दस्तक पहाड न्यूज  चमोली / देहरादून।। देश-दुनिया में एड्स से संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसी क्रम में देवभूमि उत्तराखंड में भी एड्स के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिली है। जिसका नतीजा है कि साल 2023-24 में 1,517 नए मरीज मिलने की पुष्टि हुई है। स्टेट्स ऑफ़ नेशनल एड्स रिस्पांस 2022 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 24.01 लाख लोग एचआईवी पॉजिटिव हैं। हर साल करीब 63 हजार नए संक्रमण के मामले दर्ज होते हैं साथ ही करीब 42 हज़ार लोगों की मौत हर साल होती है। वहीं, उत्तराखंड की बात करें तो हर साल एचआईवी संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में 1517 नए मामले सामने आए थे. वर्तमान समय में 6,654 मरीजों को एचआईवी की निशुल्क दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही हैं, जबकि अभी तक 2096 मरीजों की मौत हो चुकी है.उत्तराखंड में कोरोना के बादबढ़े एड्स के

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मामले:उत्तराखंड में पिछले 9 सालों के भीतर करीब 8,740 नए एचआईवी पॉजिटिव मरीज सामने आए हैं. जिसमें से अभी 6,654 मरीज, केयर सपोर्ट ट्रीटमेंट ले रहे हैं. कोरोना के बाद एचआईवी संक्रमण दर में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है. कोविड काल के दौरान साल 2020-21 में 602 मरीजों में एचआईवी की पुष्टि हुई थी. साल 2021-22 में 863 मरीजों, साल 2022-23 में करीब 1025 मरीजों और साल 2023-24 में करीब 1,517 मरीजों में एचआईवी की पुष्टि हुई है. यानी पिछले वित्तीय वर्ष में रोजाना 4.15 लोग एचआईवी संक्रमित हो रहे है, जोकि एक बड़ी चिंता का विषय है। सीमांत जिले में भी पांव पसार रहा HIV वायरस, 14 साल में 90 मामले आए पॉजिटिव सीमांत जिला चमोली में एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। पिछले 14 वर्षों (2009-10 से वर्तमान तक) में जिले में 90 लोग पॉजिटिव आए हैं। वर्तमान में जिले के एआरटी सेंटर (एंटी रिट्रोरल वायरस थेरेपी) से 71 लोग दवा ले रहे हैं। पिछले एक साल में जिले में छह लोग पॉजिटिव पाए गए हैं।वर्तमान में जिला अस्पताल गोपेश्वर के एआरटी सेंटर से 15 लोग एचआईवी की दवा ले रहे हैं। जिसमें चार पुरुष व 11 महिलाएं शामिल हैं। वहीं एआरटी सेंटर कर्णप्रयाग से वर्तमान में 56 लोग एचआईवी का उपचार करवा रहे हैं। पिछले एक साल की बात करें तो जिला अस्पताल गोपेश्वर में चार जबकि कर्णप्रयाग में दो मामले पॉजिटिव आए हैं।पहले जिले में एआरटी सेंटर नहीं था, एक साल पहले उपजिला चिकित्सालय कर्णप्रयाग में एआरटी सेंटर शुरू हुआ और जिला अस्पताल गोपेश्वर में लिंक एआरटी सेंटर शुरू किया गया। उसके बाद जो लोग दून या अन्य जगह के एआरटी सेंटर से एचआईवी की दवा लेते थे अब जिले में ही दवा ले रहे हैं। जिले में एक मामला ऐसा भी है जिसमें गर्भवती महिला के पॉजिटिव होने से उसका बच्चा भी पॉजिटिव पैदा हुआ। एक साल से बच्चे का उपचार चल रहा है, जो अब नेगेटिव आ चुका है, लेकिन उसका 18 महीने के होने तक उपचार चलता रहेगा। उसके बाद ही उसे नेगेटिव माना जाएगा। विशेषज्ञों ने बताया कि ऐसे मामले में बच्चे के जन्म लेने से 18 महीने का होने तक नियमित उपचार चलता है। यदि तब भी नेगेटिव नहीं आता है तो अंतिम टेस्ट 24 महीने का होने पर होता है। तब एचआईवी का जो स्टेटस रहेगा वही अंतिम माना जाता है।जिले में एक मामला ऐसा भी आया है, जिसमें पति और पत्नी दोनों एचआईवी पॉजिटिव हैं। लेकिन दोनों की कोई ऐसी हिस्ट्री सामने नहीं आई जिसमें किसी पार्टनर के दूसरी जगह कोई संबंध रहे हों। जबकि एक मामले में पति पत्नी में एक पाॅजिटिव और एक नेगेटिव है। HIV वायरस के कारण होता है एड्स:एक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (AIDS) एक गंभीर बीमारी है जो ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) के कारण होती है. एचआईवी, शरीर के इम्यून सिस्टम और सीडी 4 सेल्स पर अटैक करता है. जिससे शरीर की संक्रमण और बीमारियों से लड़ने की क्षमता खत्म होने लगती है. एड्स से संक्रमित मरीज का अगर समय से इलाज न किया जाए, तो मरीज की मौत भी हो जाती है. यही वजह है कि केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार समय-समय पर एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए तमाम माध्यमों से जागरूकता अभियान चलाती हैं। एचआईवी पॉजिटिव मरीज के ये हैं लक्षण:स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अगर मरीज एचआईवी पॉजिटिव है, तो उसमें बुखार, ठंड लगना, जोड़ों का दर्द, सूजी हुई ग्रंथियां, मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश, रात में ज्यादा पसीना आना, शरीर पर लाल चकत्ते और अत्यधिक थकान जैसे लक्षण होंगे. एड्स बीमारी एचआईवी संक्रमित मरीज से असुरक्षित सेक्स, खून, स्पर्म, ब्रेस्ट मिल्क, वेजाइनल डिस्चार्ज और एनल फ्लूइड के जरिए फैलता है. इसके अलावा, एचआईवी संक्रमित खून से दूषित सुई या सीरिंज का इस्तेमाल करने से भी एड्स बीमारी फैलती है। उत्तराखंड में HIV संक्रमितों के लिए कुल 7 एआरटी सेंटर:उप निदेशक मुकेश राय ने बताया कि एचआईवी संक्रमितों के उपचार, देखभाल और सहायता के लिए राज्य में कुल सात एआरटी सेंटर हैं, मौजूदा समय में कुल 6,654 एचआईवी संक्रमित मरीजों को एंटी रेट्रो वायरल दवाएं निशुल्क दी जा रही हैं. इन दवाओं के इस्तेमाल से मरीज ठीक तो नहीं होता है, लेकिन मरीज की उम्र जरूर बढ़ जाती है, क्योंकि अभी तक एड्स बीमारी को ठीक करने के लिए कोई दवाई नहीं बनी है. हालांकि, समय-समय पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक किए जाने को लेकर जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है।