दस्तक पहाड न्यूज अगस्त्यमुनि।। एक ओर जहां उत्तराखंड आज अपनी स्थापना दिवस की 25वीं वर्षगांठ मना रहा है, वहीं दूसरी ओर राज्य के पहाड़ी इलाकों में वन्यजीवों का आतंक लोगों की खुशियों पर ग्रहण बन गया है। शनिवार को अगस्त्यमुनि नगर क्षेत्र में दिनभर के भीतर वन्यजीवों के हमले की दो बड़ी घटनाओं ने पूरे क्षेत्र में दहशत फैला दी।

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सुबह के समय जवाहर नगर से सटे बनियाड़ी गांव में एक महिला पर भालू ने जानलेवा हमला कर दिया। महिला अपने घर के पास अन्य महिलाओं के साथ मौजूद थी कि अचानक झाड़ियों से निकले भालू ने उस पर धावा बोल दिया। महिलाओं की चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोग मौके पर पहुंचे और शोर मचाने पर भालू जंगल की ओर भाग खड़ा हुआ। घायल महिला को तुरंत राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, अगस्त्यमुनि लाया गया, जहां उसका उपचार चल रहा है। वहीं शाम के समय जवाहर नगर वार्ड में एक और दर्दनाक घटना सामने आई, जब बंदरों के झुंड ने 5 वर्षीय बालिका अवनी पर हमला कर दिया। बालिका घर के बाहर खेल रही थी, तभी बंदरों ने उस पर हमला कर दिया, जिससे वह घायल हो गई और काफी डरी हुई है। स्थानीय निवासी बालिका को सीएचसी अगस्त्यमुनि लाए जहां उपचार किया गया। स्थानीय निवासियों ने बंदरों को पकड़ने की मांग करते हुए कहा कि जवाहरनगर में झुण्ड के झुण्ड घरों की छतों , रास्तों पर दिनभर दहशत फैलाते रहते है, सबसे ज्यादा डर स्कूली बच्चों के लिए है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि अगस्त्यमुनि नगर क्षेत्र में बंदरों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे लोगों में भय का माहौल है। इससे पहले भी नगर पंचायत ने बंदरों को पकड़ने की कार्रवाई की थी, परंतु अब यह अभियान ठप पड़ा हुआ है। विडंबना यह है कि उत्तराखंड को राज्य बने 25 वर्ष पूरे हो गए हैं, लेकिन अब तक वन्यजीवों के हमलों पर कोई ठोस नीति या दीर्घकालिक योजना सरकार के पास नहीं है। पहाड़ी क्षेत्रों में आए दिन भालू, गुलदार और बंदरों के हमले आम बात बन चुके हैं, परंतु न तो इनकी रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं और न ही स्थायी समाधान निकाला गया है। स्थानीय लोगों ने सरकार और वन विभाग से मांग की है कि वन्यजीवों के बढ़ते हमलों को देखते हुए ठोस रणनीति तैयार की जाए, ताकि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।