26 जनवरी ( गणतंत्र दिवस) पर पत्रकार शीशपाल गुसाईं की खास रिपोर्ट गुरुजी के भगीरथ प्रयास से 8 से 71 हुई छात्र संख्या स्कूल की दशा उत्तम होने पर डॉक्टर भी बच्चो का दाखिला कराने लगे

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उत्तराखंड में स्कूलों की दिशा और दशा भले ही सरकारी तंत्र काम आये, न आये लेकिन राजकीय प्राथमिक स्कूल देवप्रयाग के शिक्षक श्री विजय सिंह रावत ने खुद के भागीरथ प्रयास से स्कूल को नई उड़ान पर पहुँचाया है। इच्छाशक्ति सबसे बड़ी चीज उभर कर आई है जो गुरुजी विजय जी के पास है। 2014 से आज तक उन्होंने स्कूल में एक एक चीज जुटाने के लिए रात दिन एक किया।इसमें उन्हें जरूर कुछ लोगों की मदद मिली। और सफलता भी लेकिन गुरुजी का स्कूल को चमकाने में स्वयं का दो लाख रुपये लग गया। यही कारण है आज इस सरकारी स्कूल का मॉडल देखने लोग आते हैं। अधिकारी भी स्कूल की दशा से प्रशन्न हैं। राजकीय प्राथमिक स्कूल देवप्रयाग में 2014 में छात्र संख्या 8 थीं। स्कूल के बंद होने की तलवार लटक रही थीं। क्योंकि देवप्रयाग का एक अन्य सरकारी हाई स्कूल इन्ही कारण से बंद हो गया था। 8 स्टूडेंट्स सरकारी मानक में खरे नहीं उतर रहे थे। कारण लोगों का इंग्लिश मीडियम के स्कूलों में साफ सफाई, बोल चाल का रुझान था। जिला शिक्षक अधिकारी श्री एसपी सेमवाल ने स्कूल को ख़त्म करने करने के आदेश दे दिए थे। स्कूल में नए नए पहुँचे गुरुजी विजय सिंह रावत ने अधिकारी को भरोसा दिया कि, वह स्कूल के लिए दिन रात एक कर छात्र संख्या बढ़ायेगे। वह भरोसे पर खरे उतरे। छात्र संख्या हो गई है 71. कहाँ एक टीचर जगह अब तीन टीचर हैं। श्रीमती कमला पंत, श्री नवनीत चौहान की बीच में तैनाती हो गई है। सीईओ श्री सेमवाल के अनुसार अब इस विद्यालय ने मानक पूरे कर दिए हैं हम इसे आदर्श का दर्जा दे रहे हैं। हिंडोलाखाल पीएससी में गाइनी डॉक्टर हैं डॉ दीप्ति गुप्ता।उनके पति उत्तर प्रदेश में वेटनरी डॉक्टर हैं। उनका बेटा ऋषिकेश इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ता था। राजकीय प्राथमिक स्कूल देवप्रयाग का उन्होंने दौरा किया और साफ सफाई, खेल कूद, पढ़ाई पाई, उन्होंने अपने बच्चे को ऋषिकेश इंग्लिश मीडियम स्कूल से हटाकर देवप्रयाग सरकारी स्कूल में एडमिशन करा दिया। डॉक्टर ने बताया कि इंग्लिश मीडियम स्कूलों में दिखावा रह गया है। वहाँ लोग स्टेटस के लिए भी स्कूल भेजते हैं। देवप्रयाग के अन्य कर्मचारियों ने भी अपने बच्चों का विद्यालय में दाखिला कराया है।इस सरकारी स्कूल जो निजी कॉन्वेंट स्कूल दिखता है इसकी लोकल स्तर पर खूब चर्चा हो रही है। [caption id="attachment_24348" align="alignleft" width="150"] विजय रावत[/caption] चाका गजा नरेंद्र नगर के अंतर्गत जखोली गांव के विजय रावत ने 1997 में बीटीसी की थी। वह शिक्षक बन गए। उन्होंने दुर्गम राजकीय भुतियाआण स्कूल में वर्षों तक अध्यापन का कार्य किया। जब सुगम देवप्रयाग में आये, तो स्कूल की हालत बहुत खराब थीं। स्कूल की छत टपक रही थीं। फर्नीचर टूटा हुआ कमरों में था। झाडियां का जंजाल था।