दस्तक पहाड न्यूज अगस्त्यमुनि।। अगस्त्यमुनि मैदान में स्टेडियम निर्माण को लेकर चल रहा विरोध मंगलवार को और उग्र हो गया। संघर्ष समिति के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राणा उर्फ ‘धर्मू भाई’ को अगस्त्यमुनि थाना द्वारा नोटिस दिए जाने से ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश फैल गया।

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आंदोलन के नौवें दिन सैकड़ों की संख्या में पंचकोटि के गांवों के ग्रामीण, महिलाएं, बुद्धिजीवी और सेवानिवृत्त कर्मचारी धरना स्थल पर डटे रहे। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस द्वारा संघर्ष समिति अध्यक्ष को जनभावनाएं भड़काने का आरोप लगाते हुए मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया, जो लोकतांत्रिक अधिकारों पर सीधा हमला है। संघर्ष समिति के संचालन पदाधिकारी आचार्य अनिल बेंजवाल, त्रिभुवन चौहान, शेखर नौटियाल एवं राजेश बेंजवाल ने पुलिस कार्यवाही की कड़ी निंदा की। त्रिभुवन चौहान ने कहा कि एक दिव्यांग व्यक्ति को ‘सूरदास’ कहकर संबोधित करना न केवल अमानवीय है, बल्कि यह प्रशासन की मानसिकता को भी उजागर करता है। धरना स्थल पर मौजूद लोगों ने दो टूक कहा कि यह मैदान केवल एक भूमि नहीं, बल्कि मंदाकिनी घाटी और आसपास के गांवों की धार्मिक आस्था, संस्कृति और सामूहिक स्मृतियों का प्रतीक है। इसी मैदान में वर्षों से फुटबॉल, हॉकी, क्रिकेट, कबड्डी, खो-खो सहित अनेक खेलकूद गतिविधियां आयोजित होती रही हैं। साथ ही यह क्षेत्र का एकमात्र सार्वजनिक पार्क और सुबह-शाम की सैर का प्रमुख स्थल भी है। ग्रामीणों ने यह भी स्पष्ट किया कि यह आंदोलन कोई नया नहीं, बल्कि वर्ष 2003 से लगातार चल रहा संघर्ष है। पूर्व में माननीय न्यायालय द्वारा भी इस भूमि को अध्यात्म से जुड़ी भूमि माना गया है, जहां किसी भी प्रकार का निर्माण स्थानीय जनता की सहमति के बिना नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद निर्माण एजेंसी द्वारा बिना विश्वास में लिए कार्य शुरू करना पूरी तरह अवैध है। धरना स्थल पर मौजूद जनसमूह ने शासन-प्रशासन और उत्तराखंड सरकार से स्पष्ट शब्दों में मांग की कि महर्षि अगस्त्य की तपस्थली द्यूका सैंण को यथावत रखा जाए और किसी भी प्रकार का निर्माण तत्काल रोका जाए। धरने में त्रिभुवन चौहान, शेखर नौटियाल, राजेश बेंजवाल, क्षेत्र के समस्त सेवानिवृत्त कर्मचारी, बृजमोहन भट्ट, चंद्र सिंह रावत, भगवती प्रसाद भट्ट, विजय कुमार मलासी, दिग्पाल सिंह नेगी, केशव अग्रवाल, भगवान सिंह, आचार्य अनिल बेंजवाल, मायाराम गोस्वामी, शाकम्भरी खत्री, राजेश्वरी देवी, सुलोचना देवी, दीपा देवी, सत्येश्वरी खत्री, सुनीता खत्री सहित महिला मंगल दल की अध्यक्षाएं एवं बड़ी संख्या में महिलाएं उपस्थित रहीं। ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने जनभावनाओं की अनदेखी जारी रखी तो आंदोलन को और व्यापक एवं उग्र किया जाएगा, जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।