हरीश गुसांई  / अगस्त्यमुनि। दस्तक पहाड न्यूज। । पर्वतीय महिला चेतना सेवा समिति कोटद्वार द्वारा अगस्त्यमुनि में उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् के सहयोग से कचरा प्रबन्धन पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। ब्लॉक सभागार अगस्त्यमुनि में आयोजित कार्यशाला में स्थानीय विद्यालयों के 350 छात्र छात्राओं एवं उनके मार्ग दर्शक शिक्षकों के साथ ही 10 महिला स्वयं सहायता समूह की 100 अधिक महिलाओं ने प्रतिभाग किया। कार्यशाला में जहां छात्र छात्राओं को कचरा प्रबन्धन के तरीकों एवं उससे लाभ अर्जित करने के तरीको पर विस्तार से चर्चा की गई वहीं युवाओं को तनाव से बचने तथा उसे दूर करने के लिए प्रेरित किया गया। कार्यशाला में बतौर मुख्य वक्ता हेनब गढ़वाल विवि श्रीनगर के गणित एवं विज्ञान के पूर्व संकायाध्यक्ष प्रो0 डीएस नेगी ने युवाओं को आज के

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परिवेश में तनाव को दूर करने के तरीकों पर विस्तार से बताया। उन्होंने फोबिया, ट्रोमा, झिझक, चिड़चिड़ापन आदि को दूर कैसे देर करें इस पर अपने व्याख्यान से युवाओं को प्रेरित किया। चरेखा प्रालि की निदेशक डॉ माधुरी डबराल ने कहा कि कूड़ा कचरे को वैज्ञानिक विधि से निस्तारण करना ही कचरा प्रबन्धन है। कूड़ा प्रबन्धन के लिए सबसे पहले सूखा एवं गीले कूड़े को अलग अलग कर उसे निस्तारण करना चाहिए। कहा कि महिलायें इस कार्य को बेहतर ढ़ंग से कर सकती हैं। क्योंकि उनके पास हमारे पूर्वजों द्वारा कूड़ा प्रबन्धन पर किए गये कार्यों का अपार ज्ञान है। आवश्यकता है उसे समझने और प्रयोग में लाने की। स्वच्छ भारत मिशन के ब्रॉन्ड एम्बेसेडर एवं भोगपुर क्लस्टर के सुपरवाइजर रौनक भट्ट ने कहा कि कचरे को रिसाइकल कर उसका निपटान करना ही कचरा प्रबन्धन कहलाता है। आज प्लास्टिक कचरा एक समस्या बन गया है। परन्तु इससे कई सजावटी सामान बनाया जा सकता है। जो कि कमाई का बड़ा साधन बन सकता है। खण्ड विकास अधिकारी प्रवीण भट्ट ने आगन्तुक अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यशाला की आवश्यकता पर विचार रखे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पर्वतीय महिला चेतना सेवा समिति की अध्यक्ष श्रीमती सरोजनी कैन्तुरा ने बताया कि कचरा प्रबन्धक की यह कार्यशाला अगस्त्यमुनि में आयोजित करने का मुख्य कारण यह है कि यह स्थान केदारनाथ यात्रा मार्ग का प्रमुख केन्द्र है। सूखा एवं गीले कूड़े को अलग अलग कर इसे लाभ अर्जित करने के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है। गीले कचरे से खाद बनाई जा सकती है। जबकि सूखे कचरे को रिसाइकल कर कई उपयोगी वस्तुऐं बनाई जा सकती हैं। कार्यक्रम का संचालन अउ राइका अगस्त्यमुनि के वरिष्ठ प्रवक्ता सच्चिदानन्द सेमवाल ने किया। इससे पूर्व अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यशाला का शुभारम्भ किया गया। चिल्ड्रन एकेडमी द्वारा सरस्वती वन्दना गाई गई। जबकि राबाइका की छात्राओं द्वारा जैविक अजैविक कूड़े पर एक नाटक की प्रस्तुति दी गई। इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता दिनेश कण्डारी, राबाइका की प्रधानाचार्या रागनी नेगी, राबाइका अगस्तयमुनि, अउ राइका, गौरी मेमोरियल, चिल्ड्रन एकेडमी, विद्या मन्दिर, केन्द्रीय विद्यालय, अगस्त्य इण्टर कालेज के छात्र छात्रायें एवं महिला समूहों की सदस्य मौजूद रहे।