केदारनाथ विधानसभा में इस बार 45,518 महिलायें और 43,955 पुरुष कुल मिलाकर 89,473 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयाग करेंगे। वर्ष 2019 में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनावों के बाद इस बार लगभग 2200 से अधिक मतदाता पहली बार वोट डालेंगे। इस बार केदारनाथ विधानसभा में 1754 मतदाता 80 उम्र पार के है जबकि 953 दिव्यांग मतदाता है। वर्ष 2017 में सम्पन्न विधानसभा चुनावों में 65.77 प्रतिशत मतदान हुआ था तथा उस समय 9 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे जबकि वर्ष 2019 में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनावों में 60.50 प्रतिशत मतदान हुआ था तथा इस समय भी नौ प्रत्याशी समर में थे। केदारनाथ सीट परम्परागत रूप में भाजपा की गढ़ मानी जाती है, जहाँ भाजपा के कैडर वोटों की संख्या 20,000 से भी ऊपर मानी जा सकती है, वही कांग्रेस के लिए भी यहाँ 12,000 से अधिक कैडर वोट मौजूद है। बाकी शेष में निर्दलीय, यूकेडी, आम आदमी पार्टी और वाम मोर्चा के दावेदारों का छुटपुट

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प्रतिशत है। पिछले चुनावों में भाजपा का यही कैडर वोट दो प्रत्याशियों के कारण दो हिस्सों में बंट गया था, जिससे भाजपा को यहां हार का सामना करना पड़ा था। इस बार एक प्रत्याशी के कारण कैडर वोट सुरक्षित माने जा सकते है। हालांकि निर्दलीय के रूप में कुलदीप रावत और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी सुमन्त तिवाड़ी भाजपा के कैडर वोट में बड़ी सेंध लगा सकते है। बावजूद 10 दिनों के प्रचार समय में यह सेंधमारी कठिन है। निर्दलीय कुलदीप रावत के लिए नया सिंबल मिलना और हर बूथ तक पहुंचाना चुनौति होगा, वही सुमन्त तिवाड़ी के लिए भी आम आदमी पार्टी के पक्ष में जनता का मूढ़ बदलने में काफी मशक्त करनी पड़ेगी। हालांकि सुमन्त तिवाड़ी भाजपा से नाराज चल रहे तीर्थ पुरोहित समाज से आते है ऐसे में उनकी ओर तीर्थ पुरोहितों का झुकाव होगा। वही कांग्रेस के परम्परागत कैडर पर सेंधमारी नहीं होगी लेकिन जीत का जादुई आंकड़ा पाने के लिए मनोज रावत के लिए राजयोग का ही सहारा है।