राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए उत्तराखंड के तीन बहादुर बच्चों के नाम, जानिए उनकी कहानी
1 min read
13/12/20223:08 pm
दीपक बेंजवाल / रूद्रप्रयाग
अदम्य साहस दिखाने वाले उत्तराखंड के तीन बच्चों के नाम राज्य बाल कल्याण परिषद ने राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए दिल्ली भेजे हैं। अदम्य साहस का पुरस्कार भारतीय बाल कल्याण परिषद द्वारा चयन के बाद जनवरी में दिल्ली में प्रदान किया जाएगा। बता दें राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार भारत में हर वर्ष 26 जनवरी की पूर्व संध्या पर बहादुर बच्चों को दिए जाते हैं। भारतीय बाल कल्याण परिषद ने 1957 में ये पुरस्कार शुरु किये थे। पुरस्कार के रूप में एक पदक, प्रमाण पत्र और नकद राशि दी जाती है। सभी बच्चों को विद्यालय की पढ़ाई पूरी करने तक वित्तीय सहायता भी दी जाती है। 26 जनवरी के दिन ये बहादुर बच्चे हाथी पर सवारी करते हुए गणतंत्र दिवस परेड में सम्मिलित होते हैं।
उत्तराखंड से जिन तीन बच्चों के नाम राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए भेजे गए है उनमें रुद्रप्रयाग के तमिण्ड गांव निवासी नितिन पौड़ी जिले के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय डुंगरी नैनीडांडा के 9वीं कक्षा के छात्र आयुष ध्यानी और अमन सुंद्रियाल का नाम शामिल है।
साहस का परिचय देकर नितिन ने गुलदार से बचाई भाई की जान
नितिन
रुद्रप्रयाग जिले के तमिण्ड गांव निवासी नितिन का सामना नारी चंडिका मंदिर जाते हुए रास्ते में गुलदार से हो गया था। अदम्य साहस का परिचय देते हुए नितिन ने गुलदार से अपनी और अपने भाई की भी जान बचा ली। घटनाक्रम के अनुसार 18 वर्षीय नितिन 12 जुलाई 2021 की सुबह अपने बड़े भाई सुमित के साथ नारी देवी चंडिका मंदिर महायज्ञ में जा रहा था। रास्ते में डाडू तोक के पास पानी के स्रोत से वह पानी पीने लगा। इस बीच उसका बड़ा भाई कुछ आगे निकल गया, तभी पहले से घात लगाए बैठा गुलदार नितिन पर झपट गया। नितिन को तीन मीटर नीचे की ओर धकेलकर फिर उस पर झपटा। नितिन ने गुलदार से संघर्ष में उसके दोनो पंजों को पकड़ लिया, जो लहूलुहान होने के बावजूद अपने जीवन के लिए संघर्ष करता रहा। कुछ देर बाद नितिन का बड़ा भाई मौके पर पहुंच गया और उसने गुलदार पर पत्थर फेंके। इस बीच गुलदार नितिन को छोड़कर उसके भाई की और दौड़ पड़ा। इसी बीच नितिन के हाथ एक छड़ी लगी और उसने गुलदार पर तेजी से घुमाया और शोर मचाना शुरू कर दिया। बच्चे की आवाज सुनकर ग्रामीण पहुंचे तो गुलदार भाग गया।
आयुष और अमन ने जंगल की आग बुझाकर स्कूल को बचाया
आयुष और अमन
पौड़ी जिले के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय डुंगरी नैनीडांडा के 9वीं कक्षा के छात्र आयुष ध्यानी और अमन सुंद्रियाल ने स्कूल की प्रधानाध्यापिका के साथ जंगल में लगी आग बुझाकर स्कूल को सुरक्षित बचा लिया। स्कूल की छुट्टी के बाद अपनी प्रधानाध्यापिका मीना को जंगल की आग बुझाते देख आयुष और अमन अपनी जान की परवाह किए बगैर आग बुझाने में जुट गए। स्कूल जंगल के पास होने से आग का खतरा बना था। पुरस्कार के लिए अंतिम चयन भारतीय बाल कल्याण परिषद नई दिल्ली की ओर से किया जाएगा।
देश और दुनिया सहित स्थानीय खबरों के लिए जुड़े रहे दस्तक पहाड़ से।
खबर में दी गई जानकारी और सूचना से क्या आप संतुष्ट हैं? अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे।
राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए उत्तराखंड के तीन बहादुर बच्चों के नाम, जानिए उनकी कहानी
दस्तक पहाड़ की से ब्रेकिंग न्यूज़:
