101 जलकलशों से हुई भगवान कार्तिकेय की जलयात्रा
1 min read14/06/2022 8:09 pm
लक्ष्मण सिंह नेगी / ऊखीमठ – क्रौंच पर्वत के शीर्ष पर विराजमान देव सेनापति भगवान कार्तिक स्वामी के तीर्थ में आयोजित 11 दिवसीय महायज्ञ व महाशिव पुराण कथा के दसवें दिन बीहड़ चट्टानों के मध्य से 101 जल कलशो से भव्य जल कलश यात्रा निकाली गई जिसमें लगभग 15 हजारों श्रद्धालुओं ने शामिल होकर पुण्य अर्जित किया! 11 दिवसीय महायज्ञ के पावन अवसर पर क्षेत्र के विभिन्न भक्तों द्वारा भण्डारे का आयोजन किया गया जिसमें भक्तों ने प्रतिभाग किया! बुधवार को महायज्ञ का पूर्णाहुति के साथ समापन होगा तथा भगवान कार्तिक स्वामी का प्रतीक चिह्न स्वारी ग्वास गांव पहुंचकर जगत कल्याण के लिए तपस्यारत होगें! मंगलवार को ब्रह्म बेला पर भगवान कार्तिक स्वामी का प्रतीक चिह्न स्कन्द नगरी से कार्तिक स्वामी तीर्थ के लिए रवाना हुआ तथा भगवान कार्तिक स्वामी के प्रतीक चिह्न के कार्तिक स्वामी तीर्थ पहुंचने आ विद्वान आचार्यों ने पंचाग पूजन के तहत वेद ऋचाओं के साथ अनेक पूजाये सम्पन्न कर भगवान कार्तिक स्वामी सहित तैतीस कोटि देवी देवताओं का आवाहन किया तथा हवन कुण्ड में अनेक प्रकार की पूजा सामाग्रियो से आहूतियां डालकर विश्व कल्याण व क्षेत्र के खुशहाली की कामना की! सैकड़ों भक्तों के बीहड़ चट्टानों के मध्य जलकुण्ड के निकट कुई नामक स्थान पर पहुंचने पर विद्वान आचार्यों ने जलकुण्ड के निकट पूजा हवन कर 101 जल कलशो से सजी जल कलशो की बिशेष पूजा की तथा भव्य जल कलश यात्रा सैकड़ों भक्तों की जयकारों के साथ कार्तिक स्वामी तीर्थ के लिए रवाना हुई! जल कलश यात्रा के कार्तिक स्वामी तीर्थ पहुंचने पर तीर्थ में पूर्व से मौजूद हजारों भक्तों ने पुष्प अक्षत्रो से जल कलश यात्रा का भव्य स्वागत किया गया! जल कलश यात्रा ने भगवान कार्तिक मन्दिर की परिक्रमा करने के बाद प्रधान जल कलश से भगवान कार्तिक स्वामी व ब्यास पीठ का अभिषेक किया गया तथा शेष जल कलशो का जल भक्तों को प्रसाद स्वरूप वितरित किया गया! जल कलश यात्रा के पावन अवसर पर कथावाचक वासुदेव थपलियाल द्वारा जल कलश यात्रा की महत्ता का विस्तृत वर्णन किया गया! 11 दिवसीय महायज्ञ के पावन अवसर पर चोपता के क्षेत्र समाजसेवियों द्वारा तथा डा0 कुलदीप नेगी आजाद के सौजन्य से भण्डारे का आयोजन किया गया!
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101 जलकलशों से हुई भगवान कार्तिकेय की जलयात्रा
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