दस्तक पहाड़ न्यूज, चमोली: पंच केदारों में चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ कपाट 18 मई को ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए जाएंगे। कार्तिक माह तक भगवान रुद्रनाथ के मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए खुले रहेंगे। भगवान रुद्रनाथ की डोली हिमालय रवाना: 16 मई को शीतकालीन गद्दीस्थल गोपीनाथ मंदिर से पारंपरिक वाद्य यंत्रों की मधुर ध्वनि के बीच भगवान रुद्रनाथ की डोली की विदाई हुई। गोपीनाथ मंदिर से सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उत्सव डोली के साथ रुद्रनाथ के लिए रवाना हुए। दो दिनों की कठिन पैदल यात्रा में उत्सव डोली

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पहले दिन लुल्टी बुग्याल और अगले दिन यानि आज 17 मई को रुद्रनाथ पहुंचेगी। 18 मई को पौराणिक रीति रिवाजों और परंपराओं के बीच ब्रह्म मुहूर्त में ग्रीष्म काल के लिए श्रद्धालुओं के दर्शनों को खोल दिए जाएंगे। रुद्रनाथ में भगवान शिव के मुख की होती है पूजा: बता दें कि शीतकाल के दौरान भगवान रुद्रनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के बाद भगवान रुद्रनाथ जी की पूजा भगवान के शीतकालीन गद्दीस्थल गोपीनाथ में की जाती है. चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ में भगवान शिव के मुख दर्शन होते हैं. यह भारत में इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां भगवान भोलेनाथ के मुख की पूजा होती है.कहा जाता है कि एकानन में रुद्रनाथ (चमोली), चतुरानन में पशुपतिनाथ (नेपाल) और पंचानन विग्रह के रूप में इंडोनेशिया में भगवान शिव के मुख बिंदु (मुख) के दर्शन होते हैं. भगवान रुद्रनाथ की यात्रा गोपेश्वर के पास स्थित सगर गांव से शुरू होती है. शीतकाल में जब रुद्रनाथ मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं, तब उनकी पूजा गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर में की जाती है। कैसे पहुंचे रुद्रनाथ मंदिर- देश के किसी भी कोने से यदि आप रुद्रनाथ मंदिर आना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको ऋषिकेश आना होगा. ऋषिकेश तक सड़क और रेल मार्ग दोनों के जरिए आसानी से पहुंच सकते हैं. यदि आप फ्लाइट से आना चाहते हैं तो सबसे पास देहरादून का जौलीग्रांट एयरपोर्ट है. जहां से कुछ किमी की दूरी पर ऋषिकेश है।0ऋषिकेश से आपको चमोली जिला मुख्यालय गोपेश्वर का रुख करना होगा, जो ऋषिकेश से करीब 212 किमी की दूरी पर है. इसके बाद आपको गोपेश्वर के पास स्थित सगर गांव से रुद्रनाथ मंदिर के लिए 22 किमी पैदल ही ट्रेक करना पड़ेगा. यह ट्रेक काफी कठिन है. लिहाजा, इसके लिए पहले से ही आपको तैयार रहना होगा।