सोहन कठैत  / गौचर (चमोली)। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (DIET) गौचर में आयोजित तीन दिवसीय कौशलम अभिमुखी प्रशिक्षण कार्यशाला 2025 का शुक्रवार को सफल समापन हुआ। इस कार्यशाला में जिलेभर के 109 शिक्षकों ने भाग लेकर 21वीं सदी के कौशल, उद्यमशील मानसिकता और व्यवसाय सहयोग जैसे विषयों पर गहन जानकारी प्राप्त की।कार्यशाला का शुभारंभ प्राचार्य आकाश सारस्वत, उप प्राचार्य वीरेंद्र सिंह कठैत, वरिष्ठ संकाय सदस्य रविंद्र बर्तवाल, गजपाल राम राज, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी मुकेश नेगी, तथा जिला समन्वयक सुबोध कुमार डिमरी सहित सभी संदर्भदाताओं की उपस्थिति में मां सरस्वती के चित्र अनावरण व दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।

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सत्र के दौरान रेखा पटवाल, गोपाल प्रसाद कपरवाण, तेजेंद्र रावत, बृज मोहन रावत, भगवती रावत और पुष्पा कनवासी सहित संदर्भदाताओं ने कौशलम पाठ्यचर्या की अवधारणा, उसके उद्देश्य और व्यावहारिक उपयोग पर विस्तृत जानकारी दी। प्रशिक्षुओं को दो समूहों में विभाजित कर विभिन्न विषयगत गतिविधियाँ कराई गईं जिनमें माइंडफुलनेस एक्टिविटी, प्रोटोटाइप निर्माण, बाजार भ्रमण और सेल्स पिच प्रस्तुति प्रमुख रहीं।विभिन्न समूहों द्वारा साथ में थोड़ा सोचते हैं, आओ बाजार घूमें, और सामान बेचने की रणनीति जैसे विषयों पर रचनात्मक प्रस्तुतियाँ दी गईं। संदर्भदाताओं ने शिक्षकों को विद्यालय स्तर पर विद्यार्थियों में रचनात्मकता, सहयोग, नेतृत्व और उद्यमशीलता कौशल विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया। समापन सत्र में प्रशिक्षकों द्वारा फीडबैक फॉर्म भरे गए तथा सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्राचार्य आकाश सारस्वत, उप प्राचार्य वीरेंद्र सिंह कठैत, और शिक्षक संघ चमोली के महामंत्री प्रकाश चौहान द्वारा वितरित किए गए। इस अवसर पर विभिन्न विद्यालयों से आए शिक्षकों में सोहन कठैत (जीईसी बूरा), मीना डंगवाल (मैठाणा), हरीश फर्स्वाण (देवखाल), महेंद्र सिंह राणा (बड़ागांव), अरविंद नेगी (लंगसी), भगवती प्रसाद पुरोहित (ग्वाड़ देवलधार), नरेश ड्यूंडी (बछुवा वाण), टी.एस. नेगी (टंगसा), राजेंद्र सिंह नेगी (असेड शिमली), कृपाल दानू (जोशीमठ), ओमप्रकाश सती (पगना), दिनेश सिंह बिष्ट (बोरागाड़), पूजा नेगी (मोख), नीरज तड़याल (पंचाली), लक्ष्मी प्रसाद भट्ट (कांडई), सुदर्शन कठायत (कुनिगाड़), लखपत भगत (इराणी), विनीता नेगी (थाला बैंड), कविता सती (थराली) सहित अन्य शिक्षक-शिक्षिकाएं शामिल रहीं। कार्यशाला के समापन पर प्रशिक्षकों ने इसे शिक्षण की गुणवत्ता और विद्यार्थियों में व्यावहारिक कौशल विकसित करने की दिशा में एक सार्थक पहल बताया।