बस यूं ही बैठे बैठे पुराने बुरे दिनों को कोसते हुए अचानक याद आया कि अपने सूबे में कभी गैरसैण राजधानी का भी मुद्दा हुआ करता था ...! हालाँकि अब यह मुद्दा रहा नही फिर भी चुनावी मौसम में हम जैसे निठल्लों की यादों के झरोखे में कुछ न कुछ फजूल का चलता ही रहता है सो ये गैरसैंण याद आ गया सोचा कि

Featured Image

इस पर ही चुनावी मौसम में कुछ गरिया दिया जाए लेकिन फिर अचानक याद आया कि गैरसैंण में तो अब सरकारें बैठती हैं और इसका जिंदा गवाह हम सब हैं अगर ऐसा न होता तो इन चुनावों में ये भी मुद्दा होता। खैर किस्सा याद आया उस रोज मैं गौचर हवाई पट्टी पर एयर इण्डिया के शेड्यूल्ड जहाज से उत्तर कर आल वेदर रोड के रस्ते राजधानी गैरसैण को चल दिया , झमाझम बारिश थी लेकिन आल वेदर रोड के चलते यात्रा अवरुद्ध होने की कोई गुंजाइश ही न थी। राजधानी गैरसैण के रस्ते में सहयात्रियों नें बताया कि ये आल वैदर रोड अब जल्द ही उस शाही सड़क संख्या 74 को भी जोड़ेगी जिसमें लिप्त अधिकारियों के मनोबल को बढाए रखने के चलते ही यह सब सम्भव हो सका है। सहयात्रियों से बात चीत में उन्होंने बताया कि अब ऋषिकेश से कर्णप्रयाग वाली रेल लाइन को डबल लाइन किया जा रहा है और उस पर बुलेट ट्रेन को दौड़ाने का विचार है, पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा सात साल में पहाड़ वापसी की योजना और वर्तमान सरकार द्वारा गठित पलायन आयोग के त्वरित कृयान्वयन के चलते बहार गए प्रवासी उत्तराखंडियों का अपने मुल्क को लौटने की प्रक्रिया लगातार जारी है, सारे महानगरों से कर्णप्रयाग तक की सीधी ट्रेन सेवा और गौचर हवाई पट्टी की सीधी उड़ाने है। सूबे में पर्यटन की अपार संभावनाओं को सरकार नें प्राथमिकता पर लेते हुए कई योजनाये लागू की जिसके अंतर्गत पर्यटन की दिशा में निट्ठल्ला चिंतन को बंद किया गया और माननीय पर्यटन मंत्री नें ग्रामीण पर्यटन, साहसिक पर्यटन, धार्मिक पर्यटन, प्रकृति पर्यटन आदि आदि की अपार संभावनाओं पर प्रभावी पहल की जिसके चलते लगातार पर्यटकों में वृद्धि और नए पर्यटक स्थलों का विकास किया गया है , उसके प्रभाव के चलते नैनीसैनी, चिन्यालीसौड़ और गौचर हवाई पट्टियों को अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने की दिशा में हवाई पट्टी विस्तारीकरण का कार्य गतिमान है। युवाओं को व्यावसायिक पाठ्यक्रमों से जोड़ते हुए सरकार द्वारा वंचित वर्ग के क्षात्रों के लिए विशेष कार्यक्रम चलाये गए हैं एवं समाज कल्याण विभाग के अधीन कई प्रभावी योजनाएं गतिमान की गयी हैं, पहाड़ों में स्वास्थ्य सुविधाएं और शिक्षण व्यवस्थाओं की भरमार है , पिछले वर्ष हजारों हजार विदेशी क्षात्रों नें पहाड़ में स्थित विधालयों से शिक्षा हेतु आवेदन किया , पहाड़ की व्यावसायिक शिक्षा की दिशा में खैरासैण महाविद्यालय नें दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति की है। इतने में उत्तराखण्ड रोडवेज की वॉल्वो ए सी बस का जोर से ब्रेक लगा और उसका ड्राइवर सामने से टकराते टकराते बचे बुजुर्ग कार वाले को चिल्लाते हुए अति शालीन भद्र भाषा में बोल रहा था कि " भैन .............सड़क में चलने ......नहीं है तो क्यों आ जाते हो अपनी .............." बस में सवार सभी यात्रियों नें बस ड्राइवर की तारीफ़ की और कहा कि हमारे ड्राइवरों की चालन कुशलता के चलते ही पर्यटन विकास सम्भव हो सका है , इतने में मीडिया कर्मी भी घटना को कवर करने वहां पहुच चुके थे अगले ही पल खबरिया चैनलों पर ब्रेकिंग न्यूज थी " उत्तराखण्ड सरकार के ड्राईवर की कुशलता के चलते टला बड़ा हादसा " ओर्र फिर कुछ देर बाद ही स्थानीय विधायक और उनके दल के महत्वपूर्ण नेताओं की फोटो सहित इस घटना से सुरक्षित होने बैनर शहर के महत्वपूर्ण चौराहों पर लटक रहे थे जिनके नीचे लिखा था निवेदक .......सिंह, मुहल्ला अध्यक्ष , ......पार्टी। ये किस्सा सिर्फ इसलिए कि काश राजधानी गैरसैण आज भी कोई मुद्दा होता तो हम चुनावों के समय इस पर ही सही कुछ तो बहस कर रहे होते, खैर अब क्या किया जा सकता है लेकिन आने वाली पीढ़ियों को कम से कम इतना तो यकीन होगा कि सरकारें चुनने का शऊर अगर था तो हमारे बाप दादों को ही था। [caption id="attachment_24585" align="aligncenter" width="150"] अखिलेश डिमरी[/caption]