देवेन्द्र चमोली , रुद्रप्रयाग - गुरु-शिष्य परंपरा को तार तार करता आज सोशल मीडिया पर वायरल होता एक फोटो ग्राफ चिन्ताजनक है। गुरु जी का ऐसा खौफ कि मात्र 7 वर्षीय शिष्य विद्यालय जाने से ही भयभीत हो। फोटो ग्राफ से स्पष्ट दिख रहा कि मासूम बच्चों के साथ गुरुजी का इतना बेरहम व्यवहार शिक्षक के नाम पर कलंक ही कहा जायेगा । जानकारी जुटाने के बाद प्रकरण जनपद के प्राथमिक विद्यालय ग्वेफड़ का है मिला। जहां एक वेरहम गुरु ने एक सात वर्षीय शिष्य की इतनी पिटाई कर दी कि बच्चा स्कूल के नाम से ही भयभीत हैं।

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ग्राम वासियों से जानकारी जुटाने के पश्चात जो तस्वीर सामने आई उसके अनुसार लगभग एक माह पूर्व प्राथमिक विद्यालय के अध्यापक द्वारा सात वर्षीय छात्र शंकर की बेरहमी से इतनी पिटाई की गई कि बच्चे के दिल दिमाग में मास्टर जी का डर बैठ गया। बच्चा स्कूल जाने से मना कर रहा है। ग्राम वासियों व क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता लक्ष्मण सिंह विष्ट का कहना है कि फोटो विचलित करने जैसी हैं,,इतनी मार खाने के बाद तो वास्तव में बच्चा डरेगा ही,आखिर क्या इस मासूम बच्चे ने ऐसा क्या गुनाह किया होगा? मासूम बच्चे पर आखिर शिक्षक इतना बेरहम कैसे हो गया। घटना ग्रामीण परिवेश की बेहाल शिक्षा पर भी प्रश्न खड़ा करती है जहां बच्चे के साथ साथ बच्चे की मां भी बच्चे के भविष्य को लेकर शिक्षक की करतूतों को सार्वजनिक करने में भयभीत हो गयी। मां ने एक माह तक किसी को बताया तक नहीं, ओर शिक्षक की करतूतों को दबाती रही। लेकिन जब बच्चा बिल्कुल ही स्कूल जाने से मना करने लगा तब जाकर उसके पिता को यह फोटो मां द्वारा भेजी गयी। राजस्थान में नौकरी कर रहे बच्चे के पिता हयात सिंह द्वारा जब यह जानकारी गांव वासियों व जागरूक लोगों से सार्वजनिक की गयी तब जाकर प्रकरण सार्वजनिक हुआ। ग्रामीण लक्ष्मण सिंह विष्ट द्वारा बच्चे के पिता जो कि वर्तमान में रोजगार के कारण राजस्थान में हैं, उनसे फोन पर बात हुई तो यह संज्ञान में आया कि उनकी पत्नी ने बताया कि बालक स्कूल जाने से इनकार कर रहा है,उन्होंने अपनी पत्नी से कारण पूछा तो उनकी पत्नी के द्वारा यह फोटोग्राफ उन्हें भेजे गए,और बताया गया कि बच्चा स्कूल जाने से डर रहा है। बड़ा सवाल कि बच्चा इतने दिनों बाद भी स्कूल नहीं गया लेकिन शिक्षक को अपनी करतूतों पर थोड़ा भी पश्चाताप नहीं हुआ। सोसल मीडिया पर वायरल घटना का यह बीडियो शिक्षा विभाग पर भी सवालिया निशान खड़ा करता है। जहां ग्रामीण दोशी शिक्षक पर कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं, वहीं दूरस्थ ग्रामीण छैत्रों की बदहाल शिक्षा ब्यवस्था पर शासन प्रशासन की उदासीनता को दर्शाने के लिये काफी है।