[caption id="attachment_23857" align="alignleft" width="150"] दीपक बेंजवाल, सम्पादक[/caption] चुनावों में उत्तराखण्ड की बेहद चर्चित ‘केदारनाथ’ विधानसभा में इस बार भी जर्बदस्त टक्कर सामने आने लगी है। कांग्रेस से मौजूदा विधायक की दावेदारी जहाँ पक्की है, वही भाजपा में टिकट की दावेदारी को लेकर इस बार भी कई नाम सामने आ रहे है। उक्रांद में नाम को लेकर अभी तक चुप्पी छायी है, वही राज्य में नई नवेली पार्टी आप से भी तीन नाम सामने आ चुके है। निर्दलयी प्रत्याशी के तौर पर दो नाम है। जनता का मूढ़ भांपने के लिए हर दावेदार मजबूती से अपना पक्ष रख रहा है, गाँव से लेकर नगरों तक इन दिनों दावेदार अपनी चहलकदमियाँ बढ़ा चुके है। अब यह देखना होगा की बाबा केदार का आशीर्वाद और जनता की वोट किसे सत्ता का ताज सौंपती है।

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चुनावी समर पर प्रस्तुत है दीपक बेंजवाल की खास ग्राउंड रिपोर्ट   केदारनाथ विधानसभा परिणाम 2017 मनोज रावत कांग्रेस 13906 कुलदीप रावत निर्दलीय 13037 आशा नौटियाल निर्दलीय 11786 शैलारानी रावत भाजपा 11472 गंगाधर सेमवाल उक्रांद 2734 गंगाधर नौटियाल कम्यूनिष्ट पार्टी 1001 विक्रम सिंह सैनिक स.पार्टी 456 कुन्दन लाल बसपा 447 नोटा नोटा 715   चुनावी समर में हमेशा सुर्खिेयों में रहने वाली केदारनाथ विधानसभा सीट 2022 में भी चर्चा का विषय बनने जा रही है। यह चर्चा कांग्रेस से मौजूदा विधायक मनोज रावत की निरन्तर सृजनता को लेकर है तो भाजपा के एक दर्जन से अधिक दावेदारो को लेकर भी है। वही उत्तराखण्ड में आम आदमी पार्टी की दस्तक और प्रोजक्टड सीएम के रूप में कर्नल अजय कोठियालश की उम्मीदवारी से भी यह सीट हाॅट बन चुकी है। गौरतलब है कि केदारघाटी में कर्नल कोठियाल की संस्था यूथ फाउंडेशन के द्वारा पिछले कुछ सालो से युवाओं को सेना भर्ती की निशुल्क ट्रेनिंग दी जा रही है, इस निशुल्क ट्रेनिंग के जरिये अब तक कई युवा सेना में भर्ती होने का सपना साकार कर चुके है। इससे पूर्व कर्नल कोठियाल निम के जरिये केदारनाथ पुर्ननिर्माण में भी स्थानीय युवाओं के श्रम को रोजगार दे चुके है। युवाओं के साथ उनके जबर्दस्त संवाद को भी चुनावो में एक ताकत के रूप में देखा जा सकता है। हांलाकि केदारनाथ से उनके लड़ने पर अभी संशय है, बावजूद किसी अन्य प्रत्याशी की दावेदारी पर भी आम आदमी पार्टी को यहां लाभ मिल सकता है। देवस्थानम बोर्ड पर भाजपा से नाराज चल रहे तीर्थ पुरोहित समाज से आने वाले और हाल ही में आम आदमी पार्टी में सामिल हुए वर्तमान जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुमन्त तिवारी को भी इस सीट पर प्रबल दावेदार के रूप में देखा जा रहा है। केदार घाटी में आम आदमी पार्टी के चर्चित चेहरो में गौरी मैमोरियल ऐजुकेशनल ट्रस्ट के चियरपर्सन विजय चमोला और अगस्त्यमुनि नगर के प्रसिद्ध व्यवसायी प्रकाश पंवार भी विधायक पद के प्रबल दावेदार है। [poll id="4"] केदारनाथ विधासभा सीट पर वर्तमान विधायक मनोज रावत का कार्यकाल संतोषजनक रहा है। हालांकि