दस्तक पहाड़ न्यूज, अगस्त्यमुनि। उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) के वरिष्ठ नेता, राज्य आंदोलन के अग्रदूत और जनभावनाओं के प्रखर प्रहरी दिवाकर भट्ट अब हमारे बीच नहीं रहे। मंगलवार शाम उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर के बाद समूचा उत्तराखंड शोक में डूब गया। लंबे समय से उनका उपचार देहरादून स्थित महंत इंद्रेश अस्पताल में चल रहा था। मंगलवार दोपहर चिकित्सकों ने परिजनों को स्थिति गंभीर होने की जानकारी दी, जिसके बाद उन्हें घर ले जाया गया। सायं करीब पांच बजे उन्होंने दुनिया को

Featured Image

अलविदा कह दिया। स्वर्गीय दिवाकर भट्ट जी की अंतिम यात्रा कल सुबह 10 बजे उनके निवास स्थान तरुण हिमालय, शिवलोक (हरिद्वार) से खड़खड़ी घाट, हरिद्वार के लिए प्रस्थान करेगी। दिवाकर भट्ट उत्तराखंड राज्य आंदोलन के अग्रणी सेनानियों और यूकेडी के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे। राज्य निर्माण की निर्णायक लड़ाई में उनकी भूमिका हमेशा याद की जाती रहेगी। उनका राजनीतिक सफर यूकेडी से शुरू हुआ—उन्होंने लंबे समय तक इसी दल के साथ रहकर आंदोलन और जनसंघर्ष का नेतृत्व किया। बाद में वे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में भी सक्रिय रहे और पुनः यूकेडी की ओर लौटे। सरल स्वभाव, ओजस्वी भाषण और संगठन क्षमता ने उन्हें पहाड़ की राजनीति में विशिष्ट पहचान दिलाई। मंदाकिनी घाटी के वरिष्ठ पत्रकार अनसूया प्रसाद मलासी ने भारी मन से बताया, “दो दिन पहले जब मैं उनसे मिलने गया, तब भी वे गंभीर अवस्था में उत्तराखंड के लिए अंतिम संघर्ष की बात कर रहे थे। दिवाकर भट्ट जैसे लोग इतिहास में अमर हो जाते हैं।”राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों ने दिवाकर भट्ट के निधन को अपूरणीय क्षति बताया है। राज्य आंदोलनकारियों ने कहा कि वे सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि संघर्ष, साहस और उत्तराखंड पहचान के प्रतीक थे।जीवन की परिपाटी यही है—जो आया है, एक दिन जाएगा। लेकिन कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं, जो अपनी कर्मधर्मिता, संवेदनशीलता और जनसमर्पण से अमिट छाप छोड़ जाते हैं। फील्ड मार्शल दिवाकर भट्ट उन्हीं में से एक थे। उत्तराखंड उन्हें सदैव स्मरण करेगा।