दस्तक पहाड न्यूज  / अगस्त्यमुनि। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अन्तर्गत बनी सौरगढ़-सौड़ भट्टगांव-चोपड़ा-भट्टगांव-क्यार्क 7 किमी मोटरमार्ग आजकल लोनिवि की कार्यशैली के कारण खूब चर्चा में है। इस सड़क को बने हुए दो वर्ष हो चुके हैं। सड़क पर कहने को डामर भी बिछ चुका है जो कि अब उखड़ भी गया। सड़क पर जगह जगह मलबा गिरा हुआ है जो कि किसी दुर्घटना को न्यौता दे रहा है। परन्तु इसके कारण भी सड़क चर्चा में नहीं है। चर्चा का कारण है कि विभाग को दो वर्ष बाद अचानक याद आई कि इस सड़क को राष्ट्रीय राजमार्ग पर जोड़ने

Featured Image

के लिए नया पुल चाहिए। फिर क्या बिना लिंक मार्ग बनाये आनन फानन में पुराना पुल तोड़ दिया गया। दरअसल यह सड़क गौरीकुण्ड राष्ट्रीय राजमार्ग पर जिस पुल से जुड़ी थी, वह पुल राष्ट्रीय राजमार्ग का मुख्य पुल था। परन्तु चार धाम सड़क परियोजना के तहत यहां पर एक नया और चौड़ा पुल बनाया गया है। जब यह सड़क कटी थी उस समय भी लोगों ने कहा था कि इसका समरेखण ऐसा हो जो पुल से पहले ही राष्ट्रीय राजमार्ग पर मिल जाये। जिससे एक और पुल न बनाना पड़े। परन्तु विभाग ने पुराने पुल से ही जोड़ दिया। राष्ट्रीय राजमार्ग वाले पुल के बराबर में दूसरे पुल का निर्माण होना और सौरगढ़-भट्टगांव मोटर मार्ग पर वाहनों का प्रवेश करना ही आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है। इस रोड पर प्रवेश करने और बाहर आने के लिए के लिए आपको वाहन सीधे नहीं बल्कि रिवर्स गियर में ले जाना होता है। क्योंकि यहां पर इतना तीखा बैण्ड बनाया गया है कि वाहन सीधे नहीं चढ़ और उतर नहीं पाता है। वहीं पुल बनाने वाला ठेकेदार का कार्य इतनी धीमी गति से चल रहा है कि एक दो वर्ष में भी पुल का कार्य पूर्ण होना भी मुश्किल लग रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर हर दिन शासन प्रशासन के वीवीआईपी यहां से गुजर रहे हैं। वे भी यह नजारा देख रहे होंगे। परन्तु सभी चुप हैं। शायद किसी दुर्घटना का इन्तजार कर रहे हैं। पूर्व प्रधान ऊषा गुसाईं, ग्रामीण सुभाष भट्ट, सुशील भट्ट, गिरीश भट्ट, सन्तोष गुसाईं, जीतसिंह गुसाईं आदि लोगों का कहना है कि विभाग इस मोटर मार्ग पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। जब सड़क बनी थी तभी से लगातार इसकी गुणवत्ता पर सवाल उठाते रहे। परन्तु कोई सुनवाई नहीं हुई। शायद रसूखवाले ठेकेदार के सामने सभी लाचार थे। शासन प्रशासन शायद किसी दुर्घटना का इन्तजार कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र ही सड़क की मरम्मत तथा पुल का कार्य प्रारम्भ नहीं हुआ तो पूरे क्षेत्र की जनता आन्दोलन के लिए बाध्य होगी।