दस्तक पहाड न्यूज अगस्त्यमुनि।। उत्तराखंड शासन द्वारा सातवें वेतन आयोग के अंतर्गत शिक्षकों को चयन एवं प्रोन्नत वेतनमान पर दी जा रही अतिरिक्त वेतनवृद्धि को समाप्त किए जाने के 18 दिसंबर 2025 के शासनादेश ने राजकीय शिक्षकों में भारी रोष पैदा कर दिया है। इसी क्रम में राजकीय शिक्षक संघ जनपद रुद्रप्रयाग की एक अत्यावश्यक बैठक रविवार को अगस्त्यमुनि में आयोजित हुई, जिसमें संघ पदाधिकारियों एवं शिक्षकों ने एक स्वर में इस निर्णय का कड़ा विरोध दर्ज किया।

Featured Image

बैठक में संघ के पदाधिकारियों ने शासनादेश को शिक्षकों के साथ खुला भेदभाव, मनोबल तोड़ने वाला और अन्यायपूर्ण करार दिया। जिलाध्यक्ष आलोक रौथाण ने कहा कि सातवें वेतन आयोग की स्पष्ट अनुशंसा के अनुसार चयन एवं प्रोन्नत वेतनमान मिलने पर सभी विभागों में एक वेतनवृद्धि देय है, लेकिन केवल शिक्षकों के मामले में शासन द्वारा बार-बार विरोधाभासी आदेश जारी कर इस अधिकार को उलझाया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि इस अन्यायपूर्ण शासनादेश के खिलाफ संगठन धरातल से लेकर माननीय न्यायालय तक संघर्ष करने को बाध्य होगा।जिला मंत्री शंकर भट्ट ने कहा कि संगठन शिक्षकों के हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने चयन एवं प्रोन्नत वेतनमान प्राप्त कर चुके शिक्षकों को एकजुट कर संघर्ष मोर्चा बनाने का आह्वान किया। जनपदीय संरक्षक नरेश कुमार भट्ट ने शासन द्वारा समय-समय पर इस विषय में जारी पत्रों को दुर्भाग्यपूर्ण ही नहीं, बल्कि हास्यास्पद भी बताया। उन्होंने कहा कि राजकीय शिक्षक संघ लंबे समय से शिक्षकों के अधिकारों और सम्मानजनक वेतन संरचना के लिए संघर्ष करता आ रहा है। सातवें वेतनमान के अंतर्गत शासनादेश संख्या 290 द्वारा चयन/प्रोन्नत वेतनमान पर एक अतिरिक्त वेतनवृद्धि की व्यवस्था की गई थी, जिसे वर्ष 2019 में शासनादेश 150 के माध्यम से बाधित किया गया और अब 18 दिसंबर 2025 को निर्गत शासनादेश संख्या 1/354126 द्वारा इसे पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है। संघ पदाधिकारियों ने इस निर्णय को शिक्षकों के आर्थिक हितों पर सीधा प्रहार बताते हुए आशंका जताई कि इससे पूर्व में दी गई वेतनवृद्धि की वसूली का रास्ता भी खुल सकता है, जो किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है।बैठक में जनपद की तीनों विकासखंड कार्यकारिणियों एवं प्रांत के सभी मनोनीत सदस्यों ने भी शासनादेश के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराते हुए आंदोलन को तेज करने का संकल्प लिया।राजकीय शिक्षक संघ ने स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि यदि शासन ने इस निर्णय को वापस नहीं लिया, तो प्रदेश भर में शिक्षकों का आंदोलन और तेज होगा।