विधायक निधि कम खर्चने को लेकर उनपर आरोप जरूर लगा है, बावजूद बीते पांच सालों में लीक से हटकर कार्य करके उन्होंने नई परिपाटी की नींव रखी है। विधानसभा पटल पर सर्वाधिक सवाल उठाने वाले विधायको में जहाँ वे अव्वल बने रहे, वही जनसमस्याओं और उनके समाधानों को लेकर भी उनकी सक्रियता रही है। कोविड महामारी के दौरान टेलिमेडिशन के प्रयोग को लागू करने का उनका विचार जनहित का एक सुन्दर उदाहरण बनकर उभरा। केदारनाथ पुर्ननिर्माण में स्थानीय पत्थरो के उपयोग और उन्हें स्थानीय स्तर पर तराशने का कार्य उनकी सृजनकारी सोच का ही परिणाम था, इस कार्य के लिए गौरीकुण्ड और बड़ेथ में पत्थर कटिग की मशीने लगायी गयी, जिनके माध्यम से केदारनाथ में बड़ी मात्रा में परंपरागत रूप से पत्थरों का उपयोग संभव हो सका। विधायक निधि द्वारा गांवों में हुए निर्माण कार्यो में भी उन्होंने स्थानीय शिल्प को वरीयता देकर स्थानीय शिल्पकला पुर्नस्थापित करने अनुकरणीय कार्य किया है। घाटी में पर्यटन को बढ़वा देने के लिए वे लगातार सक्रिय रहे, आज उनके प्रोत्साहन के कारण बड़ी संख्या में स्थानीय लोग पर्यटन को रोजगार के रूप में अपना चुके है। पूर्व में पत्रकारिता जगत से जुड़े होने के कारण शिक्षा पर उनका फोकस रहा है, बच्चो को प्रोत्साहन देने वाले अनेक कार्यक्रम उनके द्वारा बीते सालो में लगातार आयोजित होते रहे। हाल ही में विधायक निधि द्वारा केदारनाथ विधानसभा के प्रत्येक गांव में ग्राम पुस्तकालय की उनकी महत्वकांक्षी योजना क्रियान्वित होने जा रही है। सीटिंग एमएलए के नाते कांग्रेस पार्टी से उनकी दावेदारी पक्की है। मोदी लहर के बावजूद पिछले चुनावों में केदारनाथ में हुई भाजपा की करारी हार ने इस बार संगठन को चैकन्ना किया है। बगावती तेवरो को देखते हुए संगठन के अंदरूनी सर्वे में इस बार नया चेहरा लाने की ओर संकेत मिल रहे है। चर्चा है कि इस बार पुरूष दावेदार को पार्टी पूर्ण वरीयता दे सकती है। हालांकि भाजपा से पूर्व चुनावों में दावेदार रही शैला रानी रावत इस बार भी चुनावों में ताल ठोक चुकी है। इन दिनों घाटी के दूरस्थ गांवों में उनकी संपर्क यात्राए इसका संकेत दे रही है। शैलारानी को राजनीति का मझा हुआ खिलाड़ी माना जाता है, कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने के बाद संघ की नई विचारधारा और स्थानीय कार्यकर्ताओं में सामंजस्य बिठाने में उन्हें कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। पार्टी के अन्र्तकलह और बगावत के कारण उन्हें वर्ष 2017 के चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था। पूर्व में विधायक रह चुकी शैलारानी अपनी तेजतर्रार छवि और नेतृत्वशीलता के लिए जानी जाती है। भाजपा के दावेदारो में दूसरा नाम पूर्व विधायक आशा नौटियाल का आता है। हालांकि पिछले चुनावों में टिकट ना मिलने के कारण वो नाराज हो गयी और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ी और हार गई। इससे भाजपा को काफी नुकसान पहुंचा, इस बगावत के बाद पार्टी ने उन्हें निष्काशित कर दिया था लेकिन