जखोली मेले में ‘द्रुपदा की लाज’ ने बांधा समां, दर्शकों की आँखें हुईं नम
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27/10/20255:01 pm
दस्तक पहाड न्यूज जखोली (रुद्रप्रयाग):
कृषि एवं औद्योगिक विकास मेला, जखोली के सांस्कृतिक मंच पर प्रस्तुत लोक भाव नाटिका “द्रुपदा की लाज” ने दर्शकों के मन-मस्तिष्क पर अमिट छाप छोड़ी। जय केदार कला मंच के कलाकारों ने युवा निर्देशक अखिलेश नेगी के नेतृत्व में ऐसी सजीव प्रस्तुति दी कि दर्शक क्षणभर के लिए भी अपने स्थान से नहीं हिले। द्रोपदी की करुण पुकार और भगवान श्रीकृष्ण की लीला को कलाकारों ने इतने भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया कि उपस्थित जनमानस की आँखें नम हो गईं। लोक शैली पर आधारित यह नाटिका कांता घिल्डियाल द्वारा लिखित है, जिसे मंच पर अद्भुत भाव और संगीत के साथ जीवंत किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ दोपहर 3 बजे जखोली विकास खण्ड मुख्यालय में हुआ, जिसमें बतौर मुख्य अतिथि श्री वाचस्पति सेमवाल (पूर्व सदस्य, बाल संरक्षण आयोग), अध्यक्षता ब्लॉक प्रमुख व मेला समिति अध्यक्ष श्रीमती विनीता देवी चमोली ने की।इस अवसर पर श्रीमती भुवनेश्वरी देवी (ब्लॉक प्रमुख मंदाकिनी), श्री नवीन सेमवाल (ज्येष्ठ प्रमुख), श्री राजेन्द्र सिंह रावत (कनिष्ठ प्रमुख), श्री भूपेन्द्र भण्डारी (विधायक प्रतिनिधि), मेला अधिकारी श्री सुरेश शाह (खण्ड विकास अधिकारी), पूर्व ब्लॉक प्रमुख प्रदीप थपलियाल, साहित्यकार उम्मेद सिंह रौथाण, राजकीय शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष जगदम्बा चमोली, गजेन्द्र रौतेला, हेमन्त चौकियाल, वीरांगना संगठन की अध्यक्षा श्रीमती माधुरी नेगी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
पांडवों की कथा पर आधारित इस नाटिका को क्षेत्रीय लोक संस्कृति के अनुरूप प्रस्तुत किया गया, जिससे दर्शक भाव-विभोर हो उठे। उत्तराखण्ड की संस्कृति से जुड़ी यह कथा इस बात का सजीव प्रमाण बनी कि यहां के लोग आज भी पांडवों को अपने इष्ट देव के रूप में मानते और पूजते हैं।
कलाकारों का शानदार प्रदर्शन: श्रीकृष्ण की भूमिका भूपेन्द्र बेंजवाल ने निभाई, जबकि ललिता रौतेला ने द्रोपदी का हृदयस्पर्शी अभिनय कर सबका मन जीत लिया। अन्य प्रमुख पात्रों में पंकज रौतेला (युधिष्ठिर), योगेश ममगाईं (भीम), कुलदीप सिंह (अर्जुन), सौम्य चौहान (नकुल), योगेश नेगी (सहदेव), संजय रावत (दुर्योधन), हैप्पी असवाल (शकुनि), भानु चमोला (दु:शासन), हिमांशु भट्ट (धृतराष्ट्र), प्रकाश बड़वाल (भीष्म पितामह) और लखन बिष्ट (विदुर) शामिल रहे। संगीत संयोजन में शिवांश बड़ोनी (की-बोर्ड), हिमांशु पंवार (बांसुरी), नवीन शैव (पैड), आयुष भट्ट (ढोलक), अमन (हुड़की), अभिनव रावत (थाली) तथा कोरस में दीपक भल्वाण, अलीषा सेमवाल, प्रियंक रावत, तनिष्का सेमवाल और खुशी नेगी शामिल रहे।
साज-सज्जा व सहयोग: भूपेन्द्र बेंजवाल, माधुरी नेगी, सत्येश्वरी नेगी, रामेश्वरी बुटोला एवं हैप्पी असवाल द्वारा मंच की सुंदर साज-सज्जा की गई।
मेला समिति की ओर से विशेष सहयोग श्री हेमन्त चौकियाल, श्री गजेन्द्र रौतेला, श्रीमती कविता भट्ट मैठाणी, श्री प्रकाश बड़वाल और वीरांगना संगठन अगस्त्यमुनि द्वारा प्रदान किया गया।कार्यक्रम के अंत में मेला समिति व उपस्थित अतिथियों ने जय केदार कला मंच के कलाकारों को उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए सम्मानित करते हुए शुभकामनाएं दीं। निर्देशक अखिलेश नेगी ने सभी सहयोगियों, मेला समिति एवं दर्शकों का आभार व्यक्त किया।
