प्रदेश के निजी स्कूलों में सीबीएसई/आईसीएसई संबद्धता पर सरकार का सख्त रुख, शिक्षा विभाग ने जारी किए निर्देश
1 min read17/10/2025 2:19 pm

दस्तक पहाड न्यूज अगस्त्यमुनि।
माध्यमिक शिक्षा निदेशालय उत्तराखंड, देहरादून ने प्रदेश में संचालित निजी विद्यालयों को लेकर बड़ा निर्णय लिया है। निदेशक, माध्यमिक शिक्षा ने सभी सीबीएसई एवं आईसीएसई बोर्ड से संबद्ध निजी विद्यालयों को राज्य सरकार की अनुमति प्राप्त करने के संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं। निदेशक द्वारा जारी पत्र (संख्या 15(का)/3532-35/2025-26 दिनांक 02 सितंबर 2025) में कहा गया है कि प्रदेश में संचालित सभी निजी विद्यालय, जो सीबीएसई या आईसीएसई बोर्ड नई दिल्ली से संबद्धता प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें सरकार से अनुमति प्रमाण पत्र प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
इसके अनुपालन में मुख्य शिक्षा अधिकारी रुद्रप्रयागपीके बिष्ट द्वारा 4 सितंबर 2025 को सभी खंड शिक्षा अधिकारियों, जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक/प्राथमिक), एवं उप शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी किए गए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में संचालित सीबीएसई/आईसीएसई संबद्ध विद्यालयों की जांच करें और अनुपालन रिपोर्ट उपलब्ध कराएं। मुख्य शिक्षा अधिकारी ने यह भी कहा है कि जिन विद्यालयों में नियमों का पालन नहीं पाया जाएगा, उन्हें नोटिस जारी किए जाएंगे। पत्र में 18 मुख्य बिंदु जारी किए गए हैं, जिनमें प्रमुख रूप से यह निर्देश दिए गए हैं- संबद्धता प्राप्त करने के लिए विद्यालयों को सीबीएसई/आईसीएसई बोर्ड द्वारा निर्धारित सभी मानकों का अनुपालन करना होगा। विद्यालयों में प्रबंध समिति का गठन अनिवार्य रूप से किया जाएगा। प्रवेश में 10 प्रतिशत सीटें अनुसूचित जाति/जनजाति विद्यार्थियों के लिए आरक्षित रहेंगी। विद्यालय राज्य सरकार से कोई अनुदान नहीं मांग सकेंगे। विद्यालय के शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को राजकीय सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं के शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को अनुमन्य वेतनमानों तथा अन्य भत्तों के समान ही वेतनमान एवं अन्य भत्तों से कम वेतनमान एवं अन्य भत्ते नहीं दिए जायेंगे।सरकार की पूर्व अनुमति के बिना विद्यालयों के नियमों या शर्तों में कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकेगा।
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वहीं जिल माध्यमिक शिक्षा अधिकारी/खण्ड शिक्षा अधिकारी अतुल सेमवाल ने कहा कि यदि विद्यालय इन नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो उनकी संबद्धता रद्द की जा सकती है और भवन/भूमि अधिग्रहित की जा सकती है। शिक्षा विभाग का यह कदम प्रदेश में निजी विद्यालयों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया महत्वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है। जिसका सभी आम नागरिकों ने स्वागत किया है।
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