बाद में उन्हें फिर से पार्टी में सामिल कर दिया गया। इस बार फिर से वो अपनी दावेदारी पेश कर रही है। रूद्रप्रयाग के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके चण्डी प्रसाद भट्ट का नाम भी इस बार चर्चा में है। जनता के बीच निरन्तर सक्रिय भट्ट संघ के पुराने कार्यकत्र्ता रहे है। नैनीताल हाईकोर्ट के अधिवक्ता और छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके जयवर्धन काण्डपाल भाजपा में सबसे युवा दावेदार के रूप में उभरे है। राज्य में युवा मुख्यमंत्री के रूप में धामी की ताजपोशी से युवाओं को टिकट मिलने की आशा पुख्ता हुई है, ऐसे में काण्डपाल को टिकट मिलने की संभावना भी बनती है। विशुद्ध संघी कार्यकर्ता के साथ काण्डपाल केदारनाथ विधानसभा के सबसे बड़े वोटबैंक तल्लानागपुर दशज्यूला क्षेत्र के निवासी है, जिससे उनकी दावेदारी का लाभ पार्टी को चुनावों में मिल सकता है। अगस्त्यमुनि नगर पंचायत अध्यक्ष और बद्रीकेदार मंदिर समिति के उपाध्यक्ष रहे चुके अशोक खत्री भाजपा दावेदारो के एक और बड़े चर्चित चेहरे है। पार्टी संगठन में अंदर तक पकड़ रखने वाले खत्री अपनी बेदाग छवि के लिए जाने जाते है। अगस्त्यमुनि निवासी युवा नेता अनूप सेमवाल का नाम भी संभावित दावेदारों में एक है। भाजयुमो और संघ से खास नजदीकी रखने वाले सेमवाल युवाओं में खास पकड़ रखते हैं। पार्टी गतिविधियों में निरन्तर सक्रिय रहने से उनकी दावेदारी भी अहम है। रुद्रप्रयाग की वर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह भी केदारनाथ सीट पर चुनाव लड़ना चाहती है। महिला प्रत्याशी के तौर पर इन दिनों वो एक बड़ा नाम है। समाजसेवी और दिल्ली हाईकोर्ट में अधिवक्ता संजय शर्मा दरमोड़ा ने भी यहां से अपनी दावेदारो प्रकट की है। हंस फाउडेशन के सहयोगी के रूप में कोविड महामारी में केदारनाथ विधानसभा में प्रचुर मात्रा में स्वास्थ्य उपकरणों, दवाईयों और राहत सामग्री वितरण में उनका योगदान सुर्खियों में रहा है। पार्टी के सक्रिय कार्यकत्र्ता केे रूप में दिनेश उनियाल की दावेदारी अहम मानी जा सकती है। हांलाकि पार्टी उनकी सक्रियता को देखते हुए उन्हें पहले ही जिलाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंप चुकी है। इस नाते पार्टी के लिए काम करना उनका नैतिक दायित्व बनता है। पूर्व राज्य मीडिया प्रभारी अजेन्द्र अजय भाजपा के संभावित दावेदारो में साफ सुथरी छवि वाला एक और नाम है। संघ कार्यकत्र्ता के साथ पत्रकारिता जगत से जुड़ा होने के कारण पार्टी संगठन में उनकी मजबूत पकड़ टिकट मिलने की संभावनाओं को आधार दे सकती है। सांसद तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनने के बाद केदारघाटी में बीर सिंह बुडेरा का नाम एक बार फिर से सुर्खियों में उभरा था। हालांकि सीएम बदलने से समीकरण क्या बनेंगे यह भविष्य तय करेगा। भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश कार्यकारणी सदस्य एवं पूर्व शिक्षक नेता और गढ़वाल विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष रहे बुडेरा पूर्व में राष्ट्रवादी कांग्रेस से भी विधायक का चुनाव लड़ चुके है। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के निकटस्थ माने जाने वाले पंकज भट्ट स्वयं की दावेदारी को पुख्ता बता रहे है। अपने संर्पक अभियानों में वो आम जन के बीच ताबड़तोड़ घोषणाओं के कारण चर्चा में बने है। भाजपा की फायरब्रांड नेता रह चुकी उमा भारती के चहेते दिनेश बगवाड़ी, पूर्व छात्रसंद्य अध्यक्ष अगस्त्यमुनि रमेश बेंजवाल, प्रदेश उपाध्यक्ष महिला मोर्चा शकुन्तला जगवाण और पशु कल्याण बोर्ड की पूर्व उपाध्यक्ष बीना बिष्ट के नाम भी भाजपा दावेदारों की संभावित सूची में सामिल है। पार्टी को इन सभी दिग्गजों में से एक का चयन करना टेढ़ी खीर जरूर होगा लेकिन संघ के आंतरिक सर्वे में टिकट फाइनल हो चुके है। पार्टी में अन्र्तकलह न हो इसलिए नाम का खुलासा हरबार की तरह ऐन चुनावों पर ही होगा। निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में समाजसेवी कुलदीप रावत इस बार भी चुनाव लड़ रहे है। 2017 के चुनाव में 13037 वोट हासिल कर वो दूसरे स्थान पर रहे थे। घाटी के दूरस्थ गांवों में आमजन के सहयोगी के रूप में बीतो सालो में वो बड़ी लोकप्रियता हासिल कर चुके है। सामाजिक कार्यो के साथ गरीबों की आर्थिक मदद के रूप उनका सेवाकार्य लंबे समय से जारी है। कोविड महामारी में राहत सामग्री वितरण में घाटी में सबसे बड़ा अभियान उनके द्वारा ही संचालित हुआ। पिछले चुनावों में 13 हजार से अधिक वोट हासिल कर वो दूसरे स्थान पर रहे थे। कमजोर टीम के साथ मैदान में उतरने का उनका पिछला अनुभव जरूर खट्टा रहा था, बावजूद चुनाव हारने के बाद भी जनता के बीच उनकी लगातार सक्रियता इस बार कितना लाभ पहुंचायेगी यह भविष्य के गर्भ में है। देवेश नौटियाल ‘दद्दा’ निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर इस बार नया नाम उभरा है। सिल्ला ब्राह्मणगांव निवासी नौटियाल गांव-गांव में लगातार संपर्क अभियान के जरिए परिवर्तन करने की अपील कर रहे है। श्रीनगर गढ़वाल विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके नौटियाल कुशल वक्ता है। बड़ी संख्या में युवाओं को प्राईवेट सेक्टरों में रोजगार देने की उनकी कवायद ने कई बेरोजगारों को राहत पहुंचाई है। हालांकि भाजपा कांग्रेस के परंपरागत वोटबैंक में सेधमारी निर्दलीय प्रत्याशीयों के लिए आसान नहीं होगी। राज्य की एकमात्र स्थानीय पार्टी उक्रांद से अभी तक दावेदारी सामने नहीं आयी है। बावजूद केदार घाटी में अधिवक्ता गजपाल सिंह रावत उक्रांद के नए चहरे हो सकते है। पूर्व में उक्रांद से प्रत्याशी रह चुके कुशल वक्ता और राज्य आन्दोलनकारी रह चुके गंगाधर सेमवाल के निधन से घाटी में उक्रांद के वोटबैंक पर सीधा असर पड़ेगा। युवाओं के बीच अपना जनाधार स्थापित करने की दिशा में उक्रांद अभी तक कोई चमत्कारी चेहरा नही खोज पायी है। माक्सवादी कम्यूनिष्ट प्रत्याशी के रूप में कई सालो से चुनाव लड़ रहे कामरेड गंगाधर नौटियाल इस बार भी पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी होंगे।