दस्तक पहाड न्यूज देहरादून: उपनल कर्मचारियों के मामले में धामी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की रिव्यू पिटीशन को खारिज कर दिया है, जिसके बाद उपनल कर्मचारियों को नियमित किए जाने पर सरकार को अब जल्द फैसला लेना होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि हाईकोर्ट पहले ही इन कर्मचारियों को नियमित किए जाने के लिए नियमावली बनाई जाने के आदेश कर चुका है, जबकि ऐसा नहीं होने की स्थिति में उपनल कर्मी अवमानना याचिका लगा चुके हैं।

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सरकार की रिव्यू पिटीशन खारिज: उत्तराखंड में उपनल कर्मचारियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट से नया अपडेट सामने आया है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने उपनल कर्मियों के मामले पर सरकार की रिव्यू पिटीशन को खारिज कर दिया है. इसके बाद पहले से ही दबाव झेल रही धामी सरकार अब उपनल कर्मियों को नियमित किए जाने के मामले में बैकफुट पर दिखाई देने लगी है। सड़कों पर उपनल कर्मचारी: उपनल कर्मचारी पिछले कई दिनों से सड़कों पर है और नियमितीकरण की मांग के साथ उन्होंने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है. राज्य स्थापना दिवस यानी 9 नवंबर के एक दिन बाद ही उपनल कर्मचारी सड़कों पर उतर आए थे. उधर सरकार इस मामले में न्यायालय से कुछ राहत की उम्मीद कर रही थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। हाईकोर्ट भी पहले ही दे चुका निर्देश: खास बात यह है कि हाईकोर्ट काफी पहले ही सरकार को समान कार्य के बदले समान वेतन दिए जाने के निर्देश दे चुका है. साथ ही ऐसे कर्मचारियों के नियमितीकरण के लिए भी नियमावली बनाने के निर्देश दिए जा चुके हैं. हालांकि इन आदेशों के बावजूद भी राज्य सरकार ने उपनल कर्मचारियों को नियमित करने के बजाय न्यायालय का रुख करना ही उचित समझा था. शायद यही कारण था कि सरकार ने हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। पहले भी सुप्रीम कोर्ट से झटका खा चुकी सरकार: राज्य सरकार इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में झटका खा चुकी है. अब एक बार फिर राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट से निराशा ही हाथ लगी है. राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में SLP दायर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था, लेकिन इसके बाद भी राज्य सरकार ने इस पर फिर से न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हुए रिव्यू पिटीशन दाखिल की थी। बड़ी बात यह है कि अब एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने रिव्यू पिटीशन को भी खारिज कर दिया है. बड़ी बात यह है कि इससे पहले भी विनोद कवि वर्सेस यूपीसीएल मामले में हाईकोर्ट ने समान काम समान वेतन लागू करने के निर्देश दिए थे, जिसके बाद यूपीसीएल में पांच कर्मियों को इसका लाभ दिया जा रहा है। इस मामले में विद्युत संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष विनोद कवि कहते हैं कि सरकार को हाईकोर्ट के निर्देशों के क्रम में नियमितीकरण का जल्द फैसला करना चाहिए और पिछले कई सालों से लगातार विभागों में सेवाएं दे रहे उपनल कर्मचारियों को नियमित करना चाहिए। खास बात यह है कि उपनल कर्मचारी सड़कों पर भी डटे हुए हैं और हाल ही में कैबिनेट में इन कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर मंत्रिमंडलीय समिति बनाए जाने के फैसले के बाद भी यह कर्मचारी नहीं माने हैं. इनका कहना है कि सरकार के इस तरह के निर्णय उनके विरोध को नहीं रोक सकते. अब एक मात्र तरीका यह है कि सरकार कर्मचारियों को नियमित करने की कोई ठोस नीति लागू करें.