■"अजय रावत / पौडी ■ डॉ कल्पना सैनी के बहाने उत्तराखंड में पहाड़ बनाम मैदान की एक चर्चा इन दिनों काफी गर्म है। तमाम तरह की विरोधाभाषी टिप्पणियां पढ़ने को मिल रही हैं। लेकिन जब पहाड़ बनाम मैदान की बात निकल पड़ी है तो थोड़ा सा केंद्रीय शीर्ष संस्थानों के पैमाने पर हिमांचल बनाम उत्तराखंड की चर्चा भी लाजिमी है। यदि हम IIT, IIM और AIIMS जैसे प्रतिष्ठित केंद्रीय संस्थानों की बात करें तो उत्तराखंड राज्य में यह क्रमशः रुड़की, काशीपुर व ऋषिकेश में स्थापित किये गए हैं, जिनमें रुड़की और काशीपुर किसी भी तरह से पहाड़ के सामाजिक भौगोलिक ढांचे से मेल नहीं खाता, ऋषिकेश भी एक तरह से मैदानी स्थल की टोपोलॉजी और करैक्टर रखता है।

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वहीं हिमांचल की तरफ चलें तो वहां IIT, IIM और AIIMS क्रमशः मंडी, सिरमौर व बिलासपुर में स्थापित किये गए हैं। मंडी व बिलासपुर ठेठ पहाड़ी नगर हैं जबकि सिरमौर भी पहाड़ी सोशियो-इंजीनियरिंग व टोपोलॉजी रखता है। जब केंद्र सरकार द्वारा इन संस्थानों को स्वीकृत किया गया तो उस दौरान उत्तराखंड में नेतृव पहाड़ी ही था यहां तक कि केंद्र सरकार में भी उत्तराखंड के पहाड़ी नेताओं की प्रमुख भूमिका थी, बावजूद ऐसे प्रतिष्ठान पहाड़ के हिस्से न आ सके. पहाड़ी नेताओं की पहाड़ के प्रति निष्ठा का जीता जागता उदाहरण NIT सुमाड़ी है, जो फुटबॉल बना हुआ है। यह मनन व चिंतन का विषय है..पहाड़ को नेताओं की फ़ौज नहीं बल्कि निष्ठावान, प्रतिबद्ध दमदार नेताओं की दरकार है.. ( लेखक पलायन एक चिंतन मुहिम के सचिव है )