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कृषि एवं औद्योगिक विकास मेला, जखोली के सांस्कृतिक मंच पर प्रस्तुत लोक भाव नाटिका “द्रुपदा की लाज” ने दर्शकों के मन-मस्तिष्क पर अमिट छाप छोड़ी। जय केदार
कला मंच के कलाकारों ने युवा निर्देशक अखिलेश नेगी के नेतृत्व में ऐसी सजीव प्रस्तुति दी कि दर्शक क्षणभर के लिए भी अपने स्थान से नहीं हिले। द्रोपदी की करुण
पुकार और भगवान श्रीकृष्ण की लीला को कलाकारों ने इतने भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया कि उपस्थित जनमानस की आँखें नम हो गईं। लोक शैली पर आधारित यह नाटिका
कांता घिल्डियाल द्वारा लिखित है, जिसे मंच पर अद्भुत भाव और संगीत के साथ जीवंत किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ दोपहर 3 बजे जखोली विकास खण्ड मुख्यालय में हुआ, जिसमें बतौर मुख्य अतिथि श्री वाचस्पति सेमवाल (पूर्व सदस्य, बाल संरक्षण आयोग),
अध्यक्षता ब्लॉक प्रमुख व मेला समिति अध्यक्ष श्रीमती विनीता देवी चमोली ने की।इस अवसर पर श्रीमती भुवनेश्वरी देवी (ब्लॉक प्रमुख मंदाकिनी), श्री नवीन
सेमवाल (ज्येष्ठ प्रमुख), श्री राजेन्द्र सिंह रावत (कनिष्ठ प्रमुख), श्री भूपेन्द्र भण्डारी (विधायक प्रतिनिधि), मेला अधिकारी श्री सुरेश शाह (खण्ड विकास
अधिकारी), पूर्व ब्लॉक प्रमुख प्रदीप थपलियाल, साहित्यकार उम्मेद सिंह रौथाण, राजकीय शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष जगदम्बा चमोली, गजेन्द्र रौतेला, हेमन्त
चौकियाल, वीरांगना संगठन की अध्यक्षा श्रीमती माधुरी नेगी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
पांडवों की कथा पर आधारित इस नाटिका को क्षेत्रीय लोक संस्कृति के अनुरूप प्रस्तुत किया गया, जिससे दर्शक भाव-विभोर हो उठे। उत्तराखण्ड की संस्कृति से जुड़ी
यह कथा इस बात का सजीव प्रमाण बनी कि यहां के लोग आज भी पांडवों को अपने इष्ट देव के रूप में मानते और पूजते हैं।
कलाकारों का शानदार प्रदर्शन: श्रीकृष्ण की भूमिका भूपेन्द्र बेंजवाल ने निभाई, जबकि ललिता रौतेला ने द्रोपदी का हृदयस्पर्शी अभिनय कर सबका मन जीत लिया।
अन्य प्रमुख पात्रों में पंकज रौतेला (युधिष्ठिर), योगेश ममगाईं (भीम), कुलदीप सिंह (अर्जुन), सौम्य चौहान (नकुल), योगेश नेगी (सहदेव), संजय रावत (दुर्योधन), हैप्पी
असवाल (शकुनि), भानु चमोला (दु:शासन), हिमांशु भट्ट (धृतराष्ट्र), प्रकाश बड़वाल (भीष्म पितामह) और लखन बिष्ट (विदुर) शामिल रहे। संगीत संयोजन में शिवांश बड़ोनी
(की-बोर्ड), हिमांशु पंवार (बांसुरी), नवीन शैव (पैड), आयुष भट्ट (ढोलक), अमन (हुड़की), अभिनव रावत (थाली) तथा कोरस में दीपक भल्वाण, अलीषा सेमवाल, प्रियंक रावत,
तनिष्का सेमवाल और खुशी नेगी शामिल रहे।
साज-सज्जा व सहयोग: भूपेन्द्र बेंजवाल, माधुरी नेगी, सत्येश्वरी नेगी, रामेश्वरी बुटोला एवं हैप्पी असवाल द्वारा मंच की सुंदर साज-सज्जा की गई।
मेला समिति की ओर से विशेष सहयोग श्री हेमन्त चौकियाल, श्री गजेन्द्र रौतेला, श्रीमती कविता भट्ट मैठाणी, श्री प्रकाश बड़वाल और वीरांगना संगठन अगस्त्यमुनि
द्वारा प्रदान किया गया।कार्यक्रम के अंत में मेला समिति व उपस्थित अतिथियों ने जय केदार कला मंच के कलाकारों को उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए सम्मानित करते
हुए शुभकामनाएं दीं। निर्देशक अखिलेश नेगी ने सभी सहयोगियों, मेला समिति एवं दर्शकों का आभार व्यक्त किया।