दस्तक पहाड न्यूज  / चमोली। पूरे 56 साल बाद शहीद नारायण सिंह बिष्ट अपने गाँव लौट रहे है। उनका यह लौटना 56 साल की उन स्मृतियों को एकदम ताजा कर दिया जिसे उनका परिवार कई सालों से अपने जेहन में दफ्न किए था। शहीद सैनिक नारायण सिंह के पार्थिव शरीर को लेकर भारतीय सेना का विमान बुधवार दो अक्टूबर को चमोली जिले के गौचर पहुंचा।

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  गौचर में ही सबसे पहले 6 ग्रेनेडियर बटालियन के जवानों ने शहीद नारायण सिंह को सलामी दी। इसके बाद शहीद का पार्थिव शरीर शरीर रुद्रप्रयाग ले जाया गया. रुद्रप्रयाग से ही कल गुरुवार सुबह शहीद को उनके पैतृक घर थराली के कोलपुड़ी गांव में लाया जाएगा। जहां शहीद का अंतिम संस्कार किया जाएगा। जिलाधिकारी चमोली संदीप तिवारी ने बताया कि शहीद नारायण सिंह का पार्थिव शरीर बुधवार को सेना का विशेष विमान से देहरादून से गौचर पहुंचा. गौचर और कर्णप्रयाग में शहीद को रखने के लिए उपयुक्त स्थान नहीं होने पर शहीद को रूद्रप्रयाग सैनिक कैंप में ले जाया जाएगा। गुरुवार को सुबह सेना के विशेष वाहन के जरिए शहीद को थराली लाया जाएगा. जहां पर पूरे सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि की जाएगी। शहीद सैनिक नारायण सिंह बिष्ट के भतीजे और कोलपुड़ी के ग्राम प्रधान जयवीर सिंह बिष्ट ने बताया कि नारायण सिंह बिष्ट की शादी 1962 में गांव की ही बसंती देवी हुई थी. शादी के समय बसंती देवी की उम्र करीब 9 साल थी. साल 1968 में नारायण सिंह बिष्ट विमान हादसे में शहीद हो गए थे, जिसके बाद उनका शव नहीं मिला था, लेकिन वक्त बीतने के साथ ही परिजनों की उम्मीद भी खत्म होती चली गई। इसके बाद परिजनों ने बसंती देवी की दूसरी शादी नारायण सिंह के छोटे चचेरे भाई से करवा दी थी। बसंती देवी का भी निधन हो चुका है। प्रधान जयवीर सिंह के अनुसार उनकी ताई को जिंदा रहते सेना से कोई मदद नहीं मिली थी.अभी तक कुल जवानों के अवशेष मिले:बता दें कि 56 साल पहले 7 फरवरी 1968 को भारतीय वायु सेना के एएन 12 विमान ने चंडीगढ़ से लेह के लिए उड़ान भरी थी, लेकिन ये विमान बीच रास्ते में ही रोहतांग दर्रे के पास क्रैश हो गया था. हादसे के वक्त विमाम में करीब 102 लोग सवार थे. इस विमान में सवार जवानों की तलाश में सेना ने कई बार सर्च ऑपरेशन चलाया है, लेकिन कोई खास कामयाबी नहीं है. साल 2003 में विमान का मलबा मिला था. इसके बाद साल 2004, 2007, 2013 और 2019 में जवानों की तलाश में विशेष अभियान चलाया गया था. 2019 में सेना का पांच जवानों के अवशेष जरूर मिले थे. वहीं अब साल 2024 में चार अन्य जवानों के अवशेष मिले, जिनमें से एक उत्तराखंड के चमोली जिले के रहने वाले नारायण सिंह बिष्ट थे. नारायण सिंह बिष्ट मेडिकल कोर में तैनात थे। भारतीय वायुसेना का एएन-12 विमान आज से करीब 56 साल पहले 1968 में हिमाचल में रोहतांग दर्रे के पास क्रैश हो गया था, जिसमें करीब 102 लोग सवार थे. इस हादसे में शहीद हुए जवानों के पार्थिव शरीर अभीतक नहीं मिले है. हालांकि अब करीब 56 साल बाद चारों जवानों के पार्थिव शरीर मिले, जिनमें से एक उत्तराखंड के चमोली जिले के नारायण सिंह का है. नारायण सिंह का पार्थिव शरीर करीब 56 साल बाद अपने घर पहुंचेगा, जहां सैन्य सम्मान के साथ नारायण सिंह का अंतिम संस्कार किया जाएगा। नारायण सिंह का परिवार चमोली जिले के कोलपूडी गांव में रहता हैं. कोलपूडी गांव के ग्राम प्रधान जयवीर सिंह, नारायण सिंह के भतीजे है. उन्होंने बताया कि उनके ताऊ नारायण सिंह शादी साल 1962 में बसंती देवी से हुई थी. तब बसंती देवी की उम्र करीब 9 साल थी. साल 1968 में नारायण सिंह का विमान हादसे में शहीद हो गए थे। जयवीर सिंह ने बताया कि बसंती देवी को उम्मीद थी कि उनके पति जरूर घर लौटेंगे, लेकिन वक्त बीतने के साथ उम्मीद भी खत्म होती चली. नारायण सिंह के वापस आने की उम्मीद छोड़ चुके परिजनों ने बसंती देवी की शादी भवान सिंह से करा दी. भवान सिंह, नारायण सिंह के छोटे भाई है और जयवीर सिंह के पिता है। जयवीर सिंह ने बताया कि सेना की तरफ से अभी तक बसंती देवी को कोई सुविधा नहीं मिली है. जयवीर सिंह के मुताबिक नारायण सिंह का पार्थिव शरीर गुरुवार तक गांव पहुंचेगा. उसके बाद ही सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएग। बता दें कि सात फरवरी 1968 को भारतीय वायुसेना का AN -12-BL-534 विमान चंडीगढ़ से लेह के लिए उड़ान भरी थी. विमाग में भारतीय सेना के कई जवान सवार थे, लेकिन बीच रास्ते में ही रोहतांग दर्रे के पास विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. विमान सवार सभी 102 जवान शहीद हो गए थे. जिनकी तलाश में सेना में काफी लंबे समय तक सर्च ऑपरेशन चला रही है. इससे पहले 2003 में भी पांच जवानों के पार्थिव शरीर मिले थे. साल 2018 में भी एक जवान का पार्थिव शरीर बरामद हुआ था. वहीं अब 56 साल बाद चार और जवानों के पार्थिव शरीर मिले है।