमप्रकाश सेमवाल, सुप्रसिद्ध कवि जगदम्बा प्रसाद चमोला, जनार्दन सेमवाल, अजय भट्ट,
नीरज उनियाल, मंगलेश डोभाल सहित अनेक विद्वान और समाजसेवी उपस्थित रहे। कमलेश भट्ट एवं परशुराम भट्ट ने भी सहभागिता की।
समारोह के मुख्य अतिथि प्रोफेसर जे.के. गोडियाल ने स्व. डॉ. टीकाराम भट्ट के साहित्यिक योगदान को उत्तराखंड की गौरवशाली परंपरा में एक मूल्यवान अध्याय बताया
और कहा कि उनका यह शोधग्रंथ आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत रहेगा। कार्यक्रम के आयोजक स्व. डॉ. टीकाराम भट्ट के पुत्र डॉ. अंकित भट्ट, धर्मपत्नी
श्रीमती विनोदा देवी तथा बहिन श्रीमती कुशला मैठाणी ने बताया कि डॉ. टीकाराम भट्ट ने अपने इस शोध कार्य में श्रीमद्भागवत के विभिन्न दार्शनिक, साहित्यिक और
आध्यात्मिक पहलुओं का गहन अनुशीलन किया था। उन्होंने अपनी भूमिका में लिखा था कि “पुराणसंहिता एक ही थी, जिसका परिमाण एक सौ करोड़ श्लोकों का था, जिसे बाद में
लोक उपयोग के लिए बारह महापुराणों में विभक्त किया गया। उन सबमें श्रीमद्भागवत का स्थान विशिष्ट है, जो आशीर्वादात्मक ग्रंथ है और इसके पारायण से लौकिक व
पारलौकिक सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।”
डॉ. भट्ट ने अपने गुरुवर प्रो. जे.के. गोडियाल के मार्गदर्शन, सहयोग और स्नेह को अपने शोध कार्य की सफलता का प्रमुख आधार बताया था। उन्होंने अपनी माता श्रीमती
यशोदा देवी, पत्नी श्रीमती विनोदा देवी और बहिन श्रीमती कुशला मैठाणी का भी विशेष आभार व्यक्त किया था जिन्होंने उनके कठोर शोधकाल के दौरान पारिवारिक
दायित्वों का निष्ठापूर्वक निर्वहन किया।
कार्यक्रम का संचालन श्री भगवती प्रसाद भट्ट ने किया। समारोह में देवेन्द्र भट्ट, रघुवर दत्त भट्ट, कालिका प्रसाद भट्ट, ओमप्रकाश भट्ट, कमलेश भट्ट एवं
परशुराम भट्ट ने भी सहभागिता की।