दस्तक पहाड न्यूज अगस्त्यमुनि।। उत्तराखण्ड राज्य स्थापना की रजत जयन्ती पर मन्दाकिनी शरदोत्सव एवं कृषि औद्योगिक विकास मेला उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक अस्मिता, महिला नेतृत्व और सामाजिक चेतना का प्रतीक बनता दिखा। युवा कल्याण एवं प्रान्तीय रक्षक दल विभाग के सौजन्य से आयोजित सांस्कृतिक संध्या में विभिन्न महिला मंगल दलों ने जहां पर्वतीय लोकगीतों की मधुरता बिखेरी, वहीं राज्य आंदोलन के शहीदों को समर्पित भावनात्मक गीतों ने कार्यक्रम स्थल को श्रद्धा और गौरव से भर दिया। कार्यक्रम का शुभारम्भ उत्तराखण्ड राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष शैलपुत्री ऐश्वर्या रावत, जिला पंचायत उपाध्यक्ष रितु नेगी तथा जिपंस सम्पन्न नेगी ने दीप प्रज्ज्वलित कर राज्य आंदोलन में बलिदान देने वाले अनगिनत आंदोलनकारियों को नमन करते हुए किया। दीप प्रज्ज्वलन केवल औपचारिकता नहीं थी,

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बल्कि उस संघर्ष की मशाल को स्मरण करने का प्रतीक था, जिसने पर्वतीय लोगों की आकांक्षाओं को राज्य का स्वरूप दिया। अपने सम्बोधन में महिला आयोग की उपाध्यक्ष शैलपुत्री ऐश्वर्या रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड अपनी मातृशक्ति के संकल्प, श्रम और समर्पण पर खड़ा हुआ राज्य है। गांवों में खेत से घर तक, जंगल से जलस्रोतों तक, आजीविका से समाज नेतृत्व तक हर मोर्चे पर महिलाओं ने भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में राज्य एवं केंद्र सरकारों की योजनाओं ने महिलाओं की आर्थिक व सामाजिक स्थिति को मजबूत किया है। आज की महिला केवल घर तक सीमित नहीं है, वह समाज की दिशा तय कर रही है। विशिष्ट अतिथि जिला पंचायत उपाध्यक्ष रितु नेगी ने कहा कि महिला मंगल दल केवल सांस्कृतिक इकाई नहीं, बल्कि ग्रामीण जीवन का नेतृत्व करने वाली सबसे मजबूत सामाजिक संस्था हैं। ऐसे मंचों से महिलाओं को अपनी भाषा, लोकगीत, पोशाक, परम्परा और संघर्ष की कहानी अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का अवसर मिलता है। उन्होंने कहा कि मेले केवल खरीद-बिक्री या मनोरंजन का स्थान नहीं होते, ये हमारी पहचान, सामूहिकता और लोकगौरव के जीवंत उत्सव होते हैं। जिपंस सम्पन्न नेगी ने कहा कि मेला समिति द्वारा निरंतर स्थानीय सांस्कृतिक विरासत एवं सामाजिक साझेदारी को संरक्षित करने का प्रयास सराहनीय है। ये आयोजन समाज को एक सूत्र में पिरोने का कार्य करते हैं। इस अवसर पर सुमेरपुर, सौड़ भट्टगांव, अमसारी, रुद्रप्रयाग, चाका फलाटी, पूलन बांगर एवं क्यूंजा की महिला मंगल दलों ने लोकगीतों और शहीद स्मरण गीतों की ऐसी गरिमामय प्रस्तुतियां दीं कि दर्शक देर तक तालियां बजाते रहे। पारंपरिक वेशभूषा, स्वरों की लय और भावनाओं की ऊष्मा ने कार्यक्रम को अविस्मरणीय बना दिया। राज्य स्थापना दिवस पर बाल विकास एवं महिला सशक्तीकरण विभाग द्वारा गढ़वाली पारंपरिक व्यंजन प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। जिसमें प्रथम स्थान कौशल्या (नाकोट), द्वितीय स्थान ऊषा (सिल्ला) तथा तृतीय स्थान पूजा बेंजवाल (नाकोट) को मिला। साथ ही अनीता सजवाण को उत्कृष्ट कार्यकर्ती सम्मान प्रदान किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रमुख भुवनेश्वरी देवी ने की एवं संचालन गिरीश बेंजवाल, कुसुम भट्ट एवं दीपेन्द्र बिष्ट ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर मेला समिति के कार्यकारी अध्यक्ष हर्षवर्धन बेंजवाल, संयोजक विक्रम नेगी, महामंत्री पृथ्वीपाल रावत, उपाध्यक्ष श्रीनन्द जमलोकी, धीर सिंह नेगी, सुधीर बर्त्वाल, माधुरी नेगी, सरला भट्ट, विनीता रौतेला सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता एवं नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।