शैलारानी रावत को मिला केदारनाथ से टिकट, काम आया नामांकन खरीद का दबाव, अंतिम समय पर दौड़ से बाहर हुई आशा
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26/01/202210:29 pm
काम आया शैलारानी का दबाव, अंतिम समय पर दौड़ से बाहर हुई आशा
नामांकन पत्र खरीद का दबाव आखिर शैलारानी रावत के लिए रामबाण बन गया। फलस्वरूप हाईकमान की लगातार माथापच्ची के बाद भाजपा केन्द्रीय चुनाव समिति द्वारा उनके नाम पर विधिवत मुहर लगा दी गयी है। राष्ट्रीय महासचिव एवं मुख्यालय प्रभारी अरूण सिंह द्वारा जारी नयी टिकट सूची में सबसे पहले केदारनाथ से शैलारानी रावत समेत 9 नामों की घोषणा की गयी है।
शैलारानी रावत के लिए टिकट पाने की जद्दोजहद कांटों भरी थी, एक दर्जन से अधिक दावेदारों के बीच सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी पूर्व विधायक आशा नौटियाल से कड़ी टक्कर मिल रही थी। निशंक खेमे को टिकट मिलने की दशा में अंतिम समय में आशा पर पूरी सहमति भी बन गयी थी। इसका भान शैलारानी को भी हो गया था, इस कारण अंतिम समय पर नामांकन पत्र लेकर उन्होंने पार्टी को अपनी दमदार दावेदारी से अवगत करा दिया। और सारे कयासों को विराम देते हुऐ जारी नयी सूची में उनके नाम पर अंतिम मुहर लगा दी गयी है।
शैलारानी राजनीति की धुरधंर खिलाड़ी रही है, उनकी नेतृत्व क्षमता के भी मुरीद बड़ी संख्या में है। बतौर विधायक और उसके बाद भी वो क्षेत्र में निरन्तर सक्रिय होने के कारण अपनी दावेदारी को पुख्ता करती रही है। उन्हें टिकट न दिए जाने के फलस्वरूप अगर वो निर्दलीय चुनाव लड़ती तो भाजपा को इससे बड़ा नुकसान होता और पूरे आसार है कि भाजपा इस सीट को पिछली बार की तरह आसानी से गंवा देती। इसलिए पार्टी पर शैलारानी को टिकट दिए जाने का दबाव बढ़ गया था। शैलारानी रावत को टिकट मिलने से केदारनाथ सीट पर मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है।
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शैलारानी रावत को मिला केदारनाथ से टिकट, काम आया नामांकन खरीद का दबाव, अंतिम समय पर दौड़ से बाहर हुई आशा
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काम आया शैलारानी का दबाव, अंतिम समय पर दौड़ से बाहर हुई आशा
नामांकन पत्र खरीद का दबाव आखिर शैलारानी रावत के लिए रामबाण बन गया। फलस्वरूप हाईकमान की लगातार माथापच्ची के बाद भाजपा केन्द्रीय चुनाव समिति द्वारा उनके
नाम पर विधिवत मुहर लगा दी गयी है। राष्ट्रीय महासचिव एवं मुख्यालय प्रभारी अरूण सिंह द्वारा जारी नयी टिकट सूची में सबसे पहले केदारनाथ से शैलारानी रावत
समेत 9 नामों की घोषणा की गयी है।
शैलारानी रावत के लिए टिकट पाने की जद्दोजहद कांटों भरी थी, एक दर्जन से अधिक दावेदारों के बीच सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी पूर्व विधायक आशा नौटियाल से कड़ी
टक्कर मिल रही थी। निशंक खेमे को टिकट मिलने की दशा में अंतिम समय में आशा पर पूरी सहमति भी बन गयी थी। इसका भान शैलारानी को भी हो गया था, इस कारण अंतिम समय पर
नामांकन पत्र लेकर उन्होंने पार्टी को अपनी दमदार दावेदारी से अवगत करा दिया। और सारे कयासों को विराम देते हुऐ जारी नयी सूची में उनके नाम पर अंतिम मुहर लगा
दी गयी है।
शैलारानी राजनीति की धुरधंर खिलाड़ी रही है, उनकी नेतृत्व क्षमता के भी मुरीद बड़ी संख्या में है। बतौर विधायक और उसके बाद भी वो क्षेत्र में निरन्तर सक्रिय
होने के कारण अपनी दावेदारी को पुख्ता करती रही है। उन्हें टिकट न दिए जाने के फलस्वरूप अगर वो निर्दलीय चुनाव लड़ती तो भाजपा को इससे बड़ा नुकसान होता और पूरे
आसार है कि भाजपा इस सीट को पिछली बार की तरह आसानी से गंवा देती। इसलिए पार्टी पर शैलारानी को टिकट दिए जाने का दबाव बढ़ गया था। शैलारानी रावत को टिकट मिलने
से केदारनाथ सीट पर मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है।