दस्तक पहाड न्यूज ऊखीमठ। भगवती कालीमाई कालीमठ की ऐतिहासिक देवरा पदयात्रा 19वें दिन पंचगांई के अंतिम गूंठ गांव जग्गी बागवान पहुँच गई है, जहां मां भगवती के जयकारों , लोक जागर गीत और अर्घ्य के साथ माता का भव्य स्वागत किया गया। सात दिसंबर से प्रारंभ यह दिव्य यात्रा पंचगांई क्षेत्र के सभी गूंठ गांवों में पहुँचकर भक्तों की कुशलक्षेम जानने के साथ ही उनके दुःख–संकटों के निवारण हेतु दिव्य संकल्प ले रही है। यात्रा दल ने अब तक कालीमठ, कविल्ठा, कोटमा, खोनू, चिल्लोंड, जाल मल्ला, चौमासी, जाल तल्ला, रूच्छ महादेव, स्यांसूगढ़, ब्यूखी, कुणजेठी और बेडुला गांवों में पारंपरिक पूजा और दर्शन किए।यात्रा कालीमठ के गूंठ गाँवों बेडुला व जग्गी में भ्रमण करने के पश्चात राऊं लेंक की भगवती मैखंडा माई और सरुणा की काली भगवती के स्थानों पर परंपरागत भ्रमण करेगी। इसके बाद यात्रा

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मनसूना, ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर, चुन्नी, मंगोली आदि स्थानों पर 31 दिसंबर 2025 तक भक्तों को आशीर्वाद देगी। आगामी पड़ाव में यात्रा भीरी, चंद्रपुरी, अगस्त्यमुनि, रुद्रप्रयाग और धारी देवी से होकर 10 और 11 जनवरी 2026 को श्रीनगर पहुँचेगी। 12 जनवरी को बागवान में विश्राम के बाद यात्रा 13 जनवरी की संध्या देवप्रयाग के लिए प्रस्थान करेगी। मकर संक्रांति के पावन पर्व पर 14 जनवरी की प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में देवप्रयाग में माता कालीमाई का विशेष दिव्य मंगल गंगा स्नान होगा, जिसमें ब्राह्मण देवरा यात्री समिति के पदाधिकारी एवं बड़ी संख्या में भक्त सम्मिलित होंगे। पूजन-अर्चन के उपरांत यात्रा रघुनाथ मंदिर देवप्रयाग से वापसी आरंभ कर 15 जनवरी को श्रीनगर पहुँचेगी। यात्रा की सफलता पर समिति पदाधिकारियों ने ग्रामीणों का विशेष धन्यवाद व्यक्त किया। कालीमाई पंचगांई समिति कालीमठ के अध्यक्ष लखपत सिंह राणा ने कहा, “पंचगाई सहित समस्त क्षेत्र के भक्तों का जो अतुलनीय प्रेम व सहयोग मिल रहा है, वही इस यात्रा की सफलता का आधार है। हर घर से मिली श्रद्धा के लिए हम चिरऋणी हैं। माता सब पर असीम कृपा बनाए रखें। महामंत्री सुरेशानंद गौड़ ने कहा, “यह यात्रा जन-जन की आस्था का प्रतीक है। ग्रामीणों द्वारा अर्पित हर दाना और फल मातृभक्ति का प्रतीक है। इस अद्भुत सहयोग के लिए हम हृदय से आभारी हैं। आचार्य भगवती देवशाली ने कहा, “संस्कृति और परंपरा को जीवित रखने में ग्रामीणों की भूमिका महत्वपूर्ण है। जड़ी-बूटियों के स्नान से लेकर हर अनुष्ठान में उनकी उपस्थिति प्रशंसनीय है। माता की जय।श्री बद्रीनाथ–केदारनाथ मंदिर समिति के प्रबंधक प्रकाश पुरोहित ने कहा, “यह यात्रा दो महान तीर्थों की आध्यात्मिक एकता का प्रतीक है। ग्रामीणों के सेवाभाव ने इस एकता को और मजबूत किया है, जिसे हम सदैव स्मरण करेंगे। समिति सदस्य बलवीर रौथाण ने कहा, “हर गाँव में मिला आत्मीय स्वागत हमारी सबसे बड़ी शक्ति है। ग्रामीणों का अटूट विश्वास ही यात्रा को गति देता है। सभी सहयोगियों का हृदय से आभार।इस ऐतिहासिक पदयात्रा में विभिन्न स्थानों पर बड़ी संख्या में भक्तगण सम्मिलित हुए। कार्यक्रम में बलवीर रौथाण, पुष्कर राणा, गजपाल सिंह असवाल, राजेश राणा, सुमन देवी असवाल, सुदर्शन राणा, दीपक असवाल, दलीप सिंह राणा, आचार्य भगवती देवशाली, ब्रह्मा योगेंद्र देवशाली, पुजारी आचार्य सुरेशानंद गौड़, पंडित कालिका प्रसाद, सतीश गौड़, हरीश गौड़, दिनेश गौड़, जयप्रकाश सेमवाल, ऋषिराम भट्ट, दिलवर असवाल, भैरवनाथ क्षेत्रपाल के पश्वा राकेश राणा तथा कालीमाई के पश्वा मोहन सिंह रावत सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।यह पदयात्रा देवभूमि की सांस्कृतिक–धार्मिक एकता का जीवंत दस्तावेज मानी जा रही है, जो मकर संक्रांति पर देवप्रयाग में अपने ऐतिहासिक शिखर तक पहुँचेगी।