भारत में सशक्त मीडिया सेंटर व निष्पक्ष पत्रकारिता को समाज में स्थापित करना हमारे वेब मीडिया न्यूज़ चैनल का विशेष लक्ष्य है। खबरों के क्षेत्र में नई क्रांति लाने के साथ-साथ असहायों व जरूरतमंदों का भी सभी स्तरों पर मदद करना, उनको सामाजिक सुरक्षा देना भी हमारे उद्देश्यों की प्रमुख प्राथमिकताओं में मुख्य रूप से शामिल है। ताकि सर्व जन हिताय और सर्व जन सुखाय की संकल्पना को साकार किया जा सके।
दीपक बेंजवाल / रूद्रप्रयाग
अदम्य साहस दिखाने वाले उत्तराखंड के तीन बच्चों के नाम राज्य बाल कल्याण परिषद ने राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए दिल्ली भेजे हैं। अदम्य साहस का
पुरस्कार भारतीय बाल कल्याण परिषद द्वारा चयन के बाद जनवरी में दिल्ली में प्रदान किया जाएगा। बता दें राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार भारत में हर वर्ष 26 जनवरी
की पूर्व संध्या पर बहादुर बच्चों को दिए जाते हैं। भारतीय बाल कल्याण परिषद ने 1957 में ये पुरस्कार शुरु किये थे। पुरस्कार के रूप में एक पदक, प्रमाण पत्र और
नकद राशि दी जाती है। सभी बच्चों को विद्यालय की पढ़ाई पूरी करने तक वित्तीय सहायता भी दी जाती है। 26 जनवरी के दिन ये बहादुर बच्चे हाथी पर सवारी करते हुए
गणतंत्र दिवस परेड में सम्मिलित होते हैं।
उत्तराखंड से जिन तीन बच्चों के नाम राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए भेजे गए है उनमें रुद्रप्रयाग के तमिण्ड गांव निवासी नितिन पौड़ी जिले के उच्चतर
माध्यमिक विद्यालय डुंगरी नैनीडांडा के 9वीं कक्षा के छात्र आयुष ध्यानी और अमन सुंद्रियाल का नाम शामिल है।
साहस का परिचय देकर नितिन ने गुलदार से बचाई भाई की जान
[caption id="attachment_29528" align="alignnone" width="696"] नितिन[/caption]
रुद्रप्रयाग जिले के तमिण्ड गांव निवासी नितिन का सामना नारी चंडिका मंदिर जाते हुए रास्ते में गुलदार से हो गया था। अदम्य साहस का परिचय देते हुए नितिन ने
गुलदार से अपनी और अपने भाई की भी जान बचा ली। घटनाक्रम के अनुसार 18 वर्षीय नितिन 12 जुलाई 2021 की सुबह अपने बड़े भाई सुमित के साथ नारी देवी चंडिका मंदिर महायज्ञ
में जा रहा था। रास्ते में डाडू तोक के पास पानी के स्रोत से वह पानी पीने लगा। इस बीच उसका बड़ा भाई कुछ आगे निकल गया, तभी पहले से घात लगाए बैठा गुलदार नितिन पर
झपट गया। नितिन को तीन मीटर नीचे की ओर धकेलकर फिर उस पर झपटा। नितिन ने गुलदार से संघर्ष में उसके दोनो पंजों को पकड़ लिया, जो लहूलुहान होने के बावजूद अपने
जीवन के लिए संघर्ष करता रहा। कुछ देर बाद नितिन का बड़ा भाई मौके पर पहुंच गया और उसने गुलदार पर पत्थर फेंके। इस बीच गुलदार नितिन को छोड़कर उसके भाई की और
दौड़ पड़ा। इसी बीच नितिन के हाथ एक छड़ी लगी और उसने गुलदार पर तेजी से घुमाया और शोर मचाना शुरू कर दिया। बच्चे की आवाज सुनकर ग्रामीण पहुंचे तो गुलदार भाग
गया।
आयुष और अमन ने जंगल की आग बुझाकर स्कूल को बचाया
[caption id="attachment_29529" align="alignnone" width="610"] आयुष और अमन[/caption]
पौड़ी जिले के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय डुंगरी नैनीडांडा के 9वीं कक्षा के छात्र आयुष ध्यानी और अमन सुंद्रियाल ने स्कूल की प्रधानाध्यापिका के साथ जंगल
में लगी आग बुझाकर स्कूल को सुरक्षित बचा लिया। स्कूल की छुट्टी के बाद अपनी प्रधानाध्यापिका मीना को जंगल की आग बुझाते देख आयुष और अमन अपनी जान की परवाह किए
बगैर आग बुझाने में जुट गए। स्कूल जंगल के पास होने से आग का खतरा बना था। पुरस्कार के लिए अंतिम चयन भारतीय बाल कल्याण परिषद नई दिल्ली की ओर से किया जाएगा।