अगस्त्यमुनि। संवाददाता राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि के प्राचार्य प्रो. प्रताप सिंह जगवाण शुक्रवार, 31 अक्तूबर 2025 को अपने 41 वर्षीय राजकीय सेवा काल को पूर्ण कर सेवानिवृत्त हो गए। इस अवसर पर महाविद्यालय परिसर में एक भव्य विदाई एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें क्षेत्रीय जनता, जनप्रतिनिधियों, शिक्षकों तथा विद्यार्थियों ने उनकी उत्कृष्ट सेवाओं को स्मरण करते हुए उनका अभिनंदन किया।

Featured Image

समारोह में मुख्य अतिथि विधायक श्रीमती आशा नौटियाल तथा विशिष्ट अतिथि पद्मभूषण श्री चंडी प्रसाद भट्ट, डॉ. हर्षवर्द्धन बेंजवाल, डॉ. आशुतोष त्रिपाठी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। इस अवसर पर विद्यापीठ के संस्थापक स्वर्गीय गंगाधर मैठाणी जी की प्रतिमा का अनावरण तथा मां शारदा देवी छात्रावास का लोकार्पण भी किया गया। प्रो. प्रताप सिंह जगवाण का जन्म 2 अक्टूबर 1960 को रुद्रप्रयाग जनपद के कण्डारा गांव में स्वर्गीय इंदर सिंह जगवाण एवं स्वर्गीय श्रीमती सुशीला देवी के घर हुआ। उनकी माता स्वयं गांव की प्रथम शिक्षिका थीं, जिन्होंने प्रारंभिक शिक्षा की नींव रखी। प्रो. जगवाण ने राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय गोपेश्वर से स्नातक एवं स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की और गढ़वाल विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री हासिल की। उन्होंने अपने अध्यापन कार्य की शुरुआत 4 फरवरी 1985 को राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि से की। अपने शिक्षण जीवन के दौरान उन्होंने महाविद्यालय काशीपुर एवं महाविद्यालय गुप्तकाशी में भी अपनी सेवाएं दीं और अपने कुशल नेतृत्व व समर्पण से इन संस्थानों को नई दिशा प्रदान की। प्रो. जगवाण ने श्री गंगाधर मैठाणी राजकीय महाविद्यालय, गुप्तकाशी की परिकल्पना को साकार करने में विशेष भूमिका निभाई। वर्ष 2008 में अगस्त्यमुनि महाविद्यालय का प्रभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी संस्थान को विकसित किया। उस समय भूमि और भवन जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव था, बावजूद इसके उन्होंने बीकॉम और बीसीए जैसे पाठ्यक्रमों का संचालन जारी रखा। बाद में महाविद्यालय के पूर्णकालिक प्राचार्य के रूप में उन्होंने संस्थान के अभूतपूर्व विकास का मार्ग प्रशस्त किया। उनके प्रयासों से विश्वेश्वरैया भवन, विवेकानंद भवन और मां शारदा देवी छात्रावास का निर्माण हुआ, जिससे महाविद्यालय को गरिमामय स्वरूप प्राप्त हुआ। उन्होंने कला संकाय की स्थापना करते हुए संस्कृत, समाजशास्त्र, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र और अंग्रेजी विषयों में स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम प्रारंभ कराए। वर्तमान में उनके प्रयासों से विज्ञान संकाय की स्थापना की प्रक्रिया भी अंतिम चरण में है। समारोह को संबोधित करते हुए पद्मभूषण श्री चंडी प्रसाद भट्ट ने कहा कि प्रो. जगवाण का शिक्षण कार्य विद्यार्थियों के प्रति समर्पण और संस्थान के विकास के प्रति निष्ठा का परिचायक रहा है। उन्होंने न केवल विद्यार्थियों को विषय का ज्ञान दिया बल्कि उन्हें जीवन मूल्यों से भी परिचित कराया। विधायक श्रीमती आशा नौटियाल ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में प्रो. जगवाण का योगदान अनुकरणीय रहा है। उनके ज्ञान, अनुभव और समर्पण ने असंख्य विद्यार्थियों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। डॉ. हर्षवर्द्धन बेंजवाल ने कहा कि प्रो. जगवाण की सेवा अवधि एक मिसाल के रूप में याद रखी जाएगी। सेवानिवृत्ति जीवन का नया अध्याय है, जिसमें उन्हें सुख, स्वास्थ्य और नई उपलब्धियों की शुभकामनाएं दी जानी चाहिए। समारोह में छात्रों ने अपने प्रिय प्राचार्य के सम्मान में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। मंच संचालन डॉ. मनोरमा मित्रा ने किया। इस अवसर पर प्रो. जगवाण की धर्मपत्नी श्रीमती शकुन्तला जगवाण, राज्य मंत्री श्री चंडी प्रसाद भट्ट, प्राचार्य उत्तराखंड आयुर्वेदिक फॉर्मेसी कॉलेज डॉ. हर्षवर्द्धन बेंजवाल, राजकीय महाविद्यालय रुद्रप्रयाग के प्राचार्य डॉ. आशुतोष त्रिपाठी, संस्कृत महाविद्यालय के डॉ. वासुदेव सेमवाल, पूर्व जिला पंचायत सदस्य विनोद राणा, आशीष राणा, डॉ. नेहा जगवाण, धर्मवीर जगवाण, डॉ. आजाद सिंह पंवार, डॉ. योगीशा, डॉ. हितेंद्र शर्मा, डॉ. अंजना, डॉ. अखिलेश कुमार मिश्र, डॉ. मोहम्मद शादाब आलम, डॉ. गंगाराम, डॉ. मनोज गैड़ी, डॉ. मुकेश भट्ट, डॉ. जैक्स वीन, नेशनल स्कूल गुप्तकाशी के संस्थापक लखपत सिंह राणा, सुरेंद्र पुरोहित, छात्र संघ अध्यक्ष साहिल खोयाल सहित वंदना पंवार, आयुष बिष्ट, शुभांकी, रवीना पंवार, आयुष राणा, रक्षित बगवाड़ी, रुचि रावत सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। प्रो. प्रताप सिंह जगवाण की सेवानिवृत्ति को महाविद्यालय परिवार ने एक युग का समापन और नई प्रेरणा की शुरुआत बताया। उनके द्वारा स्थापित अनुशासन, कार्यनिष्ठा और संस्थान के विकास के प्रति समर्पण को लंबे समय तक स्मरण किया जाएगा।