केदारघाटी के एक युवा और निरन्तर शैक्षिक गतिविधियों में संलग्न सुमित रिंगवाल ने केदारनाथ के पूर्व विधायक मनोज रावत के लिए यह पोस्ट लिखी है, उन्होंने बताया है कि आख़िर क्यों जरूरी है मनोज रावत जैसे प्रतिनिधि [caption id="attachment_24540" align="aligncenter" width="150"] सुमित रिंगवाल[/caption]

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  कोरोना की पहली लहर आयी, जिसने उम्मीदों पर ताला लगा दिया। लोगो के रोजगार खत्म हो रहे थे लोगो के पास खाने पीने की चीजें खत्म हो रही थी । पहाड़ के हजारों युवा, खास कर केदारघाटी के कई युवा जो देश के अलग अलग राज्यों में प्राइवेट कम्पनियों में नौकरी कर रहे थे।अचानक लॉक डाउन के कारण विषम परिस्तिथियों में फंस गए थे। सरकार ने पूरी जिम्मेदारी के साथ उनको उनके हाल पर छोड़ दिया था।मेरे एक परिचित रिश्तेदार, जो उन दिनों गुजरात मे एक कम्पनी में कार्यरत थे, वो वही फस गए थे। उस दौर में पहली बार मेरा परिचय केदारनाथ विधानसभा के विधायक श्री Manoj Rawat जी से हुआ । किसी सज्जन ने मुझे उनका नम्बर दिया था। मैंने बात की और लगा ही नही कि मैं विधायक से बात कर रहा हूँ। उन्होंने सहजता और सरलता के साथ बात की और कुछ दिन बाद मेरे वह परिचित विधायक जी की सहायता से घर पहुँच गए। उस दौर में न जाने पहाड़ के कितने युवाओ को विधायक जी ने घर पहुँचाने का काम किया । कोरोना बढ़ता गया स्कूल और यूनिवर्सिटी बंद हो रही थी और ऑनलाइन शिक्षण कार्य शुरुआत के दिनों में सबकी समझ से परे था शिक्षकों के लिए भी और छात्रों के लिए भी।मैं उन दिनों यूट्यूब पर वीडियो बना रहा था साथ ही मैं कोशिश कर रहा था कि रचनात्मक तरीके से पढ़ाया जाए। फेसबुक पर उन दिनों में बहुत सक्रिय था और फिर मेरा परिचय एक बार फिर कई महीनों बाद विधायक जी से हुआ। एक दिन अचानक सुबह के 6 बजे उनका फोन आया और उन्होंने मेरे यूट्यूब वाले काम को सराहा ।अगली रोज अगस्तमुनि के कुछ छात्रों से सम्पर्क हुआ जिन्हें मुझे पढ़ाना था।उन छात्रों ने बाद में बताया की विधायक जी ने उनसे कहा था केदार घाटी का एक युवा यूट्यूब पर पढ़ाता है अगर कभी कोई दिक्कत लगे तो उससे बात करना ।।सच मे मैं पहली बार किसी विधायक के सम्पर्क में था और एक ऐसा आदमी जो पढ़ाई लिखाई की बात कर रहा था जो परेशान था बच्चों के शिक्षण कार्य बंद होने से, जिसे इन चीजो से फर्क पड़ता था।फिर एक साल बाद मेरे गाँव के किसी परिचित के बच्चे की तबियत नाजुक थी। बेस अस्तपाल श्रीनगर ने हाथ खड़े कर दिए थे और आर्थिक स्थिति इतनी नही थी कि इलाज हो सके। ऊपर से कोरोना के दौर में बेड की किल्लत अलग थी ।।हमारी उम्मीदे और पहुँच खत्म हो रही थी फिर एक बार विधायक जी ने अस्पताल में बात करके बेड की व्यवस्था की और बड़ी बात ये थी उस दिन मेरी विधायक जी से हर आधे घण्टे के अंतराल पर बात हो रही थी वो बच्चे के हालात का जायजा ले रहे थे ।मैं आज सोचता हूँ लोग प्रधान बनने के बाद सीधे मुँह बात करना गवारा नही समझते उस दौर में विधायक साहब परिवार के सदस्य की तरह हाल चाल पूछ रहे थे।सबसे गजब की बात ये है कि मेरी आज तक विधायक जी से कभी आमने सामने मुलाकात नही हुई पर मैं मुरीद हूँ उनकी कार्यशैली का, उनकी सरलता और सहजता का ।। उत्तरखण्ड को बने आज 21 वर्ष हो गए है लेकिन पहली बार कोई विधायक अपने विधानसभा में पुस्तकालय बना रहा है और जो पढ़ने लिखने की बात कर रहा है ।केदारघाटी के न जाने कितने लाल देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति हँसते हँसते देते है ।श्री मनोज रावत जी ने उन वीर शहीदों की वीरगाथा को आने वाली कई पीढ़ियो तक पहुंचाने और सहेजने का काम किया ।जिस गाँव से जो शहीद हुआ, उस गाँव मे उसकी प्रतिमा स्थापित की गई जिससे उस गाँव, उस इलाके के लोग उस वीर गाथा को हमेशा के लिए याद रखे और उससे युवा प्रेरित हो सके।केदार घाटी की आय का सबसे बड़ा स्रोत है पर्यटन, और कोरोना ने लोगो को तोड़ कर रख दिया था। यात्रा बंद थी और बैंक का कर्ज बढ़ता जा रहे थे, राज्य की भाजपा सरकार चार धाम यात्रा के लिए न कोई ठोस रणनीति बना पा रही थी, न ही कोई प्रयास करती नजर आ रही थी। उस दौर में श्री मनोज रावत जी अपने लोगो के लिए आवाज उठाते रहे और उनकी इस मेहनत का नतीजा था पिछले साल, फिर से केदारघाटी में पर्यटन और रोजगार दोनों लौट कर आए ।।मैं आने वाले 14 फरवरी को 07 केदारनाथ विधानसभा से श्री मनोज रावत के पक्ष में मतदान करने जा रहा हूँ और आपसे भी अपील करता हूँ। आप भी श्री मनोज रावत के पक्ष में मतदान करे ।। केदारघाटी को आज मनोज रावत जैसे शिक्षित ,सरल , सहज, तर्कशील विधायक की जरूरत है। सुमित रिंगवाल