अगस्त्यमुनि में फूलदेई महोत्सव 16 मार्च को, फूलों संग सजेगा फूलदेई महोत्सव, पारंपरिक लोकसंस्कृति को मिलेगा नया आयाम
1 min read13/03/2025 6:50 pm
- अगस्त्यमुनि में फूलदेई महोत्सव 16 मार्च को, बच्चों की रंगारंग प्रस्तुतियाँ होंगी खास आकर्षण
- फूलों संग सजेगा फूलदेई महोत्सव, पारंपरिक लोकसंस्कृति को मिलेगा नया आयाम
- बच्चों के गीतों से गूंजेगा जनपद, फूलदेई पर्व के रंग में रंगेगा रुद्रप्रयाग
दस्तक पहाड न्यूज /रूद्रप्रयाग।। जनपद में पारंपरिक लोक पर्व फूलदेई महोत्सव का भव्य आयोजन इस वर्ष भी किया जा रहा है। यह महोत्सव 16 मार्च 2025 को प्रातः 9:30 बजे से जिला क्रीड़ा मैदान, अगस्त्यमुनि में आयोजित होगा।इस अवसर पर विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राएँ सांस्कृतिक एवं पारंपरिक कार्यक्रमों की मनमोहक प्रस्तुतियाँ देंगे। हर साल की तरह इस वर्ष भी इस आयोजन के माध्यम से पारंपरिक लोकसंस्कृति को संरक्षित और संवर्धित करने का प्रयास किया जा रहा है।अपर जिलाधिकारी स्याम सिंह राणा ने जनपदवासियों से अधिक से अधिक संख्या में प्रतिभाग कर इस महोत्सव की शोभा बढ़ाने की अपील की है।
विदित हो कि यह पर्व गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्रों में पारंपरिक नए साल की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है।इस पर्व को वसंत ऋतु का स्वागत के रूप में भी मनाया जाता है।इस समय पेड़-पौधे नए फूलों और पत्तों से भर जाते हैं, इसलिए इसे प्रकृति के सम्मान के रूप में मनाया जाता है।इस पहाड़ी त्यौहार पर बच्चे खासतौर पर फूलदेई गीत गाते हुए घर-घर जाकर फूल डालते हैं और घरवालों से आशीर्वाद व उपहार प्राप्त करते हैं। यह पर्व बच्चों और समाज को पर्यावरण संरक्षण और लोक संस्कृति से जोड़ने का काम करता है।
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इसके साथ साथ इस दिन बच्चे सुबह-सुबह जंगलों से ताजे फूल तोड़कर लाते हैं और घरों की देहरी (दहलीज) पर डालते हैं।बच्चे पारंपरिक गीत गाते हैं जैसे “फूलदेई, छम्मा देई, दैणी द्वार, भर भकार”, जिसका अर्थ है – “हम आपके द्वार पर फूल डाल रहे हैं, आपके घर में सुख-समृद्धि बनी रहे।”बदले में घर के बड़े लोग बच्चों को गुड़, चावल, पैसे या मिठाइयाँ देते हैं।उत्तराखंड के विभिन्न जनपदों में इस दिन विशेष पकवान बनाए जाते हैं, जैसे सेई (मिठाई), पूरी, दाल-भात आदि।
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