दीपक बेंजवाल / दस्तक पहाड न्यूज।। रुद्रप्रयाग जिले के बेंजी गाँव के सुनसान खेतों में घास काट रही बावई गाँव की दमयंती देवी की हालत दोपहर उस वक्त दहशत में बदल गई, जब अचानक उनके सामने गुलदार आ खड़ा हुआ। बेहद नजदीक से हुई यह मुठभेड़ किसी को भी भयभीत कर सकती थी, लेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार उसी क्षण दमयंती देवी पर उनकी कुलदेवी मठियाणा देवी की शक्ति का अवतरण हुआ।स्थानीय लोगों के अनुसार देवी शक्ति के प्रकट होने के साथ ही दमयंती देवी ने तेज हुंकार भरी, जिसे सुनकर गुलदार घबराकर जंगल की ओर भाग गया।

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घटना के बाद पूरे क्षेत्र में इस चमत्कार की चर्चा जोरों पर है। पहाड़ों में आपदा या संकट के समय कुलदेवताओं के स्मरण और चमत्कारी बचाव की कहानियाँ अक्सर सुनाई देती हैं, और यह घटना उनमें एक नई कड़ी बन गई है। दमयंती देवी खुद बताती हैं, “मैं सौभाग्यशाली हूं कि समय पर देवी मां ने मुझ पर अवतरण किया। वरना आज मैं शायद जिंदा न होती। मैं अकेली खेतों में घास काट रही थी, दोपहर के समय गुलदार आने की कोई आशंका नहीं थी। जैसे ही वह मेरे सामने आया, मैं बस अपनी मायके की कुलदेवी मठियाणा माई को पुकारने लगी… और उसी शक्ति ने मुझे बचाया।” इस घटना ने एक बार फिर पहाड़ों में बढ़ते वन्यजीव आतंक को उजागर कर दिया है। पिछले कुछ वर्षों में गुलदार के हमलों में तेजी से इजाफा हुआ है। महिलाओं, पुरुषों और बच्चों तक पर हमले हुए हैं और कई जानें जा चुकी हैं। ग्रामीण बताते हैं कि अब पहाड़ों में हर जंगल, खेत और रास्ता गुलदार के भय से घिरा है। घर से निकलना मुश्किल हो गया है तो खेतों में जाना जोखिमभरा। बावई गाँव से बेंजी गाँव तक गुलदार अब रात की बजाय दिन में घात लगाकर शिकार की तलाश में है कब कौन उसका निवाला बन जाए कहा नही जा सकता लेकिन इस डर से अब दिन में भी क्षेत्र में दहशत छाई है। सरकार की निष्क्रियता पर सवाल - आज भी ग्रामीणों का गुस्सा सरकार पर है। उनका कहना है कि गुलदारों की बढ़ती संख्या पर कोई सख्त कदम नहीं उठाया जा रहा। न पिंजरे लगाए जा रहे, न निगरानी बढ़ाई जा रही और न ही वन विभाग सक्रिय दिख रहा है। लोग रोजमर्रा की जिंदगी खतरे में जी रहे हैं लेकिन समाधान कहीं नजर नहीं आता। सरकार ने बढे हुए मुआवजे का ऐलान किया है लेकिन जब जान ही नही बचेगी तो मुआवजा किस काम का। सरकार को बढ़ती हुई जनसंख्या पर रोक लगानी होगी। सरकार या तो गुलदार को पकड़ कर संरक्षित जगह पर रखें या मार दें। आस्था ने आज बचाया, लेकिन पहाड़ों की सुरक्षा कौन करेगा? दमयंती देवी की जान तो आज देवी शक्ति के सहारे बच गई, लेकिन हर ग्रामीण इतना सौभाग्यशाली नहीं होता। पहाड़ों में दिन-प्रतिदिन बढ़ रही घटनाएं दिखाती हैं कि अब लोगों की सुरक्षा भगवान भरोसे नहीं छोड़ी जा सकती। पहाड़वासी सुरक्षा के ठोस उपाय, सख्त कार्रवाई और वन्य आतंक से तत्काल राहत की मांग कर रहे हैं। चर्चा में बेंजी गाँव - रुद्रप्रयाग में 1918 से 1926 के बीच आदमखोर गुलदार 125 से अधिक लोगों को मार डाला था और इसने पूरे इलाके में दहशत फैला रखी थी। मशहूर शिकारी जिम कॉर्बेट ने आखिरकार 2 मई, 1926 को रुद्रप्रयाग में इस तेंदुए का शिकार किया था। बताते है इस आदमखोर का पहला शिकार बेंजी गाँव के ही एक बुजुर्ग हुऐ थे। तब ग्रामीणों ने गांव की कुलदेवी के शेर को गाँव की रक्षा के लिए प्रकट किया था फिर कभी गुलदार ने यहां हमला नहीं किया।