दस्तक पहाड न्यूज रुद्रप्रयाग।। जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग प्रतीक जैन ने आज मानसून काल में व्यापक रूप से क्षतिग्रस्त हुए जवाड़ी बाईपास का विस्तृत स्थलीय निरीक्षण किया। निरीक्षण में टीएचडीसी की विशेषज्ञ सर्वे टीम मौजूद रही। इस दौरान भू-धंसाव प्रभावित हिस्सों, संभावित सिंकिंग जोन, रॉकी स्ट्रक्चर, पुरानी जलधाराओं, कटाव क्षेत्रों तथा रॉक एनालिसिस बिंदुओं का विस्तृत परीक्षण किया गया।निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने कहा कि जवाड़ी बाईपास जनपद रुद्रप्रयाग के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण

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मार्ग है। यह मार्ग केदारनाथ यात्रा सीजन के समय ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारु रखने में अहम भूमिका निभाता है। परंतु इस वर्ष की आपदा के कारण यह बाईपास भारी क्षति से प्रभावित हुआ है। लगभग 500 मीटर लंबा क्षेत्र भू-धंसाव, भू-स्खलन और सिंकिंग के जोखिम में है, जिस कारण इस संपूर्ण सड़क मार्ग पर तकनीकी दृष्टि से अध्ययन कर उपयुक्त प्रोटेक्शन कार्य किए जाने आवश्यक हैं।उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में कुछ पुरानी जलधाराएं हैं जो भूमि को अंदर से खोखला कर सिंकिंग जैसी स्थिति पैदा करती हैं। साथ ही अलकनंदा नदी के किनारे पहाड़ी के तल हिस्से में निरंतर कटाव वर्षा काल में अधिक बढ़ जाता है। इन सभी भू-वैज्ञानिक परिस्थितियों को देखते हुए सड़क का पुनर्निर्माण केवल सामान्य मरम्मत से संभव नहीं है, बल्कि वैज्ञानिक विश्लेषण और रॉक एनालिसिस आधारित प्रोटेक्शन कार्य किए जाएंगे। जिलाधिकारी ने कहा कि टीएचडीसी द्वारा इस मार्ग का सर्वे कर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है। 15 दिसम्बर 2025 तक यह रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी जाएगी। उसके बाद एनएच एवं अन्य संबंधित अभियंत्रण एजेंसियों द्वारा डीपीआर की तकनीकी जांच कर भारत सरकार को प्रेषित किया जाएगा। इसके उपरांत एनएचएआई द्वारा सड़क मार्ग के स्थायी रिपेयर और पुनर्निर्माण कार्य कराए जाएंगे।उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मार्ग को पूर्णतः सुचारु करने में समय लगेगा, क्योंकि यह कार्य विस्तृत भू-वैज्ञानिक परीक्षण, तकनीकी स्वीकृति और केंद्रीय स्तर पर बजट स्वीकृति से जुड़ा हुआ है। हालांकि, आगामी 2026 केदारनाथ यात्रा सीजन को ध्यान में रखते हुए प्रशासन का प्रयास रहेगा कि मार्ग पर आवश्यक अस्थायी सुधार एवं टेंपरेरी ट्रीटमेंट कर सड़क को उपयोग योग्य बनाया जाए।जिलाधिकारी ने संबंधित विभागों को निर्देशित किया कि सर्वे प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की देरी न हो तथा सभी बिंदुओं का अध्ययन वैज्ञानिक एवं तकनीकी मानकों के अनुरूप किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि सड़क सुरक्षा, ढलान-सुरक्षा, रिटेनिंग वॉल, ड्रेनेज व्यवस्था एवं कटाव रोकथाम कार्यों को प्राथमिकता में रखते हुए प्रोटेक्शन प्लान तैयार किया जाए। उन्होंने बताया कि यात्रा सीजन में इस सड़क पर भारी ट्रैफिक लोड रहता है, अतः प्रशासन के समक्ष चुनौती है कि सीमित समय में सुरक्षा के दृष्टिगत उपयोगी और टिकाऊ समाधान तैयार किया जाए। जिलाधिकारी ने टीएचडीसी, एनएच तथा संबंधित अभियंताओं को निर्देश दिए कि भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्र में सर्वे, सैंपलिंग, रॉक स्ट्रेंथ, हाइड्रोलॉजिकल विश्लेषण और पुराने जल स्रोतों की मैपिंग का कार्य शीघ्र पूरा किया जाए।निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने स्पष्ट कहा कि यह परियोजना केवल मरम्मत कार्य नहीं बल्कि एक तकनीकी पुनर्निर्माण परियोजना के रूप में देखी जाए। प्रशासन का उद्देश्य है कि भविष्य में यात्रा सीजन या वर्षा काल में इस मार्ग पर दोबारा भू-स्खलन और सिंकिंग की स्थिति न बने तथा सड़क की सुरक्षा दीर्घकालिक बनी रहे।निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने लोनिवि के अधिकारियो को जवाडी सड़क मार्ग पर भू-धंसाव प्रभावित हिस्सों का सही ढंग से फिलिग कार्य करने के निर्देश दिए। निरीक्षण के दौरान उप जिलाधिकारी सोहन सिंह सैनी, एई प्रेरणा जगुडी, एई सौरभ ढौडियाल एन एच,एई प्रवीण गुसाई टीएचडीसी,एई राजेश कुमार,जेई अनुराधा के साथ ही टीएचडीसी की विशेषज्ञ सर्वे टीम मौजूद रही।