वीरों देवल में प्रकट हुई मां चंडिका की ब्रह्मशक्ति, शुरू हुआ 19 वर्ष बाद महा बन्याथ — देवभूमि में गूंज उठा आध्यात्मिक उल्लास
1 min read03/12/2025 5:21 pm

दस्तक पहाड न्यूज अगस्त्यमुनि।
बसुकेदार क्षेत्र के वीरों देवल गाँव में 19 वर्ष के अंतराल पर आज ब्रह्म मुहूर्त में मां भगवती चंडिका की ब्रह्मशक्ति का दिव्य प्राकट्य हुआ। परंपरानुसार मंगलवार रात्रि से आज बुधवार सुबह तक ब्राह्मणों द्वारा ब्रह्म सांठा गया, ब्रह्म मुहूर्त में ब्रह्म को मंदिर से बाहर निकाल कर परिक्रमा की गई। जिसके पश्चात देवी के वाहक ऐरवाला को ब्रह्मशक्ति सौंपी गई। आज देवी ने पहले पड़ाव के लिए वीरों गाँव में के लिए प्रस्थान किया।
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श्री चंडिका बन्याथ समिति के अध्यक्ष डॉ. आशुतोष भंडारी ने बताया कि चंडिका महा बन्याथ का दिव्य आयोजन 21 नवंबर से 24 फरवरी 2026 तक किया जा रहा है। 21 नवंबर को पैया सेटगी नृत्य के साथ इसकी विधिवत शुरुआत हुई। इसके बाद 26 नवंबर को पारंपरिक थांथा नृत्य हुआ और आज 3 दिसंबर को ब्रह्म मुहूर्त में ब्रह्मा उदय के साथ भगवान शंकर का ताडंव नृत्य प्रारंभ हो गया है। इस दौरान मां अपने सभी सात गाँवों के भ्रमण कर आस पास के अन्य गाँवो में भक्तों को दर्शन करने के लिए दीवारा पूर्ण करेगी। 15 फरवरी 2026 को कुंडगज के साथ महायज्ञ शुरू होगा, 22 फरवरी को विशाल जल यात्रा और 30 फरवरी को पूर्णाहुति के साथ ब्रह्मशक्ति लीन होकर इस महापर्व का समापन होगा।
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इस आयोजन में शामिल वीरों देवल गाँव के पंडित महिधर डिमरी, देवी प्रसाद कांडपाल, जयप्रकाश डिमरी, सुशील डिमरी, बुद्धि बल्लभ डिमरी, चंद्रप्रकाश डिमरी बताते है कि वीरों देवल, संगुड, नैणी पोंडार और क्यार्क बरसूडी समेत कई गांवों की कुलदेवी मां चंडिका को समर्पित यह लोकपर्व क्षेत्र की सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक परंपराओं में से एक है। सुबह से ही आयोजन स्थल पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। ढोल-दमाऊ की थाप, वैदिक मंत्रोच्चार और देवी आराधना के स्वरों ने पूरे क्षेत्र को भक्तिभाव और आध्यात्मिक उल्लास से भर दिया। सभी वैदिक अनुष्ठान कुल पुरोहित डिमरी और कांडपाल ब्राह्मणों द्वारा सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार संपन्न कराए जा रहे हैं। समिति के अध्यक्ष डॉ.आशुतोष भंडारी, सचिव मदन मोहन डिमरी और कोषाध्यक्ष राजेश बिष्ट ने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे इस प्राचीन परंपरा में अधिक से अधिक सहभागी बनें, जिससे यह आयोजन और भी भव्य और सफल हो सके। पण्डित विजय प्रकाश डिमरी, सुदर्शन डिमरी, मनोहर डिमरी मोहित भण्डारी, संदीप भण्डारी आदि ने बताया कि मां चंडिका का यह महा बन्याथ 19 वर्ष बाद आयोजित हो रहा है, इसलिए इसकी पवित्रता और महत्व अत्यधिक बढ़ गया है। उनका कहना है कि यह पर्व केवल अनुष्ठान नहीं, बल्कि लोकजीवन में देवत्व का संचार करने वाली वह परंपरा है जिसने सदियों से समाज को एक सूत्र में पिरोए रखा है। डॉ. मनोज डिमरी ने बताया कि शिव–शक्ति की यह भूमि सदियों से इसी देवत्व, आस्था और मातृभाव की ऊर्जा से अनुप्राणित रही है। उनके अनुसार मां चंडिका का यह महापर्व समाज में करुणा, एकजुटता और सांस्कृतिक गौरव का संदेश देता है। यह आयोजन पीढ़ियों की आस्थाओं को जोड़ने वाला, लोक परंपराओं को जीवित रखने वाला और मातृशक्ति के दिव्य वात्सल्य का स्मरण कराता है। इस अवसर पर बड़ी संख्या क्षेत्रवासी मौजूद रहे।
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