आपदा प्रभावित इलाकों में घोड़े-खच्चरों से हो रही जरूरी आपूर्ति, अस्थायी रुप से खुले संपर्क मार्ग, 21 दिनों बाद भी हालात नहीं हुए सामान्य
1 min read17/09/2025 7:57 pm

दस्तक पहाड न्यूज अगस्त्यमुनि।।
जनपद के आपदा प्रभावित क्षेत्रों में 21 दिन बाद भी हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं। प्रभावित क्षेत्रों में राशन पहुंचाने के लिए अब घोड़े-खच्चरों का सहारा लिया जा रहा है, जिससे प्रभावित क्षेत्रों तक खाद्यान सामग्री समय से पहुंच सके। वहीं, जिला प्रशासन की ओर से राहत और बचाव कार्य लगातार जारी है। छेनागाड़ क्षेत्र में लापता लोगों की खोजबीन के लिए एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के जवान दिन-रात मेहनत कर लापता लोगों की खोजबीन में जुटी हुई है। लोक निर्माण विभाग की टीमें भी आपदा से क्षतिग्रस्त सड़कों और संपर्क मार्गों की मरम्मत में तेजी से जुटी हुई है। विभाग की ओर से कई ग्रामीण मार्गों को अस्थायी रूप से दुरुस्त कर दिया गया है, ताकि राहत सामग्री और बचाव दल प्रभावित गांवों तक आसानी से पहुंच सकें।
राहत कार्यों में खाद्यपूर्ति विभाग भी सक्रिय भूमिका निभा रहा है। विभाग की टीमें लगातार प्रभावित गांवों में आवश्यक खाद्यान्न और दैनिक जरूरत की सामग्री पहुंचा रही हैं। जिला पूर्ति अधिकारी के.एस. कोहली ने बताया कि बधानीताल से लगभग 80 घोड़े-खच्चरों के माध्यम से भुनालगांव, बक्सीर, डांगी, खोड़, मथ्या और घंगासू गांवों के लिए पहले चरण में राहत सामग्री भेजी गई। प्रत्येक परिवार तक खाद्यान्न पैकेट पहुंचाने के लिए टीमें जुटी हुई है।
उन्होंने बताया कि पहले चक्कर में भेजे गए राहत पैकेट के बाद दूसरे चक्कर में भी 150 पैकेट भेजे जा रहे हैं। इसके अलावा आज तीसरे चरण में 300 से अधिक राहत पैकेट प्रभावित गांवों तक भेजे जा रहे हैं।उन्होंने बताया कि इन गांवों तक 1000 से अधिक राहत पैकेट भेजे जाने है। प्रत्येक पैकेट में आटा, चावल, दाल, नमक, तेल, मसाले और जरूरत के अन्य खाद्य पदार्थ शामिल हैं, ताकि प्रभावित परिवारों को किसी भी तरह की कमी न हो।उन्होंने कहा कि आपदा प्रभावित क्षेत्र दुर्गम और पैदल मार्ग से जुड़े हुए हैं, ऐसे में घोड़े-खच्चरों के जरिए राहत सामग्री पहुंचाना ही एकमात्र विकल्प है। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद विभागीय टीमें लगातार काम कर रही हैं और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोई भी परिवार भूखा न रहे।
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