दरवाजो में कुंडे नहीं थे। गंधगी पसरी हुई थीं। बिजली का कनेक्शन नहीं था। न पानी का था। ऊपर से अफ़सर को दिया वचन था। उन्होंने इसकी सूरत बदलने की ठानी। प्रयास हुए जमीनी दो साल पहले तक सरकार की तरफ से हर स्कूल को पांच हज़ार रुपये को मिलता था , रंगाई, पुताई, साफ सफाई, फर्नीचर इत्यादि के लिए। अब समग्र शिक्षा के तहत इस मद में 25 हज़ार रुपये मिलते हैं। साल भर में इतने पैसों से क्या होना था। गुरुजी विजय ने सबसे पहले स्वयं ही काम किया। छुटी होने पर वह स्कूल की सूरत बदलने पर शोध कार्य कार्य करते थे। और योजना बनाते थे कि, कौन सी चीज किस प्रकार स्कूल में आ सकती है। धीरे धीरे काम ने रंग जमाना शुरू किया। स्कूल की मैडम श्रीमती पंत के पति श्री राकेश पंत फार्मेसिस्ट हैं और निजी मेडिकल की दुकान चलाते हैं। स्कूल के बगल में उनका घर है। उन्होंने स्कूल में हरियाली लाने के लिए पहले तो पानी का फवारा लाये। फिर रात रात पानी की तराई की। गुरुजी विजय फूल लाये, उन्हें लगाया ही नहीं, उन पर चौबीस घंटे ध्यान दिया गया। कुछ सीमेंट के बैगला कर छत के छेद बंद किये गए। फिर अपैक्स पेन्ट्स लगाया। इस तरह छत चमकी। मैदान में हरियाली के बाद फूलों ने ऐसी खुश्बू बिखेरी कि लोगों का ध्यान होने स्कूल पर जाने लगा। बिजली का कनेक्शन लिया गया। किसी ने ट्यूबलाइट दान दी तो लाईन मैन ने फ्री में वह लगा दी।गुरुजी विजय को पता चला कि जीजीआईसी देवप्रयाग में तीन कंप्यूटर कूड़े में पड़े हैं। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से खण्ड एजुकेशन अधिकारी श्री बिष्ट से अनुरोध किया कि कूड़े में पड़े 3 कम्प्यूटर उनके स्कूल को दिए जाएं। इसके लिए खूब दौड़ धूप की।उन्होंने चिठी लिखी।वहाँ केप्रधानाचार्य से खराब कम्प्यूटर ला कर गुरुजी विजय उन्हें बनवाने श्रीनगर ले गए। बनाकर स्कूल में लगाया। तो बच्चे कम्प्यूटर क्लास पढ़ने लगे। बच्चों के लिए यह एक नया उपकरण था।इस स्कूल में प्रोजेक्टर भी लगा है। जिसका उपयोग बच्चे करते हैं।स्कूल में स्टूडेंट्स बैंक, लाइब्रेरी, की स्थापना की गई है। स्कूल से प्रभावित हो कर 10 दिन पहले देवप्रयाग के एमएलए श्री विनोद कंडारी ने 4 नए कम्प्यूर दिए हैं। अब इस विद्यालय में कम्प्यूटर की संख्या सात हो गई है। कंप्यूटर और प्रॉजेक्टर इस स्कूल को आधुनिक युग में ले जाते हैं। गुरुजी विजय रावत ने 500 मीटर दूर पर स्थित तहसील देवप्रयाग में संपर्क किया है कि, वहाँ स्थापित स्वान केंद्र से स्कूल के लिये ब्रॉडबैंड दिया जाय। कुछ करने वाले गुरुजी जी के लिए कौन मना करता। तहसील वालों ने उन कहा है ओएफसी केबल का प्रबन्ध कर ले। जिसकी चार पांच हज़ार रुपए है। इस ब्रॉडबैंड के स्कूल में पहुँचने से ऑन लाइन क्लास पढ़ाने की योजना है। सीईओ श्री एसपी सेमवाल ने भी कुछ समय पहले स्कूल में जाकर 3 घण्टे व्यतीत कर एक एक चीज का परीक्षण किया था। वह हर स्कूल ऐसा देखना चाहते हैं लेकिन मास्टरों के पास गुरुजी विजय रावत जैसी इच्छाशक्ति होनी चाहिए। होगी भी। जिसकी मुझे तलाश है। गुरुजी को शिक्षकपुरुस्कार अब तक क्यों नहीं मिला। इस बात पर शोध किया गया। पुरुस्कार पाने के लिए भी दौड़ धूप करनी पड़ती है। अफसरों की खुशामद, उनके चक्कर काटना। फ़ाइल स्वयं बनाना शायद गुरुजी की बस की बात नहीं रही। उन्होंने इस पर ध्यान न देकर, अपने विद्यालय पर ध्यान केंद्रित किया।